अच्छा काम करने वालों को मिलेगा मौका, लापरवाही पर लगेगी रोक

अंजलि भाटिया
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने अब राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनाने वाली कंसल्टेंट कंपनियों की रेटिंग कराने का फैसला किया है। इसका मकसद है,जो कंपनियां बेहतर काम करें, उन्हें आगे बढ़ाया जाए, और जिनका काम कमजोर हो, उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाए।
सरकार को अक्सर ये शिकायत मिलती रही है कि डीपीआर में गलतियां होती हैं, जिससे हाईवे प्रोजेक्ट्स पर्यावरण मंजूरी, वन विभाग की अनुमति और भूमि अधिग्रहण जैसे मामलों में फंस जाते हैं। इससे प्रोजेक्ट की लागत भी बढ़ जाती है और समय भी खराब होता है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 7 जुलाई को इस रेटिंग सिस्टम का ड्राफ्ट तैयार कर हितधारकों से सुझाव मांगे हैं। सुझाव मिलने के बाद इस व्यवस्था को लागू कर दिया जाएगा। डीपीआर तैयार करने वाली कंपनियों को 1 से 5 तक की रेटिंग दी जाएगी। ये रेटिंग कई बातों को ध्यान में रखकर तय की जाएगी, हाईवे का सही एलाइनमेंट, समय पर पर्यावरण और वन मंजूरी और जमीन अधिग्रहण की स्थिति और बिजली के पोल, तार, ट्रांसफॉर्मर जैसी जनसुविधाएं। अगर कंपनी की बनाई डीपीआर में प्रोजेक्ट की लागत टेंडर के मुकाबले 0.5% के भीतर रहती है, तो उसे पूरे अंक मिलेंगे। लेकिन अगर लागत का अंतर ज्यादा हुआ, या मंजूरी में देर लगी, तो कंपनी की रेटिंग घटती जाएगी।
जिन कंपनियों की रेटिंग लगातार खराब रहेगी, उन्हें भविष्य में नए डीपीआर प्रोजेक्ट्स मिलने में दिक्कत आएगी। वहीं, अच्छा काम करने वाली कंपनियों को प्राथमिकता दी जाएगी।
रेटिंग की प्रक्रिया हर साल दो बार 30 मार्च और 30 सितंबर तक की जाएगी।
डीपीआर किसी भी राजमार्ग प्रोजेक्ट की रीढ़ होती है। इसमें छोटी-छोटी चूक से पूरा प्रोजेक्ट अटक सकता है। सरकार की यह पहल प्रोजेक्ट्स को समय पर और तय बजट में पूरा करने की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है।