इस सत्र में पारित हो पाएगा वक़्फ़ विधेयक?

वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक को मार्च महीने की शुरुआत में लोकसभा में पेश किया जाना था; लेकिन वह सरकार की राजनीतिक मजबूरियों के कारण अटकता नज़र आ रहा है। जनता दल (यू) और तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) जैसे सहयोगी दल कम-से-कम बिहार विधानसभा चुनाव तक विधेयक को पारित नहीं होने देना चाहते, इसलिए सरकार ने लोकसभा में बहुमत होने के बावजूद संशोधित रूप में इसे पेश करने में देरी की है। ऐसा लगता है कि सरकार विपक्ष और सहयोगी दलों के साथ टकराव का एक और दौर नहीं चाहती।

हालाँकि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संसदीय पैनल द्वारा हाल ही में सुझाये गये बदलावों को शामिल करते हुए वक़्फ़ संशोधन विधेयक में प्रस्तावित संशोधनों को मंज़ूरी दे दी है, जिससे इस पर चर्चा और पारित होने का रास्ता साफ़ हो गया है। इसे 10 मार्च के बाद कभी भी पेश किया जाना था। लेकिन अब बजट सत्र 03 अप्रैल को समापन की ओर बढ़ रहा है तथा रमज़ान का महीना शुरू होने और जल्द ही ईद पड़ने के कारण सरकार अल्पसंख्यकों की भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाला कोई और क़दम उठाने के लिए इच्छुक नहीं है।

भाजपा द्वारा मुसलमानों को 32 लाख ‘सौग़ात-ए-मोदी’ किट वितरित करने के साथ, संदेश स्पष्ट है- कोई भी वक़्फ़ विधेयक कम-से-कम इस बजट सत्र में पेश होने पर भी पारित नहीं होगा। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा लोकसभा में पेश किये जाने के बाद अगस्त 2024 में विधेयक को जेपीसी के पास भेजा गया था। संसदीय पैनल ने बहुमत के साथ रिपोर्ट को अपना लिया, जबकि पैनल में विपक्षी दलों के सभी 11 सांसदों ने रिपोर्ट पर आपत्ति जतायी थी। उन्होंने असहमति नोट भी पेश किये थे। पैनल द्वारा इस महीने की शुरुआत में संसद के दोनों सदनों में 655 पृष्ठों की रिपोर्ट पेश की गयी थी।