योगेश
राजस्थान में नक़ली खाद की फैक्ट्रियाँ पकड़े जाने के बाद उत्तर प्रदेश के हापुड़ में नक़ली खाद के हज़ारों बोरे पकड़े गये हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पड़ने वाले हापुड़ में 24 से 26 जून तक हुई छापेमारी में दो गोदाम पकड़े गये, जिनमें 10 बड़ी खाद कम्पनियों के नाम के 40,000 से ज़्यादा बोरे मिले। ये बोरे असली बोरों की तरह ही छपे हुए थे, जिन पर सब्सिडी समेत खाद का भाव और प्रधानमंत्री मोदी की फोटो भी छपी थी। इन बोरों पर प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना लिखा हुआ मिला। हापुड़ पुलिस ने छापेमारी के बाद ख़ुलासा किया कि नक़ली बोरों का एक गोदाम 24 को पकड़ा गया, उसके बाद दूसरा गोदाम 26 जून को पकड़ा गया। इन गोदामों में 10 से ज़्यादा नामचीन कम्पनियों के नाम से छपे नक़ली खाद के 40,000 से ज़्यादा ख़ाली बोरे मिले। इन बोरों को उत्तर प्रदेश रोडवेज बसों में लादकर दूसरे ज़िलों में पहुँचाया जाता था।
ये नक़ली बोरे ऐसे थे कि इनकी पहचान करना मुश्किल है कि ये असली हैं या नक़ली। पुलिस ने बताया कि ये बोरे दिल्ली में छपते थे और हापुड़ से जगह-जगह नक़ली खाद बनाने वालों को बेचे जाते थे। पुलिस को जिन गोदामों से नक़ली बोरे बरामद हुए, उन क़दमों का मालिक पीयूष बंसल फ़रार है; लेकिन दोनों गोदानों के देखरेख करने वले हनी गुप्ता को पुलिस ने गिरफ़्तार करके पूछताछ की है।

हनी गुप्ता ने पुलिस को बताया कि बोरों का ऑर्डर मिलने पर वह रोडवेज बसों में उन्हें रख देता था, जो 30 रुपये प्रति बोरा के हिसाब से बिकते थे।
खाद के ये नक़ली बोरे हर दिन 500 से 1000 तक दूसरे ज़िलों में भेजे जा रहे थे। एक बंडल में 100 से 500 तक बोरे बाँधकर हनी गुप्ता भेजता था। उसे एक बंडल की ढुलाई के 50 रुपये मिलते थे, जिससे वो 300 रुपये तक रोज़ कमा लेता था और गोदामों की निगरानी में उसे अलग रुपये मिलते थे। हनी गुप्ता ने पुलिस को बताया कि ये बोरे मुज़फ़्फ़रनगर, मुरादाबाद, आगरा, बरेली, शाहजहाँपुर और दूसरे ज़िलों को जाने वाली बसों में रखकर भेजे जाते थे। इन नक़ली बोरों पर यूरिया खाद का असली सरकारी भाव 2177.35 रुपये लिखी थी, जिस पर केंद्र सरकार की सब्सिडी 477.35 रुपये लिखी हुई थी, जिसके बाद एक बोरी का बाज़ार भाव 1,700 रुपये लिखा हुआ था। इन बोरों को बनाने वाली कम्पनी का नाम चंबल फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड लिखा था। बहुत बोरों पर इफको भी लिखा था, जिस पर सब्सिडी के बाद 1350 रुपये भाव था।
इस मामले में हापुड़ पुलिस जाँच कर रही है, जिससे नक़ली खाद बनाने वाले पकड़ में आ सकें। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार को इस दिशा में कड़ाई से जाँच करने की ज़रूरत है, जिससे नक्काल पकड़े जा सकें और किसानों को ठगी से बचाया जा सके। हापुड़ पुलिस यह मान रही है कि नक़ली खाद बनाने वाला पूरा गैंग होगा। पुलिस अभी पीयूष बंसल को गिरफ़्तार नहीं कर सकी है। आगे भी कोई ऐसी कार्रवाई नहीं हो रही है, जिससे नक़ली खाद और नक़ली बोरे बनाने वाले पकड़े जा सकें। इससे यह तो तय है कि नक़ली खाद बनाने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में सरकार और पुलिस रुचि नहीं ले रही है। नक़ली खाद के बिकने का एक सुराग़ मिलने के बाद यह कहना चाहिए कि नक़ली खाद की बिक्री किसानों को धोखा देकर ख़ूब की जा रही है। लेकिन इस बीच खाद की कमी दिखाकर कालाबाज़ारी भी ख़ूब हो रही है। धान की पौध रोपने