चंडीगढ़ की पीसीए में नहीं होती सुनवाई

रविन्द्र कांबोज

हरियाणा सरकार द्वारा करोड़ों रुपये ख़र्च करके एक सफ़ेद हाथी पाला हुआ है, जिसे पुलिस कंप्लेंट्स अथॉरिटी (पीसीए) के नाम से जाना जाता है। इस अथॉरिटी में एक चेयरमैन और दो मैंबर्स होते, अक्सर ये रिटायर आईएएस और आईपीएस अधिकारी होते हैं। इन सबके साथ 40 से 50 लोगों का स्टाफ, सरकारी गाड़ियाँ, गनमैन इत्यादि सभी सरकार की ओर से होता है। पीडब्लूडी की पूरी बिल्डिंग चण्डीगढ़ में इस अथॉरिटी के पास है। सरकार ने इस अथॉरिटी को काम दिया है कि पुलिस की नाइंसाफ़ी से आम जनता की रक्षा करे और उन्हें न्याय दिलाए। यदि पुलिस महकमे के किसी मुलाज़िम ने ग़लत तफ़तीश की, तो उस पर भी ये अफ़सर महकमे को कार्रवाई के लिए आदेश दे सकते हैं। परन्तु यह कार्रवाई पुलिस अधिकारियों को करनी होती है।

यह अफ़सरों की मर्ज़ी होती है। कार्रवाई करें या आदेश रद्दी में डाल दें। अक्सर पुलिस के नीचे के अधिकारी अपने बड़े अधिकारियों की शह के बिना ग़लत काम नहीं करते। इसीलिए वे अन्य किसी भी कार्रवाई से नहीं डरते, चाहे वो कोई भी अथॉरिटी हो। पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी में शिकायत करने पर लगभग तीन महीने से पहले सुनवाई की तारीख़ नहीं मिलती। और उसके बाद की तारीख़ पुलिस वालों पर निर्भर है कि वे कब की क़ुबूल करें। जिस तारीख़ को वे मानेंगे, वही सबको माननी पड़ेगी। और इस कार्रवाई में महीनों निकल जाते हैं। इधर भागदौड़ में शिकायतकर्ता भी थक जाता है। इन सबके बाद पुलिस कह देती है कि केस का चालान कोर्ट में पेश कर दिया है। अब कुछ नहीं हो सकता। शिकायत को लंबा करने के लिए पुलिस अधीक्षक कई आईओ बदल देते हैं। जब भी अथॉरिटी में पेशी होती है, तो आईओ के पास अगली तारीख़ लेने का बहाना हो जाता है कि मेरे पास तो अभी फाइल आयी है।

ऐसी ही एक शिकायत रविन्द्र कुमार वासी कुरुक्षेत्र ने पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी चण्डीगढ़ में 21/7/2023 को आईओ सब इंस्पेक्टर विजय कुमार के ख़िलाफ़ की थी। एक साल से अधिक समय और 08 तारीख़े मिलने के बाद भी उस शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। आईओ के ख़िलाफ़ शिकायत की तफ़तीश पर अथॉरिटी ने कुरुक्षेत्र के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक सुरेन्द्र भोंरिया को पत्र लिखा। अधीक्षक सुरेन्द्र ने तफ़तीश के लिए डीएसपी को निर्देश दिये और डीएसपी ने गोल-मोल रिपोर्ट अथॉरिटी को भेज दी। उस रिपोर्ट को अथॉरिटी के जज ने भी ध्यान से नहीं पढ़ा, और विजय कुमार पर कार्रवाई न हो, इसके लिए केस का रुख़ अगली कार्रवाई पर मोड़ दिया। अगर पुलिस की कार्रवाई से ही शिकायतकर्ता सन्तुष्ट होता, तो उसे चण्डीगढ़ जाने कि क्या आवश्यक थी? जबकि विजय कुमार आईओ की शिकायत को लेकर एसपी को शिकायतकर्ता तीन बार मिला। परन्तु वहाँ से कार्रवाई न होने के कारण ही शिकायतकर्ता को पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी चण्डीगढ़ जाना पड़ा।

कम्पलेंट अथॉरिटी उन्हीं से दोबारा जाँच करवाकर क्या शिकायतकर्ता को मूर्ख बना रही है? शिकायतकर्ता लगभग एक साल एक महीने पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी के चक्कर लगाता रहा, परन्तु सुबूत होने के बावजूद कोई कार्रवाई किसी पुलिसकर्मी पर नहीं हुई। रिकॉर्ड में दर्ज है कि आईओ विजय कुमार, सब इंस्पेक्टर सुरेश कुमार और इंस्पेक्टर जगदीश कुमार ने आरोपी के साथ मिलकर जालसाज़ी की है, जो उस समय थाना महेश नगर, अंबाला शहर में तैनात थे।

13 अगस्त को शिकायतकर्ता को अथॉरिटी की तरफ़ से बताया गया कि हम आईओ को कोई निर्देश नहीं दे सकते। और इन पर कार्रवाई से आपको कोई लाभ नहीं होगा। यह तो एक छोटा-सा केस था। पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी, चण्डीगढ़ में ऐसी बहुत-सी शिकायतें आती हैं। लेकिन शिकायतकर्ता चक्कर लगा-लगाकर मायूस लौट जाते हैं। ख़ास बात यह है कि जिनके ख़िलाफ़ शिकायत होती है, वे अधिकारियों के साथ एसी में बैठकर चाय-नाश्ता करते हैं और शिकायतकर्ता बाहर गर्मी में खड़े होकर दो-दो घंटे अपनी बारी आने की प्रतीक्षा करते रहते हैं। हरियाणा सरकार सिर्फ़ अपने चहेतों को सुविधा देने के नाम पर लोगों के टैक्स के करोड़ों रुपये बर्बाद कर रही है, जो इस पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी पर ख़र्च हो रहे हैं, जिसका कोई औचित्य नहीं है। अगर किसी स्वतंत्र एजेंसी से इसके कार्यों की जाँच हो, तो पता चलेगा कि बिना किसी काम के इस अथॉरिटी पर सरकार करोड़ों रुपये उड़ा रही है।