अभी मैदान में हैं इमरान!

शेक्सपियर ने लिखा था- ‘होना या न होना, यही बड़ा सवाल है।’ यह बात किसी हद तक पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान ख़ान पर लागू होती है। कहा जा सकता है कि इमरान ख़ान बोल्ड हो गये हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या वह वास्तव में आउट हो गये हैं? पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ के सदस्य जिस तरह से इस्लामाबाद, कराची, पेशावर, मलकंद, मुल्तान खानेवाल, खैबर, झांग और क्वेटा जैसे शहरों में रैलियाँ निकाल रहे हैं, उससे लगता है कि क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान ख़ान आख़िरी गेंद तक खेलने के लिए तैयार हैं। उन्होंने पाकिस्तान में अपनी सरकार के जाने के पीछे विदेशी षड्यंत्र बताया है। इसके ख़िलाफ़ नये स्वतंत्रता संग्राम की घोषणा के साथ अपना इरादा साफ़ कर दिया है।

इस पखवाड़े ‘तहलका’ के लिए अपनी आवरण कथा में विशेष संवाददाता राकेश रॉकी लिखते हैं- ‘सत्ता में आकर नया पाकिस्तान बनाने का वादा करने वाले इमरान ख़ान सत्ता चले जाने के बाद अब देश की जनता के बीच जाकर आज़ादी की नयी जंग लडऩे का ऐलान कर चुके हैं। इमरान का एजेंडा साफ़ है-जनता के बीच रहकर वर्तमान सत्तारूढ़ गठबंधन को भ्रष्ट बताते जाना, ताकि अगले चुनाव तक ख़ुद को प्रासंगिक बनाकर रखा जाए।’

नये घटनाक्रम के बाद पाकिस्तान 75 साल के अपने इतिहास में जकड़ी हुई राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितता को देखते हुए ख़ुद को चौराहे पर खड़ा महसूस करता है। पाकिस्तान में अगला आम चुनाव 2023 के आख़िर में होना है और इससे पहले मौज़ूदा उथल-पुथल शायद ही कम हो। यह स्थिति हम पर कैसे प्रभाव डालती है? यह आने वाले दिनों में देखा जाएगा; क्योंकि पहले ही पाकिस्तान के नये प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ संकेत दे चुके हैं कि वह भारत के साथ सम्बन्ध सुधारना चाहते हैं।