वर्षों से ‘तहलका’ ने अपनी खोजी पत्रकारिता और विभिन्न स्टिंग ऑपरेशंस के लिए नाम कमाया है। स्टिंग के साथ पत्रिका का सिलसिला क्रिकेट मैच फिक्सिंग घोटाले का पर्दाफ़ाश करने के साथ शुरू हुआ और फिर बड़ा अंडरकवर ‘ऑपरेशन वेस्ट’ ऐंड ‘सामना’ आया, जिसने रक्षा सौदों में भ्रष्टाचार की चूलें हिला दीं। इससे एक राष्ट्रीय बहस शुरू हुई और तत्कालीन रक्षा मंत्री तथा सत्तारूढ़ गठबंधन के वरिष्ठ सदस्यों को इस्तीफ़े देने के लिए मजबूर होना पड़ा। ‘तहलका’ के उठाये एक अन्य मामले में विशेष सीबीआई अदालत ने एक मेजर जनरल को दोषी ठहराया, जो तब तक सेवानिवृत्त हो गये थे। ‘तहलका’ के लिए यह जनहित की पत्रकारिता थी, जिसने इसे दो बार पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रेस संस्थान (आईपीआई) से अवॉर्ड दिलाया। ‘तहलका’ द्वारा बाद के वर्षों में कई अन्य अहम् स्टिंग ऑपरेशन किये गये, जिनसे यह सुनिश्चित हुआ कि पत्रकारिता के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण मोड़ था।
‘तहलका’ द्वारा निर्धारित उच्च आदर्शों को ध्यान में रखते हुए हम पत्रिका के इस अंक में अपनी कवर स्टोरी ‘नाता प्रथा या लिव-इन रिलेशनशिप?’ के साथ एक और ख़ुलासा कर रहे हैं। कई लोगों के लिए अज्ञात यह पुरानी प्रथा अभी भी राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों में प्रचलित है। यह प्रथा शुरू में महिलाओं, ज़्यादातर विधवाओं और बाल विवाह की शिकार महिलाओं को पुनर्विवाह के लिए सशक्त रास्ता खोलती थी। लेकिन अब यह दोषपूर्ण हो गयी है। अब यह देखा गया है कि पुरुष विवाहेत्तर सम्बन्धों के लिए इस प्रथा का एक लाइसेंस के रूप में दुरुपयोग कर रहे हैं। प्रथा को लेकर ‘तहलका’ की खोज से ज़ाहिर होता है कि इसके बहाने असहाय महिलाओं को बेचा जाता है; नीलाम किया जाता है और उनके पतियों द्वारा नयी महिलाओं को ख़रीदने के लिए पैसे की लूट होती है।
विवाह को हमेशा से ही पवित्र बंधन माना जाता रहा है। जैसा कि शब्द ‘नाता’ सिर्फ़ एक रिश्ते का संकेत देता है। इस प्रथा के तहत भावी पति को किसी भी शादी की रस्मों को करने की आवश्यकता नहीं होती है। केवल पुरुष को उस महिला को कुछ राशि का भुगतान करने की आवश्यकता होती है, जिसके साथ वह नाता करना चाहता है। चूँकि यह एक क़ानूनी विवाह नहीं है, इसलिए नाता प्रथा के तहत महिलाएँ न तो भरण-पोषण का दावा कर सकती हैं और न ही इस व्यवस्था से पैदा हुए उनके या उनके बच्चों के पास विरासत का कोई अधिकार रहता है। इस प्रथा को आधुनिक समय की ‘लिव-इन रिलेशनशिप’ कहा जा सकता है। यानी बिना किसी अधिकार के रिश्ता। दरअसल नाता प्रथा के तहत इस व्यवस्था से पैदा हुए हालात में महिलाओं और बच्चों का जीवन ज़्यादातर बर्बाद होकर बिखर जाता है।