का समय चल रहा है और किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है। धन की फ़सल में उर्वरक खादों की माँग बढ़ जाती है और हर साल नक्काल अपनी नक़ली खाद महँगे भाव में खपाने में कामयाब होते हैं, तो खाद विक्रेता किसानों को खाद 30 प्रतिशत से 55 प्रतिशत तक महँगी बेचते हैं। इसके अलावा दुकानदार किसानों को खाद के बोरे के साथ कीटनाशक और दूसरी दवाएँ जबरन किसानों को बेच रहे हैं। दुकानदार किसानों को खाद का बोरा तभी दे रहे हैं, जब किसान उसके भाव ज़्यादा देने के अलावा दुकानदार की शर्त मानकर कीटनाशक या घास मारने वाली दवा ख़रीद रहे हैं। किसान मजबूर होकर खाद को एमआरपी से ज़्यादा पर ख़रीदने को मजबूर होते हैं।
पहले से ही महँगी हो रही उर्वरक खादों की कालाबाज़ारी और ज़्यादा भाव में बेचे जाने में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सबसे ऊपर हैं। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में कालाबाज़ारी का यह खेल हर साल किया जाता है, जिससे मजबूर किसानों को लूटा जा सके। उत्तर प्रदेश के कई ज़िलों में खाद की भारी कमी है। मध्य प्रदेश के खरगोन के ज़िले में स्थित मध्य प्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ पर खाद लेने के लिए किसान रात को ही लाइन लगाकर खड़े हो जाते हैं और भूखे-प्यासे रहकर शाम तक लगे रहते हैं, फिर भी बहुत किसानों को उर्वरक खाद नहीं मिल पाती। अगर सरकारी संस्थाओं का यह हाल है, तो दुकानदारों को कालाबाज़ारी करने से कौन रोकेगा?
उत्तर प्रदेश में खाद की कालाबाज़ारी पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कालाबाज़ारी करने वालों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई के निर्देश दिये हैं। इससे यह तय होता है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कालाबाज़ारी की बात को मान लिया है। लेकिन उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही अब भी खाद की कमी को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। ऐसा तब है, जब कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ख़ुद लखनऊ के ज़िला कृषि अधिकारी के साथ मिलकर बख़्शी का तालाब स्थित एक यूरिया खाद के गोदाम मैसर्स किसान खाद भंडार पर गये और खाद के भाव पूछे। दुकानदार ने उन्हें 266.50 रुपये वाले खाद के बोरे के भाव उन्हें भी ज़्यादा बताये। तब कृषि मंत्री ने दुकानदार के ख़िलाफ़ कार्रवाई के आदेश दिये, जिसके बाद उसका खाद का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया।
इतने पर भी कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही कह रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में खाद की कोई कमी नहीं है। कृषि मंत्री ने कहा है कि राज्य में 15 लाख मीट्रिक टन यूरिया, 3.14 लाख मीट्रिक टन एसएसपी, 2.91 लाख मीट्रिक टन एनपीके, 2.90 लाख मीट्रिक टन डीएपी, 0.77 लाख मीट्रिक टन एमओपी उपलब्ध है, जिसका स्टॉक अभी केंद्र से खाद मिलने पर बढ़ जाएगा। लेकिन उन्होंने कालाबाज़ारी करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की साफ़ चेतावनी दी है। