के. रवि (दादा)
किसी समय में महिलाओं का सम्मान करने में महाराष्ट्र का कोई सानी नहीं था। आज भी बहुत-से लोग महिलाओं के सम्मान के लिए अपनी जान की बाज़ी लगा देते हैं, पर कितने ही दरिंदे अब महाराष्ट्र में भी फल-फूल रहे हैं। उन्हें महिलाओं के साथ दुराचार करना किसी खेल से ज़्यादा नहीं है। 06 जुलाई, 2024 को तो दिल दहला देने वाले मामले ने लोगों की आस्था को भी झकझोरकर रख दिया।
महाराष्ट्र के ठाणे ज़िले के डोंबिवली के पास शील-डायघर में बलात्कार की ऐसी घटना घटी कि सभी हैरान-परेशान हैं। किसी ने नहीं सोचा था कि मंदिर के ही तीन पुजारी इतने दरिंदे निकलेंगे कि घर से पीड़ित महिला, जो कि भगवान की शरण में अपना दुखड़ा लेकर फ़रियादी बनकर आयी, उसी के साथ सामूहिक दरिंदगी करके उसकी हत्या कर देंगे। पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक, 06 जुलाई 2024 को शील-डायघर के मंदिर में बेलापुर निवासी एक 30 वर्षीय महिला से कथित रूप से सामूहिक दरिंदगी हुई और उसके बाद उसकी हत्या कर दी गयी।
स्थानीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, शील-डायघर थाना क्षेत्र की एक महिला अपने घर के कलह से तंग आकर यहाँ के प्रसिद्ध घोल गणेश मंदिर में शान्ति तलाशने और भगवान को अपनी फ़रियाद सुनाने पहुँची। महिला घर नहीं जाना चाहती थी और भूखी भी थी, इसलिए दोपहर में जब कोई मंदिर में नहीं था, तब वहाँ पूजा करने वाले तीन पुजारियों ने उसे खाना खिलाया। महिला को पुजारियों पर भरोसा हुआ, तो वह वहीं रुकी रही। पर उसे क्या पता था कि पुजारियों के मन में खोंट है और वे उसके जिस्म को देखकर दरिंदगी का प्लान बना चुके हैं। शाम को पुजारियों ने महिला को चाय पीने को दी, जिसे पीकर महिला बेहोश हो गयी। रात भर मंदिर के अंदर ही उसके साथ तीनों दरिंदों ने दरिंदगी की। सुबह जब महिला को होश आया और उसे अपने साथ किसी अनहोनी की आशंका हुई, तो वह पुजारियों से इस बारे में ग़ुस्से से पूछने लगी। पकड़े जाने के डर से तीनों दरिंदे पुजारियों ने बेरहमी से पीट-पीटकर उसकी हत्या कर दी और शव पास के जंगल में फेंक दिया। तीन दिन बाद किसी भले मानुष ने शव देख लिया और पुलिस को सूचित कर दिया।
डायघर शील पुलिस थाने के वरिष्ठ पुलिस इंस्पेक्टर संदीपान शिंदे के मुताबिक, महिला का उसके पति से झगड़ा हुआ था, जिसके कारण वह घर से चली गयी। उसके पति ने अपनी ससुराल कोपरखैराने में पूछा कि वहाँ तो नहीं पहुँची है? जब अगले दिन भी महिला नहीं मिली, तो उसके माँ-बाप ने नवी मुंबई के एनआरआई पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी का मामला दर्ज करा दिया। 09 जुलाई को जब पुलिस को मंदिर के पास पहाड़ी इलाक़े में एक महिला का शव होने की जानकारी मिली, तो पुलिस ने शव बरामद कर तहक़ीक़ात की। सीसीटीवी फुटेज से पता चला महिला को आख़िरी बार घोल गणेश मंदिर में जाते देखा गया। जब पुजारियों से स$ख्ती से पूछताछ की, तो मामले की पोल खुल गयी। पुलिस ने कथित सामूहिक बलात्कार और हत्या के आरोप में तीनों पुजारियों राजस्थान निवासी श्याम सुंदर शर्मा (62 वर्ष), राजस्थान निवासी संतोष कुमार मिश्रा (45 वर्ष) और उत्तर प्रदेश निवासी राजकुमार पांडे (52 वर्ष) को गिरफ़्तार कर लिया है और महिला के पति पर भी दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज किया है। पुलिस के मुताबिक, मंदिर का असली पुजारी उत्तर प्रदेश में अपने गाँव गया हुआ था। उसने अपनी अनुपस्थिति में इन पुजारियों को बुलाकर मंदिर की सेवा में लगा दिया; पर इन तीनों ने दिल दहला देने वाली दरिंदगी को अंजाम दे दिया।
महाराष्ट्र के ठाणे ज़िले में ही जुलाई के पहले सप्ताह में एक नाबालिग़ बच्ची से दरिंदगी की घटना को अंजाम देकर एक दरिंदे ने उसकी गला दबाकर हत्या कर दी। वहीं बीड ज़िले के माजलगांव में एक 14 साल की छात्रा से भी एक दरिंदे ने दरिंदगी की। आज महाराष्ट्र में हर रोज़ कहीं हत्या, तो कहीं दरिंदगी की घटनाएँ सामने आ रही हैं। साल 2022 में दंगों के सबसे अधिक मामले भी महाराष्ट्र में ही हुए। इस साल राज्य में 8,218 दंगे हुए। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने ये आँकड़े जारी किये और ये भी बताया महाराष्ट्र में 2022 में बलात्कार के 2,904 मामले दर्ज हुए। ताज्जुब है 2022 में महाराष्ट्र में आईपीसी की धाराओं के तहत 3,74,038 आपराधिक मामले दर्ज हुए। इसके बाद के आँकड़े सामने नहीं आये हैं। पर हैरानी यह है कि महाराष्ट्र के कई नेताओं के ख़िलाफ़ भी बलात्कार के साथ महिला पीड़ितों के मामले दर्ज हैं। क़ानून के रखवाले ही जहाँ ऐसा चरित्र रखते हों, वहाँ अबला महिलाएँ कैसे सुरक्षित रह सकती हैं? इस घटना के बाद महाराष्ट्र की मराठी अवाम माँग कर रही है कि वर्षों से मुंबई के मंदिरों में परप्रांतीय पुजारियों की सरकारी निगरानी होनी चाहिए। सिर्फ़ चैरिटी कमिश्नर के पास मंदिर के पुजारियों की सूची होने से ही मंदिर में दर्शन करने आने वाली महिलाएँ सुरक्षित नहीं मानी जा सकतीं। डायघर के शील गणपति मंदिर में पुजारियों द्वारा की गयी दरिंदगी से साबित होता है कि सभी पुजारी अच्छे नहीं हैं।