सुनील कुमार
कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों का रोना प्रदेश की जनता से रो रहे हैं एवं बार-बार यह कह रहे हैं कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हैं। अभी शीघ्र ही में उन्होंने अपने भाषण में तो यह तक कह दिया कि हिंदू बटेंगे, तो कटेंगे। ऐसा लगने लगा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपनी सत्ता बचाकर रखने के लिए हिंदू-मुस्लिम करने के सिवाय कोई दूसरा उपाय अब नहीं सूझ रहा है। उनके शासन में हिंदुओं के प्रति भी स्पष्ट भेदभाव भी दिखता है। पिछड़ा एवं दलित वर्ग के लोग ही उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक संख्या वाले मतदाता हैं; मगर चुनाव के अवसर के अतिरिक्त इनके साथ भेदभाव ही होता है। अब पुन: जब सत्ता पर आँच आ रही है, तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हिंदुओं को एकजुट करने की चिन्ता सता रही है। हालाँकि अभी उत्तर प्रदेश में भाजपा के हाथ में 2027 तक सत्ता है। मगर भाजपा के प्रति मतदाताओं का रोष दिखने लगा है। एकता की बात करें, तो भाजपा में ही एकता नहीं है। योगी आदित्यनाथ की सरकार में ही कई मंत्री उनके धुर-विरोधी हैं। अपनी पार्टी में ही मतभेद एवं मनभेद के अतिरिक्त एक-दूसरे पर अविश्वास करने वाले भाजपा नेताओं के उत्तर प्रदेश में अगुवा बने योगी आदित्यनाथ हिंदुओं की एकता को लेकर चिन्तित इसलिए भी हैं, क्योंकि अब मतदाता ही उनकी सत्ता बचा सकते हैं।
राजनीति के जानकार एवं अनेक बार छोटे चुनाव लड़ चुके प्रदीप कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ को हिंदुओं की चिन्ता से अधिक अपनी सत्ता की चिन्ता है। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से भाजपा बुरी तरह पिछड़ गयी है, जिसके चलते योगी आदित्यनाथ को भविष्य का डर है। अब विधानसभा के उपचुनावों में जीत के आसार नहीं दिख रहे हैं, जिसके चलते उप चुनाव नहीं कराये जा रहे हैं। इसी डर के चलते योगी आदित्यनाथ हिंदुओं को बिना मतलब का डर बार-बार दिखा रहे हैं। वास्तव में इस प्रकार डराने के पीछे उनका अपना डर है। भाजपा कार्यकर्ता देवेंद्र कहते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले ही हिंदुओं को सचेत किया था कि वो एकजुट रहें। इसके उपरांत भी हिंदू बँट रहे हैं। अगर इसी तरह चलता रहा, तो बांग्लादेश जैसी स्थिति यहाँ भी हो सकती है। हालाँकि भाजपा कार्यकर्ता देवेंद्र यह स्पष्ट नहीं कर सके कि बांग्लादेश की स्थिति से उनका क्या तात्पर्य है? बांग्लादेश में सत्ता पलट का खेल हो गया एवं वहाँ स्थितियाँ अलग थीं। यह पूछने पर कि योगी आदित्यनाथ की सरकार में हिंदुओं को क्या लाभ हुआ है? देवेंद्र इतना ही बोलते रहे, हिंदू आज खुलकर जी रहे हैं एवं सुरक्षित हैं। पहले हिंदुओं डरकर रहना पड़ता था। भाजपा कार्यकर्ता देवेंद्र के इस उत्तर का भी कोई औचित्य समझ नहीं आता।
उपचुनाव में हार का डर
वास्तव में लोकसभा चुनाव नतीजों का डर भाजपा में दिखने लगा है। विश्लेषक कहते हैं कि 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में स्थिति को लेकर भाजपा की आंतरिक पड़ताल भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बेचैन किये हुए है। विश्लेषक कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में भाजपा एवं योगी आदित्यनाथ सरकार कई मोर्चों पर विफल हुए हैं। योगी आदित्यनाथ न विकास के नाम पर रामराज्य की कल्पना को साकार कर सके एवं न प्रदेश की व्यवस्था में सुधार ला सके। केवल विज्ञापनों एवं भाषणों में ही रामराज्य आया है एवं व्यवस्था में सुधार हुआ है। धरातल पर तो स्थिति कुछ और है।
लगता है कि भाजपा को लोकसभा चुनाव में पिछले लोकसभा चुनाव की अपेक्षा 29 सीटों की हानि होने से योगी आदित्यनाथ थर्राये हुए हैं। ऊपर से उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य उनके पद पर वक्र-दृष्टि गढ़ाए बैठे हैं। सत्ता के लिए भाजपा नेताओं में व्याप्त यह मनमुटाव योगी आदित्यनाथ को जनता के रोष से अधिक हानि पहुँचा रहा है। लगता है उपचुनाव में भाजपा के हार का डर भी चुनाव नहीं होने दे रहा है।
