दिल्ली में लावारिस कुत्तों की समस्या को बेहद गंभीर बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा निर्देश दिया है। कोर्ट ने 8 सप्ताह के भीतर सभी लावारिस कुत्तों को पकड़कर ‘डॉग शेल्टर’ में भेजने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि यदि किसी व्यक्ति या संस्था की ओर से कुत्तों को पकड़ने में बाधा डाली गई तो उसके खिलाफ ऐक्शन लिया जाएगा।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आवारा कुत्तों से मुक्त करने की दिशा में ये पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम होना चाहिए और इस कार्य में किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि कोई व्यक्ति या संस्था आवारा कुत्तों को उठाने या उन्हें इकट्ठा करने में बाधा डालती है, तो ऐसे किसी भी विरोध पर अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट ने दो टूक कहा कि फिलहाल किसी को भी कुत्तों को गोद लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट को अपनी अवमानना के लिए दंडित करने की शक्ति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 129 और 142(2) में दी गई है। वहीं, कोर्ट की अवमानना अधिनियम, 1971 (Contempt of Courts Act, 1971) प्रमुख कानून है। अवमानना के दोषी को अधिकतम छह महीने की जेल या दो हजार रुपये जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। अब चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को पकड़ने का आदेश दिया है तो इस स्थिति में यदि कोई व्यक्ति या संस्था सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद आवारा कुत्तों को पकड़ने में बाधा डालती है तो ये कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी। ऐसे में उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें जुर्माना और कारावास दोनों शामिल हो सकते हैं।