अमेरिका की एक अदालत ने ट्रंप सरकार के उस फैसले को खारिज कर दिया है, जिसमें हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च के लिए दी जाने वाली 2.6 अरब डॉलर (करीब 21 हजार करोड़ रुपये) की फंडिंग रोक दी गई थी। अदालत ने कहा कि यह फैसला गलत था और सरकार ने कानून का पालन नहीं किया।
सरकार ने यह फंडिंग इसलिए रोकी थी क्योंकि हार्वर्ड ने सरकार की कुछ मांगे मानने से मना कर दी थीं। इनमें यूनिवर्सिटी में चल रहे विरोध प्रदर्शनों को रोकना, दाखिले की प्रक्रिया में बदलाव करना और कुछ विशेष नीतियां खत्म करना शामिल था। सरकार का आरोप था कि हार्वर्ड में यहूदी-विरोधी गतिविधियां हो रही हैं और वहां बहुत ज़्यादा उदारवादी सोच को बढ़ावा दिया जा रहा है। हार्वर्ड ने इन आरोपों से इनकार किया और सरकार की मांगों को ठुकरा दिया। इसके बाद अप्रैल में ट्रंप प्रशासन ने यूनिवर्सिटी की फंडिंग रोक दी और कहा कि हार्वर्ड अब रिसर्च के लिए सरकारी मदद नहीं पा सकेगा।
लेकिन अदालत ने अपने फैसले में कहा कि सरकार ने बिना ठोस वजह के फंडिंग रोकी और यह कानूनी रूप से गलत है। अदालत ने यह भी कहा कि सरकार को किसी यूनिवर्सिटी पर दबाव डालकर उसकी नीतियां नहीं बदलवानी चाहिए।
हार्वर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि वे यहूदी-विरोधी के खिलाफ हैं, लेकिन सरकार को यह हक नहीं है कि वह किसी यूनिवर्सिटी को बताए कि उसे क्या पढ़ाना चाहिए या किसे दाखिला देना चाहिए। वहीं व्हाइट हाउस की प्रवक्ता ने फैसले की आलोचना की और कहा कि सरकार इस फैसले के खिलाफ अपील करेगी। अदालत ने हार्वर्ड के हक में फैसला दिया है और साफ कहा है कि सरकार यूनिवर्सिटी की फंडिंग ऐसे नहीं रोक सकती। यह यूनिवर्सिटी की आज़ादी और कानून दोनों के खिलाफ है।