साँप पकड़ा नहीं, छछूँदर पकड़कर मचाया जा रहा शोर
अडानी के बंदरगाह पर 3,000 किलो ड्रग्स पर ख़ामोशी
देश में तेज़ी से फैलते ड्रग्स के जाल से यह तो स्पष्ट हो चुका है कि नेता, अभिनेता और कुछ बड़े कारोबारी नशे के ज़रिये युवाओं का भविष्य बर्बाद करने की जुगत में लगे हैं। अफ़सोस और चौंकाने वाली बात यह है कि आजकल देश में बड़ी घटनाओं से ध्यान भटकाने के लिए छोटी और भटकाने वाली घटनाओं को रबड़ी तरह घोटा जा रहा है और रबड़ की तरह खींचा जा रहा है। पिछले कई साल से ऐसा ही खेल चल रहा है। ड्रग्स के मामले में भी बीते कुछ दिनों से यही सब हो रहा है। पिछले दिनों अडानी के मुंद्र्रा अडानी बंदरगाह से 3,000 किलो ड्रग्स पर न कोई गिरफ़्तारी हुई और न ही बड़ी कार्रवाई। यहाँ तक कि मुख्यधारा की मीडिया भी इस पर ख़ामोश ही रही। इसके बाद मशहूर अभिनेता शाहरूख़ ख़ान का बेटा आर्यन ख़ान ड्रग्स लेने के जुर्म में पकड़ा गया। यह बहुत अच्छा हुआ, जो जुर्म करे, उसकी गिरफ़्तारी हो, उसे सज़ा मिले ज़रूरी है। लेकिन क़ानून सभी के लिए समान होना चाहिए। जिस दिन आर्यन ख़ान पकड़ा गया, उसी दिन जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास 30 किलो ड्रग्स सेना के हाथ लगी। इस पर भी कोई ख़ान चर्चा नहीं हुई कि यह ड्रग्स कहाँ से, कैसे आयी?
सवाल यह है कि सैकड़ों और हज़ारों करोड़ रुपये की ड्रग्स पिछले कुछ दिनों में पकड़ी गयी; लेकिन शोर छछूँदर को पकड़कर मचाया गया, जबकि साँपों को छोड़ दिया गया। यह तो पकड़ी गयी ड्रग्स की बात रही, पूरे देश में महामारी की तरह फैले नशे के जाल के लिए हर साल न जाने कितने ही टन ड्रग्स देश में चोरी-छिपे युवाओं तक पहुँचायी जाती है। कहने का मतलब यह है कि जो ड्रग्स नहीं पकड़ी जाती है या पकड़ से बाहर होती है, उसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल होता है कि उसकी मात्रा कितनी अधिक होगी। इस अवैध करोबार का पैसा न तो इनकम टैक्स के दायरे में आता है और न ही देश हित में। मतलब साफ़ है कि काली कमायी का काला धन अब काले कारनामों को अंजाम देने में लग रहा है। ऐसा नहीं है कि इस बात की भनक सत्ता को नहीं होती; लेकिन कार्रवाई के तौर पर धरातल पर कुछ नहीं होता।
मौज़ूदा दौर में ड्रग्स की तस्करी और उसके सेवन करने वालों के मामले तब सामने आते हैं, जब कोई हाई प्रोफाइल पकड़ा जाता है। अन्यथा सच तो यह है कि देश के शहरों, क़स्बों से लेकर गाँवों तक के युवा-युवतियाँ और स्कूली छात्र-छात्राएँ ड्रग्स तस्करों के जाल में फँसकर तेज़ी से नशे की गिरफ़्त में आ रहे हैं। लेकिन कोई इस ओर ध्यान नहीं देता।
अब बात करते हैं अभिनेता शाहरूख़ ख़ान के बेटे आर्यन ख़ान की, जिसे नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने 2 अक्टूबर को अपतटीय क्षेत्र से एक क्रूज पोत पर रेव पार्टी में प्रतिबन्धित मादक पदार्थ के सेवन के आरोप में उनके दो साथियों अरवाज़ मर्चेंट और मुनमुन धामोचा के साथ गिरफ़्तार किया है। हाई प्रोफाइल होने की वजह से मामले ने तूल पकड़ा और एनसीबी भी बारीक़ी से हर तरह की जानकारी हासिल करने के लिए हर पहलू पर पड़ताल करते हुए उन तक पहुँचने की कोशिश कर रही है, जो इस नशीले-ड्रग्स के कारोबार से जुड़े हैं। एनसीबी ने छापेमारी की भनक तक किसी को नहीं लगने दी। उसे मालूम था कि मशहूर और रईस ख़ानदान से ताल्लुक़ रखने वाले ये युवा अपने बचाव के लिए दबाव और सिफ़ारिश का सहारा जरूर लेने की कोशिश करेंगे। इसलिए एनसीबी ने सभी के मोबाइल ज़ब्त करके मेडिकल जाँच करवाकर पुख़्ता सुबूतों को एकत्रित किया और उसी शाम को 7:00 बजे तीनों को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश किया।
इस मामले में सियासत और बालीबुड दो भागों बँटे नज़र आये। कोई आर्यन के पक्ष में खुलकर सामने आया, तो किसी ने इस कार्रवाई को सही ठहराया। फ़िलहाल मामला अदालत में है। इस मामले जो भी होगा, क़ानून के तहत ही होगा। क्योंकि ड्रग्स का मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा होता है। इस लिहाज़ से क़ानून को अपना काम करना ही चाहिए।