असम और मिजोरम के बीच चल रहे सीमा विवाद थमने का नाम नही ले रहा है। दोनों राज्यों के बीच यह विवाद बहुत पुराना है और पिछले महीने की झड़प के बाद हालात और बिगड़ गए हैं। हालांकि राज्य और केंद्र सरकार की ओर से शांति की कवायद की जा रही है, पर किसी खास नतजी पर नहीं पहुंच सके हैं। एक ओर असम जहां सीमा पर नई चौकी बना रहा है तो दूसरी ओर एक दूसरे के राज्यों से वाहनों और लोगों की आवाजाही पर लगभग पाबंदी जैसे हालात हैं।
मामले की गंभीरता को देखते हुए सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से असम के भाजपा सांसदों ने मुलाकात की है। पूर्वोत्तर के भाजपा सांसदों ने प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद असम-मिजोरम सीमा विवाद सहित क्षेत्र से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर एक ज्ञापन भी सौंपा। ज्ञापन में कहा गया है दोनों राज्यों में विश्वास-निर्माण के लिए काफी काम किया गया है, लेकिन कांग्रेस इससे खुश नहीं है। सांसदों ने आरोप लगाया कि कांग्रेस बांटने का काम कर रही है।
इससे पहले रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ टेलीफोन पर बातचीत की थी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा और मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथंगा से कहा था कि सीमा विवाद को शांत करने लिए जरूरी कदम उठाए जाएं। इस दौरान दोनों राज्यों के सीएम ने बातचीत से ही मुद्दे को हल करने की बात कही थी। इसके अलावा केंद्रीय गृह सचिव ने असम और मिजोरम के मुख्य सचिवों और दोनों राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर हालात की जानकारी ली थी।
दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री का रुख नरम