पंडित प्रेम बरेलवी
मनुष्य से उपद्रवी दुनिया में कोई दूसरा जीव नहीं है। हर काल में लड़ाई-झगड़ा और दूसरी तरह की मुसीबतें खड़ी करने पर आमादा मनुष्य मौत से बचने की कोशिशों में मरने के लिए हमेशा तत्पर रहा है। छोटी-मोटी बस्तियों के गली-मोहल्लों से लेकर देशों के टकराव, मुनाफ़ा कमाने की अंधी दौड़, एक-दूसरे को तबाह करने, पीछे धकेलने की साज़िशें और ख़ुद आगे बढ़ने की कोशिशों में हर दिन मनुष्य किसी दूसरे मनुष्य को नुक़सान पहुँचाने या उसे समाप्त करने में लगा है।
हाल के युद्धों और साज़िशन रचे जा रहे दूसरे चक्रव्हूयों को देखकर लगता है कि दुनिया तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर खड़ी है। ऐसे समय में भारत के ही कुछ नेता इस गौरवशाली देश की शाख को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं। उन्हें न विदेश नीति की समझ है और न ही देश की भौगौलिक और सामाजिक परिस्थितियों की कोई जानकारी है। स्थिति यह हो चुकी है कि भारत के सभी पड़ोसी देश तो आज भारत के दुश्मन हो ही गये हैं, रूस जैसे मित्र देश भी अब विरोधियों की क़तार में खड़े हैं। अमेरिका, जिस पर हम कभी भरोसा नहीं कर सकते; उसकी चरण-वंदना से आख़िर क्या मिला और आगे भी क्या मिलेगा? यह सवाल देश को अपनी बपौती समझकर मन-मुताबिक चलाने वालों से पूछा जाना चाहिए।
रूस-यूक्रेन के बाद इजरायल और फिलस्तीन के बीच छिड़ा युद्ध इजरायल-ईरान से होते हुए इजरायल और बेरूत के युद्ध तक पहुँच चुका है। यानी इजरायल ने अपनी तकनीक और हथियारों के अहंकार में कई देशों से दुश्मनी ले ली है। हाल ही में बेरूत पर उसके हमले में हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह और उनकी बेटी जैनब की मौत हो गयी, जिसकी वजह से तनाव इतना बढ़ गया है कि अब इस युद्ध में कई और देश भी कूद सकते हैं। भारत की युद्ध विराम और विश्व शान्ति की अपील भले ही एक अच्छा क़दम है। लेकिन इजराइल और यूक्रेन के साथ भारत सरकार के खड़े होने से कई समस्याएँ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को आ सकती हैं। हालाँकि भारत वैश्विक ताक़तों में से एक है, भले ही यहाँ की राजनीतिक महत्त्वाकांक्षा में कुछ लोग इसे कमज़ोर करने की कोशिश में लगे हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं कि देश में हर छोटा-बड़ा चुनाव जीतने की कोशिशों के लिए किसी भी हद को पार करने की चाल ने भारतीय राजनीतिज्ञों को देशद्रोहियों क़तार में खड़ा कर दिया है, भले ही वे देशभक्ति दिखाने का नाटक कर रहे हैं। यहाँ तक की देश की जनता के साथ कई तरह से खिलवाड़ कर रहे हैं। चाहे वह कोरोना टीका लगाने की जबरदस्ती रही हो या फिर खाद्यान्नों में मिलावट से लेकर टैक्स के नाम पर लोगों की जेब से ज़्यादा-से-ज़्यादा पैसा निकालने की कोशिश; हर तरह से आम लोगों को तबाह किया जाना उन्हें मारने की कोशिश ही कही जाएगी। यह खेल दुनिया के हर देश में चल रहा है; कहीं ज़्यादा, तो कहीं कम। लेकिन दूसरों को मारने की कोशिश करने वाले यह भूल चुके हैं कि एक दिन उन्हें भी मरना है। हो सकता है कि मारने वाले और भी बुरी दुर्दशा से मरें। फिर भी इन हत्यारों को किसी का डर नहीं है। यह जानते हुए भी कि वे कितना भी उपद्रव कर लें, मरेंगे तब भी।
आज दुनिया में जिस तरह से लोगों को स्वस्थ रखने की सलाह देकर, उनके स्वास्थ्य पर चिन्ता जताकर उन्हें हर रोज़ नयी-नयी बीमारियों का शिकार बनाया जा रहा है, उसी तरह तरह भलाई का स्वप्न दिखाकर लोगों को मौत के कुएँ में फेंका जा रहा है। और यह मानव-सेवा का नाम लेकर दुनिया भर के देशों को चलाने वाले सफ़ेदपोश कर कर रहे हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं है। कोरोना-टीका लगने के बाद जिस तरह से हृदयाघात के मामलों के बढ़ रहे हैं, उससे हैरानी होती है कि कैसे कोई इतना निर्मम हो सकता है? क्या ये लोग मनुष्य हैं भी? राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के चौंकाने वाले आँकड़े बताते हैं कि 2022 में देश भर में 56,653 लोगों की अचानक मौत हुई, जिसमें से 57 प्रतिशत मौतें हृदयाघात से हुईं। मरने वालों में से एक-तिहाई से ज़्यादा लोग 45 से 60 वर्ष की आयु वर्ग के थे। कैसे कोई अपने क्षणभंगुर स्वार्थों के लिए किसी की जान ले सकता है? यह सवाल मनुष्यों के लिए है, दुष्टों के लिए नहीं। क्योंकि दुष्टों का कोई धर्म अथवा ईमान नहीं होता।
हालाँकि इस बीच अच्छी ख़बर यह है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ बौखलाये हुए दिखे, जिसकी वजह पाकिस्तान के दोस्त तुर्की के कश्मीर के मुद्दे पर ख़ुद को किनारे कर लेना है, जिससे कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान अब वैश्विक स्तर पर अलग-थलग पड़ चुका है। 21 अप्रैल, 1948 को अपनाये गये सुरक्षा परिषद् के प्रस्ताव-47 और सीमा सुरक्षा नियमों के तहत पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ नहीं कर सकता। लेकिन पाकिस्तान की तरफ़ से न आज तक सैन्य घुसपैठ रुकी है और न ही आतंकवादियों की घुसपैठ रुकी है। आये दिन हो वाले आतंकी हले और कारगिल युद्ध इसके जीते-जागते उदाहरण हैं। पाकिस्तान की इसी घुसपैठ को लेकर तनाव चलता रहता है।