एक ओर भारत जैसे देशों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की बात करने वाले पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब चीन पर मेहरबान नजर आ रहे हैं। उन्होंने चीन के प्रति एक बड़ा नीतिगत बदलाव दिखाते हुए 6 लाख चीनी छात्रों को अमेरिकी वीजा उपलब्ध कराने का ऐलान किया है। ट्रंप का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों के बीच व्यापार को लेकर अहम बातचीत चल रही है।
सोमवार को व्हाइट हाउस में एक पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए ट्रंप ने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच ‘बहुत महत्वपूर्ण संबंध’ हैं। उन्होंने कहा, “हम उनके (चीन के) छात्रों को आने की अनुमति देने जा रहे हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण है, 600,000 छात्र। हम चीन के साथ मिलकर काम करेंगे।” इस घोषणा के साथ ही ट्रंप ने 6 लाख चीनी छात्रों के लिए अमेरिकी कॉलेजों में पढ़ाई का रास्ता खोल दिया है।
यह फैसला ट्रंप प्रशासन द्वारा पहले अपनाए गए आक्रामक रुख से एक बड़ा यू-टर्न है, जिसमें चीनी नागरिकों, खासकर कम्युनिस्ट पार्टी या संवेदनशील शोध क्षेत्रों से जुड़े लोगों के वीजा को रद्द करने की बात कही गई थी। ट्रंप के इस नए ऐलान से उनके कट्टर समर्थक भी अब उनकी आलोचना करने लगे हैं।
यह कदम दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच चल रही उच्च-स्तरीय व्यापार वार्ता के बीच उठाया गया है। दोनों देश टैरिफ, अमेरिकी उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण रेयर अर्थ मैग्नेट की सप्लाई और अमेरिका में बने उन्नत एआई चिप्स तक चीन की पहुंच जैसे मुद्दों पर समझौता करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, इस नरमी के बीच ट्रंप ने चीन को चेतावनी देते हुए यह भी कहा कि बीजिंग को रेयर अर्थ मैग्नेट तक वॉशिंगटन की पहुंच सुनिश्चित करनी होगी, अन्यथा उसे 200 फीसदी टैरिफ का सामना करना पड़ेगा।