
क्या ‘थकान लगना’ भी कोई बीमारी है? या कि यह मात्र अन्य बीमारियों का एक लक्षण मात्र है? या कि यह कुछ भी नहीं- बस मन की एक स्थिति है? दरअसल, तीनों ही बातें सही हो सकती हैं.
जब भी आपको बेहद थका-थका लगे और आप इस सिलसिले में अपने डॉक्टर से मिलने जाएं तो इन तीनों ही संभावनाओं के बारे में मन को तैयार करके जाएं. यही काफी नहीं. पहले मेरी लिखी यह टिप्पणी भी पढ़ लें. समझ लें. फिर बाकायदा तैयार होकर जाएं. वर्ना प्राय: आप कोई टॉनिक या विटामिन की गोलियों का नुस्खा झुलाते हुए
वापस आएंगे.
थकान को लेकर कुछ बातें जान लें और कुछ प्रश्नों का उत्तर तैयार रखें :
1. यह सब थकान ही है, या हम किसी और तकलीफ को थकान का नाम दे रहे हैं?
यह बात सबसे महत्वपूर्ण है. प्राय: हम अपनी ही तकलीफ को बेहद उड़ती-उड़ती और लापरवाह भाषा में डॉक्टर को बताते हैं. ‘सर, दो-चार-दस दिनों से, कुछ बुखार-फुखार टाइप हो रहा है’- ऐसा कहकर आप मात्र भ्रम ही पैदा करते हैं. तो पहले यह तय करें कि जो भी आपको हो रहा है वह थकान ही है? कहीं काम करने पर सांस फूल जाती हो और उसे ही आप थकान का नाम देकर कम आंकने की कोशिश तो नहीं कर रहे? कहीं जरा सी मेहनत में ही आंखों के सामने अंधेरा या चक्कर तो नहीं आ जाते जिसे आप थकान बता रहे हो? कहीं जरा सा परिश्रम करने पर छाती तो भर नहीं जाती और आगे चलने से रोकती है- और इसे थकान मान बैठे हों आप?
मेरे पास बहुत बार ऐसे ही मरीज आते हैं. मालूम पड़ा कि एक सौ तीन बुखार है पर वे उसकी बात ही नहीं कर रहे. वे कह रहे हैं कि सर, बड़ी थकान लग रही है. बस. यदि बुखार होगा तो थकान तो होगी ही न. थकान का अर्थ थकान ही है. बैठे-बैठे भी हाथ-पांव थके से लगते हैं. काम करने की मानो क्षमता ही नहीं बची. हाथ-पांव टूटते से हैं. उठते ही नहीं. हम मानते हैं कि यह सब थकान के कारण हो सकता है, सो इसे भी थकान का नाम दे देते हैं. यदि डॉक्टर जल्दी में हो या गहराई से न पूछे तो उनसे कोई बड़ी बीमारी छूट सकती है. तो सोच समझकर अपनी तकलीफ सही से पूछें.
2. क्या थकान के साथ और भी कोई लक्षण हैं?
यदि थकान किसी अन्य बीमारी की वजह से हो रही है तो और लक्षण भी अवश्य होंगे. कई बार थकान इतनी ज्यादा होती है कि हम दूसरे ‘छोटे-मोटे’ लक्षणों पर ध्यान ही नहीं देते. डॉक्टर को पूरी बात न बताई तो वह आपके हाथ में टॉनिक नाम का ‘जांबाजी का द्रव्य’ पकड़ा देगा.
सोचिए थकान के साथ कुछ और तो नहीं हो रहा?