सोशल मीडिया पर कृपा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लगभग सात वर्ष के शासन में सरकार की कमियों को उजागर करने वाले पत्रकारों के साथ अच्छा बर्ताव नहीं हुआ। योगी आदित्यनाथ के शासन के इन सात वर्षों में कई पत्रकारों की हत्या हुई, कई पत्रकारों के विरुद्ध पुलिस ने आपराधिक मुक़दमे दायर किये एवं कई पत्रकारों को जेल भेजा गया। हालात ये रहे कि सच लिखने वाले पत्रकारों को धमकियाँ मिलती रहीं। मगर अब स्थिति यह आ पहुँची है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सोशल मीडिया संचालकों को साधने का प्रयास करना पड़ रहा है।
सुनने में आया है कि लोकसभा चुनाव में मनचाहे परिणाम न आने के कारणों पर भाजपा के आंतरिक सर्वेक्षण में पता चला है कि लोकसभा चुनाव में हार का एक बड़ा कारण सोशल मीडिया पर भाजपा के विरुद्ध चली मुहिम भी थी। विपक्ष को इसका बड़ा लाभ हुआ। अब योगी आदित्यनाथ सरकार ने सोशल मीडिया नीति को मंत्रिमंडल में पारित किया है, जिसके तहत सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर अर्थात् संचालकों को हर महीने दो लाख रुपये से लेकर आठ लाख रुपये तक सरकार दे सकती है।
विश्लेषक कहते हैं कि यह राशि सोशल मीडिया पर योगी सरकार की प्रशंसा के हिसाब से वितरित हो सकती है। क्योंकि सरकार ने सभी सोशल मीडिया संचालकों को एक समान तय राशि देने पर विचार नहीं किया है। मगर अभी तक पत्रकारीय संस्थानों से जुड़े पत्रकारों के लिए कोई लाभ देने की बात कानों तक नहीं पहुँची है। हालाँकि यह पैसा सरकार किसी को सीधे-सीधे न देकर उन्हें विज्ञापन देकर उसके भुगतान के रूप में देगी, जो सोशल मीडिया एवं अन्य डिजिटल नेटवर्क के माध्यम से अच्छी सामग्री उपलब्ध कराएँगे अथवा सरकार के कार्यों एवं उपलब्धियों का सकारात्मक विश्लेषण करेंगे।
दण्ड मिलेगा, अगर…
उत्तर प्रदेश में वास्तविक पत्रकारिता करने वालों के दिन तो अच्छे नहीं आये हैं; मगर सरकार का महिमामंडन करने वाले सोशल मीडिया संचालकों के दिन अच्छे आ ही गये। मगर इसके साथ ही उन पत्रकारों एवं सोशल मीडिया संचालकों को दण्डित भी किया जा सकता है, जो योगी सरकार के हिसाब से कोई अनर्गल सूचना अथवा समाचार फैलाते हैं।
विश्लेषक कहते हैं कि सरकार के विरुद्ध कोई समाचार अथवा सूचना प्रकाशित अथवा प्रसारित होने पर भी उसे राज्य एवं राष्ट्र विरोधी घोषित किया जा सकता है। हालाँकि सरकार कह रही है कि राष्ट्र विरोधी सामग्री प्रकाशित एवं प्रसारित करने पर सज़ा का प्रावधान किया है। मगर इसके पीछे सरकार का मतलब अपने ही विरोध से है। इसके अतिरिक्त अभद्र एवं अश्लील सामग्री प्रसारित करने पर मानहानि के मुक़दमे का सामना करना पड़ सकता है एवं दंड भरना पड़ सकता है। हालाँकि यह क़ानून पहले से ही है। अब तक राष्ट्रविरोधी गतिविधियाँ चलाने वालों के विरुद्ध धारा-66(ई), धारा-66(एफ) के तहत कार्रवाई होती थी।
यूनिफाइड पेंशन योजना
कुछ हो अथवा न हो मगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हर उस योजना को उत्तर प्रदेश में केंद्र सरकार की योजनाओं को सर्वप्रथम लागू करते हैं। अगस्त के तीसरे सप्ताहांत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सरकारी कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन योजना स्वीकृत की गयी। प्रधानमंत्री के इस निर्णय पर विपक्ष ने प्रतिक्रिया दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए एक्स पर पोस्ट कर लिखा है- ‘140 करोड़ देशवासियों के जीवन को सुगम बनाने हेतु सतत समर्पित आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के यशस्वी नेतृत्व में आज केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा यूनिफाइड पेंशन स्कीम (ups) को दी गयी मंज़ूरी अभिनंदनीय है। केंद्र सरकार के लाखों कर्मचारियों को लाभान्वित करता यह युगांतरकारी निर्णय उनके जीवन में आर्थिक सुरक्षा और सुखद भविष्य की सुनिश्चितता का नया सूर्योदय लेकर आया है। आपका हार्दिक आभार प्रधानमंत्री!’
