दुनिया में किसी भी सत्ता की ऊँचाई पर पहुँचे अयोग्य लोग कभी न्याय नहीं करते। ऐसे किंकर्तव्यविमूढ़ लोगों का अहंकार चरम पर रहता है। किसी पद पर पहुँचने वाले ऐसे लोगों ने अब तक न जाने कितने ही होनहार लोगों का जीवन तबाह कर दिया, और लगातार कर रहे हैं। संस्कृत में नये तरीक़े से कहा जा सकता है- अभिमानी कस्यचित् हानिं कर्तुं न संकोचयति अर्थात् अहंकारी व्यक्ति किसी का नुक़सान करने से भी नहीं चूकता है। असल में अहंकारी लोग साज़िश करते हैं और इस तरह से करते हैं कि अधिकांश लोगों को उनकी साज़िश का पता ही नहीं चलता। लेकिन समझदार और ईमानदार लोग ऐसे किसी भी चेहरे पर चढ़े हुए हर मुखौटों को उतार फेंकते हैं। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करने वाली भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट के साथ जो हुआ, उसकी निंदा पूरे देश में हो रही है। सोशल मीडिया पर टिप्पणियों की बाढ़-सी आ गयी है। ऐसी साज़िशों की निंदा की भी जानी चाहिए। यह साज़िश सिर्फ़ विनेश के साथ ही नहीं हुई, पूरे भारत के साथ हुई है। भारत के नाम एक और स्वर्ण पदक जीतने की उम्मीद जगाने वाली विनेश का 100 ग्राम वज़न बढ़ा दिखाकर उन्हें अयोग्य खिलाड़ी साबित करने के षड्यंत्र ने पिछले साल की उनकी आशंका को सच साबित कर दिया। सेमीफाइलन में विनेश को जीत की बधाई न देना और बाहर होने पर षड्यंत्र पक्ष के लोगों का विनेश में ही दोष निकालना इसके प्रमाण हैं। कई अन्य विनेश-विरोधी गतिविधियों से विश्वास हो गया है कि उनके ख़िलाफ़ षड्यंत्र किया गया। षड्यंत्र होने का विश्वास इसलिए भी होता है कि जो खिलाड़ी अपनी एक दिन पहले की प्रतिस्पर्था में 50 किलो की थी और जिसने विश्व की सबसे बड़ी विजेता को हराया, वह जीतने के अगले दिन भी पहले 50 किलो की ही रहती हैं; लेकिन अंतत: 50 किलो 100 ग्राम की कहकर निकाल दी जाती हैं। उन्हें नंबर नहीं दिये जा रहे थे। साज़िश यहाँ तक हो रही है कि विनेश को रजत पदक देने से इनकार किया जा रहा है। लेकिन विनेश खेल से बाहर होकर भी जीत गयीं और दिलों में उन्हें जो जगह मिली है, वह स्वर्ण पदक से कहीं ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है।
पेरिस ओलंपिक-2024 के महिला फ्री स्टाइल 50 किलोग्राम की तीन प्रतिस्पर्धाओं में हिस्सा लिया। इसमें उन्होंने प्री-क्वार्टर फाइनल में 14 साल से लगातार जीतने वाली टोक्यो ओलंपिक की चैंपियन यूई सुसाकी को हराया। इसके बाद सेमीफाइनल में क्यूबा की युस्नेलिस गुजमैन लोपेज को 5-0 से हराया, जिसके बाद भारतीय पहलवान विनेश फोगाट फाइनल में पहुँचीं। लेकिन यहाँ 100 ग्राम वज़न के बहाने उन्हें प्रतिस्पर्धा से बाहर कर दिया गया। सार्वजनिक चर्चा है कि अब तक देश के लिए कई पदक जीतने वाली विनेश के साथ यौन उत्पीड़न के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने के अंजाम में जो हुआ, वह ठीक नहीं है। 28 मई को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकतंत्र के मंदिर कहे जाने वाले 1,200 करोड़ रुपये की लागत से बने नये संसद भवन का उद्घाटन कर रहे थे, उससे पहले आधी रात को विनेश के साथ अपराधियों जैसा बर्ताव किया जा रहा था। विनेश को जूतों तले रौंदा जा रहा था और उनके साथ उस तिरंगे को भी जूतों तले रौंदा जा रहा था, जिसे लेकर वह धरने पर बैठी थीं। उस समय न केंद्र सरकार ने देश का मान बढ़ाने वाली इस पीड़ित बेटी की मदद की और न ही किसी न्यायिक संस्था ने ही न्याय किया। विनेश के ख़िलाफ़ उनका करियर चौपट करने के षड्यंत्र रचे गये। आरोपी बृजभूषण ने तो यहाँ तक कह दिया कि 15-15 रुपये में मेडल मिलते हैं। महिला पहलवानों को मेडल और इनाम की राशि लौटाने की हूल भी बृजभूषण ने दी। लेकिन ख़ुद सत्ता नहीं छोड़ी। जब हर तरफ़ से दबाव बना और न्यायालय ने पुलिस को मामले की जाँच के आदेश दिये, तब केवल भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दिया। इस सबका सही जवाब विनेश ने जब अपनी प्रतिभा से दिया है, जिससे कई लोगों के अहं को गहरा धक्का लगा है। लेकिन अफ़सोस कि विनेश की तरह ही देश की कई प्रतिभाओं का करियर चौपट करने वाले लोग आज ऊँचे ओहदों पर बैठे हैं। ऐसे क्रूर लोगों का कोई विरोध कर दे, तो उसी के ख़िलाफ़ झूठी एफआईआर और कार्रवाई की जाती है। इस बार की मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए की केंद्र्र सरकार ने आपातकाल लागू करने के दिन 25 जून को संविधान हत्या दिवस घोषित किया है। जबकि लोकतंत्र की हत्या के कई उदाहरण इसी सरकार के पहले से लेकर तीसरे कार्यकाल में अब तक सामने आये हैं; लेकिन इस पर चर्चा भी नहीं की जाती।
दु:खद यह है कि विनेश फोगाट अपने साथ हुए इस अन्याय का सदमा सहन नहीं कर सकीं और उन्होंने खेल-जगत से संन्यास ले लिया। सोचिए, उन्होंने अपना पूरा करियर दाँव पर लगाते हुए अब तक की सारी मेहनत और अपने सपनों का ख़ून करते हुए किस भारी मन से सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा होगा- ‘माँ! कुश्ती मेरे से जीत गयी, मैं हार गयी। माफ़ करना आपका सपना मेरी हिम्मत सब टूट चुके। इससे ज़्यादा ताक़त नहीं रही अब। अलविदा कुश्ती 2001-2024, आप सबकी हमेशा ऋणी रहूँगी। माफ़ी!’ इसके जवाब में यही कहना होगा- ‘तुमने दिल जीत लिये विनेश!‘