वाम दल अलग-अलग चुनाव लड़ने के अभ्यस्त हैं, अब एक होकर लड़ने को कैसे तैयार हो गए?
हम सांप्रदायिक ताकतों को रोकना चाहते हैं. देश को खतरा साफ दिख रहा है. नरेंद्र मोदी की सरकार सीधे-सीधे आरएसएस के अंग की तरह काम कर रहा है. इसी खतरे से देश को बचाने के लिए वाम एकता की जरूरत पड़ी है.
क्या यह एकता सिर्फ बिहार विधानसभा चुनाव के लिए ही है?
बिहार से वाम एकता की शुरुआत हुई है तो अब तय मानिए कि यही एकता और ताकत देश की राजनीति को राह दिखाएगी. इस चुनाव मे एक होकर हम फिर से बिहार में वर्ग संघर्ष को धार देने की कोशिश करेंगे, उससे देश को संदेश देंगे. हम वर्ग एकता की बात करते हैं. हमारी लड़ाई जाति और संप्रदाय की राजनीति करने वालों के साथ है.
लेकिन बिहार में तो वाम दल विडंबनाओं के भंवरजाल में फंसे रहे हैं. कभी लालू तो कभी नीतीश को समर्थन देते रहे हैं. उनका महागठबंधन भी तो भाजपा को ही रोकने के लिए काम कर रहा है, आप लोगों ने आर-पार के मौके पर अलग राह अपना ली, क्यों?
जदयू और भाजपा की नीतियों में कोई फर्क नहीं. और लालू प्रसाद यादव ने सामाजिक न्याय के नाम पर यहां के लोगों को ठगने का काम किया है. जदयू आज लड़ाई लड़ रही है, कल तक भाजपा के साथ ही थी. जनता के ऊपर आर्थिक दबाव बढ़ता जा रहा है. किसान आत्महत्या करने लगे हैं. हम इन नीतियों के खिलाफ एकजुट हुए हैं, सिर्फ सरकार बनाने के लिए नहीं. सरकार किसी की भी बने, हम तो जनता से सिर्फ यही कहेंगे कि सदन में वामपंथियों को इतनी संख्या भेजिए कि हम लोग जनता के सवाल को उठाने और दबाव बनाने की स्थिति में रहें.
इस बार के चुनाव में असली फैसला तो युवा मतदाता करेंगे. वाम गठबंधन के पास युवाओं के लिए क्या कोई खास एजेंडा है?
बिहार के युवा जान-समझ चुके हैं और देख रहे हैं कि वर्तमान में केंद्र में जो सरकार है, वह कुछ कॉरपोरेट घरानों के इशारे पर काम कर रही है. इससे युवाओं का कभी भला नहीं होने वाला. युवाओं के लिए स्थायी रोजगार का रास्ता हम ही तलाशेंगे.
प्रधानमंत्री अच्छे दिन की बात कर चुनाव में सीधे हस्तक्षेप कर रहे हैं. आपकी क्या रणनीति है?
उनके अच्छे दिन के बारे में किसी को बताने की जरूरत अब भी रह गई है क्या? देश की संपत्तियों पर कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया है. हमारा देश गरीब नहीं है. सरकार की नीतियां गलत हैं. इस देश को वैकल्पिक नीतियों की जरूरत है जो सिर्फ वामपंथ ही दे सकता है.