अंजलि भाटिया
नई दिल्ली , 31 मार्च
समुद्री जीवन के लिए खतरे की ओर इशारा करते हुए राहुल गांधी ने केरल, गुजरात और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के तटों पर अपतटीय खनन के लिए जारी किए गए टेंडरों को रद्द करने की मांग की है. राहुल गाँधी ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा
ठेकेदारों के लिए अपतटीय खनन ब्लॉकों को खोलना चिंताजनक है.तटीय समुदाय पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन किए बिना अपतटीय खनन के लिए निविदाएं जारी करने के तरीके के खिलाफ विरोध कर रहे हैं। केरल, गुजरात और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह तटों पर अपतटीय खनन की अनुमति देने के केंद्र सरकार के फैसले की कड़ी निंदा करते हैं. और साथ ही सरकार से अनुरोध करते ही की इस फैसले को तुरंत वापस लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि केरल में 11 लाख से अधिक लोग मछली पकड़ने पर निर्भर हैं और यह उनका पारंपरिक व्यवसाय है. ग्रेट निकोबार विश्व स्तर पर विविध पारिस्थितिकी प्रणालियों के लिए जाना जाता है और यह वन्यजीवों की कई स्थानिक प्रजातियों का घर है. उन्होंने कहा कि लाखों मछुआरों ने अपनी आजीविका और जीवन शैली पर इसके प्रभाव के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की है।
राहुल ने कहा कि अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2023 पर कड़ी आपत्ति जताई गई. उन्होंने कहा कि अध्ययनों से इसके प्रतिकूल प्रभावों की ओर संकेत मिलता है, जिसमें समुद्री जीवन के लिए खतरा, मछली भंडार में कमी शामिल है. गांधी ने कहा कि 13 ब्लॉकों में से तीन ब्लॉक कोल्लम के तट पर खनन निर्माण रेत के लिए हैं जो एक महत्वपूर्ण मछली प्रजनन आवास है.
तीन ब्लॉक ग्रेट निकोबार द्वीप समूह के तट पर पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स के लिए हैं जो एक समुद्री जैव विविधता हॉटस्पॉट है.केरल विश्वविद्यालय के जलीय जीव विज्ञान और मत्स्य पालन विभाग की समुद्री निगरानी प्रयोगशाला (एमएमएल) के चल रहे सर्वेक्षण में पाया गया है कि अपतटीय खनन से मछली पालन पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है, खासकर कोल्लम में।राहुल ने कहा यह चिंताजनक है कि सरकार वैज्ञानिक मूल्यांकन के बिना जानबूझकर गतिविधियों को हरी झंडी दे रही है, ऑर्डर साथ ही
हितधारकों के साथ किसी भी परामर्श या तटीय समुदायों पर दीर्घकालिक सामाजिक-आर्थिक प्रभाव का आकलन किए बिना टेंडर जारी किए गए .