स्टारलिंक ने भारत में मचायी धूम

यह एक विचित्र स्थिति थी कि केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण, रेलवे और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्टारलिंक के प्रवेश का स्वागत किया और कुछ ही घंटों के भीतर एलन मस्क के स्टारलिंक को लेकर एक्स पर एक पोस्ट को हटा दिया। सबसे पहले वैष्णव ने पोस्ट किया था- ‘स्टारलिंक, भारत में आपका स्वागत है! दूरदराज के क्षेत्रों में रेलवे परियोजनाओं के लिए उपयोगी होगा।’ लेकिन 24 घंटे के भीतर दूरसंचार प्रतिद्वंद्वी रिलायंस जियो और भारती एयरटेल, दोनों ने स्टारलिंक की इंटरनेट सेवाओं को भारत में लाने के लिए एलन मस्क के स्पेसएक्स के साथ समझौतों की घोषणा कर दी।

दोनों समझौते स्टारलिंक द्वारा देश में परिचालन शुरू करने के लिए सरकारी प्राधिकरण प्राप्त करने की शर्त पर हैं। लेकिन वैष्णव द्वारा एक्स पर पोस्ट किये जाने से यह अनुमान लगाया गया कि क्या यह संकेत था कि सरकार ने वास्तव में स्टारलिंक को परिचालन शुरू करने की अनुमति दी है या उपग्रह स्पेक्ट्रम दे दिया है। यह सरकार के पहले के रुख़ के विपरीत था कि वह भारत में प्रवेश के लिए एलन मस्क की कम्पनी की जाँच कर रही है और इसरो यह काम कर रहा है। इसे हटाने से संकेत मिलता है कि अभी तक मंज़ूरी नहीं दी गयी है। विपक्ष के कई लोगों ने आश्चर्य जताया कि क्या यह एलन मस्क के साथ पिछले दरवाज़े से की गयी डील का हिस्सा था? और मोदी सरकार इस पिछले दरवाज़े से प्रवेश की अनुमति क्यों दे रही है?

घोषणाओं ने इन सौदों पर संसदीय या सार्वजनिक बहस की अनुपस्थिति के बारे में भी सवाल उठाये। स्टारलिंक 2022 से भारतीय बाज़ार में प्रवेश करने की कोशिश कर रहा था और एयरटेल व जियो दोनों ने शुरू में इसके प्रवेश का विरोध किया था। सन् 2024 में इंडिया मोबाइल कांग्रेस में एयरटेल के सुनील मित्तल ने कहा था कि सैटेलाइट कम्पनियों को पारंपरिक दूरसंचार कम्पनियों की तरह स्पेक्ट्रम ख़रीदने और लाइसेंस शुल्क का भुगतान करने की आवश्यकता होनी चाहिए। जियो ने भी इसी तरह का रुख़ अपनाया था, जिसके कारण एलन मस्क ने टिप्पणी की थी कि नीलामी-आधारित दृष्टिकोण की माँग अभूतपूर्व थी और भारत में काम करना बहुत अधिक परेशानी वाली बात है। लेकिन अब यह अतीत की बात हो गयी है; क्योंकि मंज़ूरी मिलने वाली है।