विश्लेषक कहते हैं कि यदि सभी राज्य सरकारें इसे लागू करती हैं, तो लगभग 25 लाख केंद्रीय कर्मचारियों समेत लगभग 90 लाख सरकारी कर्मचारियों को इसका लाभ होगा। यह योजना 01 अप्रैल, 2025 से लागू होगी। इसके तहत 10 साल से अधिक एवं 25 साल से कम समय सरकारी सेवा करने वालों को न्यूनतम 10,000 रुपये मासिक पेंशन मिलेगी। हालाँकि इसमें संदेह है कि अगर यह पेंशन मिलेगी, तो पुरानी पेंशन का क्या होगा? इस पेंशन से पुरानी पेंशन अधिक है।
एक्सप्रेस-वे का निर्माण
उत्तर प्रदेश सरकार प्रयागराज में महाकुंभ के सजने से पूर्व की तैयारियाँ आरंभ करने में लग गयी है। महाकुंभ से पूर्व मेरठ से प्रयागराज तक गंगा एक्सप्रेस-वे का निर्माण होगा। यह एक्सप्रेस-वे लगभग 594 किलोमीटर लंबा बन रहा है, जिसे बनाने के लिए योगी सरकार ने मंत्रिमंडल में 5,664 करोड़ रुपये स्वीकृत किये हैं। समाचार मिला है कि गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना के लिए केंद्र सरकार से व्यावहारिकता अंतर अनुदान के मद से मदद प्राप्त नहीं हुई है। अत: सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के नमूना बोली आलेख व छूट समझौता के तहत पीपीपी मोड पर डीबीएफओटी के आधार पर पहल की गयी है। इस मद में शत-प्रतिशत भुगतान राज्य सरकार करेगी।
रेलवे स्टेशनों के बदले नाम
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जगहों एवं रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने में पूरे देश में प्रथम हो गये हैं। विकास हो अथवा न हो; मगर जगहों के नाम बदलना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नहीं भूलते। प्रदेश में कई जगहों के नाम बदलने के बाद अब 27 अगस्त को आठ रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने की आधिकारिक घोषणा की गयी है। ये सभी रेलवे स्टेशन उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल के हैं। इन स्टेशनों को अब संतों एवं स्वतंत्रता सेनानियों के नाम से जाना जाएगा। प्रशासन ने जायस रेलवे स्टेशन का नाम गुरु गोरखनाथ धाम, बनी रेलवे स्टेशन का नाम स्वामी परमहंस, मिसरौली रेलवे स्टेशन का नाम माँ कालिकन धाम, फ़ुरसतगंज रेलवे स्टेशन का नाम तपेश्वर धाम, अकबरगंज रेलवे स्टेशन का नाम नाम माँ अहोरवा भवानी धाम, वारिसगंज हाल्ट स्टेशन का नाम अमर शहीद भाले सुल्तान, निहालगढ़ स्टेशन का नाम महाराजा बिजली पासी रेलवे स्टेशन रखा है।
मगर इसे लेकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष एवं सांसद अखिलेश यादव ने तंज किया है कि भाजपा सरकार से आग्रह है कि केवल रेलवे स्टेशनों के नाम ही न बदलें, हालात भी बदलें। जब नाम बदलने से फ़ुरसत मिल जाए, तो रेल दुर्घटनाओं की रोकथाम को लेकर भी कुछ विचार करें। सोशल मीडिया को पैसा देने को लेकर भी योगी को विपक्ष ने घेरा है।