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने किसानों से कहा है कि महँगे भाव में यूरिया को बेचा जाना किसानों के साथ धोखा है। उन्होंने कहा कि यह उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 और आवश्यक वस्तु अधिनियम के प्रावधानों का खुला उल्लंघन है। उन्होंने कृषि अधिकारियों को आदेश दिये हैं कि वे राज्य में खाद की कालाबाज़ारी को रोकने के लिए इसकी जाँच करें और रिपोर्ट सरकार को भेजें। आदेश दिया गया है कि कृषि विभाग ने सभी ज़िला कृषि अधिकारियों से हर दिन खाद की बिक्री और मौज़ूदा स्टॉक का ब्योरा माँगा जा रहा है। फील्ड में उतारे गये अधिकारी गोपनीय तरीक़े से ज़िलों में जाँच कर रहे हैं। जाँच रिपोर्ट के आधार पर गड़बड़ी करने वाले खाद विक्रेताओं और ज़िले के लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई होगी।
कृषि अधिकारी कह रहे हैं कि राज्यों से सटे उत्तर प्रदेश के ज़िलों में विशेष चौकसी की जा रही है, जिससे नक़ली खाद राज्य में न आ सके। लेकिन राज्य के अंदर ही बनने वाली नक़ली उर्वरक खादों को लेकर कोई कुछ नहीं कह रहा है। कई ज़िलों में खाद की समस्या है और नक़ली खाद का किसानों को डर सता रहा है। रबी की फ़सलों के सीजन में सरकार के पास भी नक़ली खादों के बिकने और खाद की कालाबाज़ारी की शिकायतें मिली थीं।
दूसरे राज्यों से लगने वाली उत्तर प्रदेश की सीमाएँ सहारनपुर, पीलीभीत, आगरा, मथुरा, महोबा, गाजीपुर, ललितपुर, बांदा, सोनभद्र, श्राबस्ती, चित्रकूट, बलिया, कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, लखीमपुर खीरी ज़िलों से मिलती हैं। इन राज्यों में पुलिस निगरानी बढ़ायी गयी है; लेकिन हापुड़ में पकड़े गये नक़ली खाद के बोरों की जाँच को आगे बढ़ाते हुए नक़ली खाद बनाने वाले अभी नहीं पकड़े गये हैं। कई ज़िलों के किसान शिकायत कर रहे हैं कि उनके पास के सहकारी समितियों में खाद की बहुत कमी है। इसके चलते उन्हें ज़्यादा पैसे देकर दुकानों और दलालों से खाद ख़रीदनी पड़ रही है। सहकारी समितियों से सही और असली खाद मिलने का किसानों को भरोसा रहता है; लेकिन किसानों को हर फ़सल की बुवाई के समय खाद की कमी दिखाकर लूटा जाता है। कृषि मंत्रालय ने ज़िलों में निजी कम्पनियों की रैंक से 40 फ़ीसदी खाद सहकारी समितियों के गोदामों पर भेजने का निर्देश दिया है। लेकिन किसानों को कब तक खाद बिना परेशानी के उचित भाव में मिलेगी, इसके बारे में अभी कुछ पता नहीं है।
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही की तरह ही कृषि निदेशक डॉ. जितेंद्र सिंह तोमर भी कह रहे हैं कि राज्य में उर्वरक खादों की कोई कमी नहीं है। वह कह रहे हैं कि राज्य में लगभग 27 लाख मीट्रिक टन खाद उपलब्ध है। कृषि निदेशक ने यह भी कहा है कि अगर कोई भी खाद विक्रेता उर्वरक के बोरे के साथ किसानों को जबरन दूसरे उत्पाद बेचता है, तो उसके ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करायी जाएगी। उत्तर प्रदेश में रिपोर्ट लिखे जाने तक खाद वितरण में अनियमितता और कालाबाज़ारी करने वाले 26 लोगों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज हो चुकी थी। लगभग 600 फुटकर खाद विक्रेताओं को नोटिस जारी हो चुके थे। बलरामपुर के ज़िला कृषि अधिकारी और एक दूसरे अधिकारी को निलंबित किया जा चुका था।
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने उर्वरक खादों की आपूर्ति के लिए राज्य की 26 फर्टिलाइजर कम्पनियों के साथ समीक्षा बैठक की। इस बैठक में तय किया गया कि निजी कम्पनियों की 25 प्रतिशत यूरिया का वितरण उत्तर प्रदेश को-ऑपरेटिव फेडरेशन करेगी। खाद की आपूर्ति सही हो और किसानों को नक़ली खाद बनाने वाले नक्कालों से बचाया जाए, तो यह किसानों के अलावा कृषि संरक्षण के हित में भी उठाया गया क़दम होगा।