सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत दे दी है। सर्वोच्च अदालत ने गुजरात हाईकोर्ट का फैसला रद्द कर दिया है।
सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर सर्वोच्च अदालत में आज सुनवाई हुई। उन्हें राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी साथ ही गुजरात हाईकोर्ट का फैसला रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, हाईकोर्ट का फैसला विकृत है। हाईकोर्ट ने जिस तरह का फैसला दिया है उससे आरोपियों को जमानत मिलना मुश्किल है। हाईकोर्ट का यह निष्कर्ष गलत कि तीस्ता ने एफआईआर रद्द करने की अर्जी नहीं दी।
हाईकोर्ट ने एक जुलाई को जमानत याचिका खारिज कर तुरंत आत्मसमर्पण करने को कहा था। अब तीस्ता का पासपोर्ट निचली अदालत के पास ही सरेंडर रहेगा और वे गवाहों को प्रभावित नहीं करेंगी। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि ज्यादातर सबूत दस्तावेजी हैं, चार्जशीट दाखिल हो चुकी है लिहाजा तीस्ता से हिरासत में पूछताछ की कोई जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, अगर तीस्ता जमानत शर्तों का उल्लंघन करती हैं तो सरकार अर्जी दाखिल कर सकती है।
फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट पर सवाल उठाए। अदालत ने कहा कि निचली अदालत को हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट की किसी टिप्पणी से प्रभावित होने की जरूरत नहीं है। सुनवाई के दौरान तीस्ता की ओर से कपिल सिब्बल ने पूरा मामला समझाया। उन्होंने कहा कि फर्जी तौर पर सबूत गढ़ कर एफआईआर दर्ज की गई।
गुजरात उच्च न्यायालय के नियमित जमानत देने से इनकार किए जाने के तुरंत बाद कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने शनिवार को उच्चतम न्यायालय का रुख किया, लेकिन उन्हें अंतरिम सुरक्षा देने के मुद्दे पर न्यायाधीशों में मतभेद दिखे। यह मामला 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के मामले में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए कथित तौर पर साक्ष्य गढ़ने से संबंधित है।