आज देश में बेरोज़गारी और महँगाई अपने चरम पर है। युवाओं को कहीं से भी अपनी आजीविका के लिए उम्मीद की किरण नज़र नहीं आ रही है। इन मुश्किल भरी परिस्थितियों में ऐसे अवसर तलाश करने की आवश्यकता है, जिससे युवाओं का भविष्य उज्ज्वल हो सके। ऐसे में बेरोज़गार युवाओं को चाहिए कि वे हुनरमंद बनें और अपने हुनर को दूसरी तरफ़ यानी स्वरोज़गार में लगाएँ। जो युवा किसी हुनर से वाकिफ़ नहीं हैं, वे प्रशिक्षण लेकर उसे अपना पेशा बनाकर एक पेशेवर के रूप में अपने आपको स्थापित करें। इससे उन्हें तो मज़बूती मिलेगी ही, साथ ही वे दूसरे बेरोज़गार युवाओं को भी रोज़गार दे सकेंगे। कहने का मतलब यह है कि आज हमें अपने पूर्वजों से सीख लेते हुए अपने पुराने धंधों की तरफ़ मुडऩे की आवश्यकता है।
इसमें कोई दो-राय नहीं है कि लोग शहरीकरण और शहरों की अन्य पद्धतियों से ऊब चुके हैं। इनमें से अधिकतर लोग ग्रामीण क्षेत्रों की ओर रुख़ कर रहे हैं, और वे वहीं पर मौज़ूद संसाधनों के ज़रिये रोज़गार की तलाश में भी हैं।
पूर्व सरकारों की तरह मौज़ूदा केंद्र सरकार और राज्य सरकारें भी कई प्रकार के प्रशिक्षण बेरोज़गार युवाओं को दे रही हैं, जिसमें मुख्य योजना है प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना। इसमें जिन युवाओं ने अपनी आर्थिक स्थिति ख़राब होने के कारण अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी हो, उन युवाओं को मुफ़्त प्रशिक्षण का प्रावधान है। प्रशिक्षण के साथ-साथ युवाओं को बाद में एक प्रमाण-पत्र भी दिया जाता है, जिसमें वह एक कर्मचारी के तौर पर भी कहीं नौकरी के अवसर तलाश सकता है, और स्वरोज़गार भी कर सकता है।
केंद्र के अलावा राज्य सरकारों ने इस योजना का लाभ देने के लिए हर राज्य में अलग-अलग प्रशिक्षण केंद्र खोले हैं। $गौरतलब है कि प्रशिक्षित होने के बाद उम्मीदवारों को एक प्रमाण-पत्र और 8,000 रुपये सहायता राशि भी दी जाती है। सरकार द्वारा यह सुविधा बेरोज़गारी कम करके युवाओं को रोज़गार और स्वरोज़गार मुहैया कराने के लिए लायी गयी है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत युवा जिस क्षेत्र में प्रशिक्षण लेना चाहते हैं, उसमें पहले उनकी योग्यता मापी जाएगी, फिर उसी योग्यता के अनुसार प्रशिक्षण दिया जाएगा।
मेरा मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बेरोज़गार युवा छ: महीने से एक साल का प्रशिक्षण लेकर अपना निजी कारोबार शुरू कर सकते हैं, जिसमें बहुत ज़्यादा पूँजी भी नहीं लगती। जैसे युवा अपने आसपास गाँव क़स्बा या तहसीलों में आप स्कूटर, बाइक या कार के मैकेनिक बन सकते हैं। अगर आप मध्य या निम्न वर्गीय किसान परिवार से ताल्लुक़ रखते हैं, तो आप चंद महीनों के प्रशिक्षण के बाद गाय, भैंस, बकरी से लेकर भेड़, सूअर, मुर्ग़ी, मछली और मधुमक्खी पालन सीख सकते हैं। डेयरी फार्मिंग के अलावा अधिक माँग वाली सब्ज़ियाँ, जैसे- मशरूम, नारंगी गाजर और ब्रोकली और दूसरी मौसमी हरी सब्ज़ियाँ उगा सकते हैं, जिनकी माँग शहरों में बहुत अधिक है। इसके अलावा जूते, बेल्ट, कपड़े, लकड़ी और अचार-पापड़ आदि बनाकर भी अच्छी कमायी कर सकते हैं। ग्रामीण लोग आजकल अपने इन चीज़ों के लिए शहरों का रुख़ करते हैं। उनको छोटे क़स्बों और उनके गाँव में अगर यह सुविधा मिले, तो उन्हें शहर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
ऐसे ही शहरों में आज मिट्टी के बर्तनों की भी भारी माँग है। ऐसे में युवा मिट्टी के बर्तन बनाने का प्रशिक्षण लेकर इस बेहतरीन काम को उद्योग के रूप में स्थापित कर सकते हैं। आज हल्दीराम, अग्रवाल और बीकानेर आदि मिठाई और नमकीन बेचकर एक बड़ा मुकाम हासिल कर चुके हैं। अगर इस काम में महारत हासिल करके युवा अच्छी क्वालिटी की मिठाइयाँ बनाकर अपना कारोबार करते हैं, तो अपने जीवन स्तर में सुधार कर सकते हैं। इसी तरह आज शहरों के ही नहीं, बल्कि गाँवों के भी हर घर में बिजली से चलने वाले उपकरणों की भरमार है। ऐसे में बिजली उपकरणों को निर्मित करके या बिजली मैकेनिक यानी लाइनमैन बनकर युवा इसमें भी अच्छा पैसा कमा सकते हैं। ज़ाहिर है कि आज नये मकानों में वायरिंग करने से लेकर एसी, कूलर व पंखे फिट करने, उन्हें ठीक करने के अच्छे दाम मिलते हैं। इस काम में बिजली मैकेनिकों की बहुत माँग रहती है। इसी तरह कारपेंटर, फॉल सीलिंग और अन्य तमाम कार्यों के लिए भी कारीगरों की भारी माँग रहती है। ऐसे ही आजकल घर से लेकर भवन निर्माण तक में लकड़ी, स्टील, लोहे से बनी चीज़ों की विकट माँग रहती है। इसलिए इन चीज़ों से जुड़े कारीगरों की, जिनको बढ़ईगीरी, वेल्डिंग और प्लंबर आदि के कार्य करने होते हैं, बड़े पैमाने पर ज़रूरत रहती है। बड़े व्यवसायियों को भी इनकी तलाश रहती है।