महाराष्ट्र में कहीं पानी, कहीं प्यास

के. रवि (दादा)

महाराष्ट्र में पीने के पानी की दिक़्क़त बढ़ती जा रही है। ये दिक़्क़त कोई आज की नहीं है, पर इसका समाधान नहीं होने के चलते बढ़ती जा रही है। वहीं दूसरी तरफ़ बारिश के पानी की आफ़त जब बरसात के महीने में महाराष्ट्र पर टूटती है, तो महाराष्ट्र के कई गाँव और कई शहर पानी में डूबने लगते हैं। पहली ही बरसात में महाराष्ट्र के कई इलाक़ों समेत मुंबई में बृहन्मुंबई नगर पालिका के काम की तो पोल खुल ही गयी है, महाराष्ट्र सरकार के मेट्रो के काम भी पोल खुल गयी है, जो पहली ही बरसात में किसी झोपड़पट्टी से भी बुरी तरह तहस-नहस हो गया। अफ़सोस यह है कि महाराष्ट्र में अब तक रही सरकारोंं से लेकर मौज़ूदा महायुति सरकार ने भी इसका कोई ख़ास समाधान न किया है, जिसका ख़ामियाजा मुंबईकरों को झेलना पड़ता है। मायानगरी के नाम से दुनिया भर में मशहूर मुंबई सरकार को और सरकारी विभागों को ख़ूब सारा पैसा टैक्स के रूप में देती है; पर मुंबईकरों को इसके बदले बदहाली के अलावा कुछ नहीं मिलता। इसके चलते जहाँ पानी की आफ़त बरसात में नहीं आती, जहाँ की सीवर लाइनें ठीक काम करती हैं और जहाँ पीने के पानी भी आराम से मिल जाता है, मुंबई में वहाँ फ्लैटों की क़ीमत ही करोड़ों रुपये होती है।

दूसरी तरफ़ मुंबई में पानी सप्लाई करने वाली झीलों में पानी काफ़ी कम होने के चलते बृहन्मुंबई नगर निगम ने मुंबईकरों के पानी की सप्लाई में कटौती कर रही है। मई के महीने में मुंबईकरों को पानी के लिए कई बार परेशान रहे हैं। बृहन्मुंबई नगर निगम ने ऐलान किया है कि मुंबई में पानी की सप्लाई में 30 मई से पाँच प्रतिशत और 05 जून से 10 प्रतिशत कटौती की जाएगी। इस जानकारी को साझा करने के साथ ही बृहन्मुंबई नगर निगम ने मुंबईकरों को पानी की बचत करने की सलाह दी है। बृहन्मुंबई नगर निगम का कहना है कि पिछले साल बरसात कम होने के कारण पिछली बार के मुक़ाबले इस बार डैम में 5.64 प्रतिशत पानी कम है। बृहन्मुंबई नगर निगम के सूत्रों ने बताया है कि मुंबई की झीलों में दो महीने से भी कम समय तक की सप्लाई का पानी बचा है। अपर वैतरणा, मध्य वैतरणा, तानसा, भातसा, मोडक सागर, तुलसी और विहार झीलों से हर दिन मुंबईकरों को लगभग 3,850 एमएलडी से ज़्यादा पानी की आपूर्ति की जाती है; पर अब इन झीलों में पानी कम होने के चलते आपूर्ति कम हो पा रही है।

सप्लाई के पानी की दिक़्क़त के साथ मुंबई की सीवर लाइन, नालों में पड़ी गंदगी और बरसात में बाढ़ की आफ़त भ्रष्टाचार के नमूने हैं, जिसका इल्ज़ाम लगातार बृहन्मुंबई नगर निगम पर लगता रहता है। मुंबईकरों का कहना है कि जिस नगर निगम को देश के हर नगर निगम से ज़्यादा टैक्स मिलता है, उसमें भ्रष्टाचार व्याप्त होना कोई अनोखी बात नहीं है; पर इतना भ्रष्टाचार भी ठीक नहीं कि अभी तक मुंबई की इन चार समस्याओं का इलाज ही नहीं हुआ है। मुंबईकरों का सीधा सवाल है कि अभी तक बृहन्मुंबई नगर निगम ने इन समस्याओं का हल क्यों नहीं निकाला है?

कुछ लोगों को ऐसा आरोप है कि बृहन्मुंबई नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी सिर्फ़ कमायी करते हैं, काम नहीं। बरसात आने पर जब सड़कों से लेकर बिल्डिंगों तक में पानी भर जाता है, तभी मुंबईकरों में भी हाहाकार मचता है और बृहन्मुंबई नगर निगम के भी अधिकारियों-कर्मचारियों की नींद खुलती है। उसके बाद सब भूल जाते हैं।

असल में मुंबई में नालों और सीवर की सफ़ाई का काम ठीक से कभी नहीं होता है। टूटे हुए नालों और सीवरों की मरम्मत का काम भी पूरी तरह से नहीं होता है। बृहन्मुंबई नगर निगम जहाँ समस्या होती है, वहीं इलाज करने की कोशिश करता रहता है। पूरे मुंबई शहर के सीवरों को बरसात के आने पर साफ़ करना नामुमकिन है और बृहन्मुंबई नगर निगम यही करता है। पर साल के पूरे 365 दिन सफ़ाई का काम हो, तो मुंबई में बरसात में बिल्डिंगों में पानी नहीं भर सकेगा।

महाराष्ट्र में मानसून दस्तक दे चुका है, जो मुंबईकरों के लिए हर साल परेशानी लेकर आता है। कई बार बरसात का इतना पानी भर जाता है कि मुंबई थम जाती है। बिल्डिंगों में सीवर मिला हुआ बरसात का पानी भर जाता है, जिसकी दुर्गंध पानी निकलने के बाद भी कई दिनों तक रहती है। बरसात का पानी भरने से लोगों का बहुत सामान ख़राब होता है।

मौसम विभाग ने बरसात का अलर्ट जारी करते हुए लोगों से सावधानी बरतने की अपील करते हुए पश्चिमी महाराष्ट्र के कई इलाक़ों के अलावा मुंबई, नवी मुंबई, कोंकण, रायगढ़ के लिए रेड अलर्ट जारी किया है, जबकि ठाणे और पालघर के लिए ऑरेंज अलर्ट और पुणे, नासिक, कोल्हापुर, सिंधुदुर्ग, रत्नागिरी और सतारा के लिए येलो अलर्ट जारी किया है।