बृज खंडेलवाल द्वारा
आगरा, जिसे दुनिया ताजमहल के लिए जानती है, वह भारत के आलू उत्पादन में भी एक प्रमुख स्थान रखता है। उत्तर प्रदेश का 27% आलू आगरा मंडल में पैदा होता है, जिससे यह क्षेत्र राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और किसानों की आय में महत्वपूर्ण योगदान देता है । हालाँकि, पारंपरिक खेती, बीज की कमी, और प्रसंस्करण सुविधाओं के अभाव ने इस क्षेत्र की संभावनाओं को पूरी तरह से विकसित होने से रोका है। लेकिन अब, अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (CSARC) की स्थापना से आगरा के आलू किसानों के लिए एक नई उम्मीद जगी है ।
आगरा में आलू उत्पादन की वर्तमान स्थिति
1. उत्पादन क्षमता और चुनौतियाँ
– आगरा जिले में 71,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर आलू की खेती होती है, जिससे प्रतिवर्ष लगभग 50 लाख मीट्रिक टन उत्पादन होता है ।
बीज की कमी एक बड़ी समस्या है। किसानों को महँगे दामों पर बीज खरीदना पड़ता है, जिससे लागत बढ़ जाती है, लेकिन बाजार में उन्हें 10 रुपये प्रति किलो से भी कम दाम मिलता है ।
भंडारण और प्रसंस्करण की कमी के कारण 15-20% आलू खराब हो जाता है, जिससे किसानों को भारी नुकसान होता है ।
2. किसानों की मुश्किलें
लागत बनाम आय का असंतुलन: आलू की खेती में बीज, खाद, सिंचाई और श्रम पर होने वाला खर्च किसानों की आय से अधिक हो जाता है।
बाजार तक पहुँच का अभाव: अधिकांश आलू दक्षिण भारत और गुजरात भेजा जाता है, जहाँ बिचौलिए किसानों को कम दाम देते हैं ।
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: बढ़ते तापमान और अनियमित वर्षा से आलू की पैदावार प्रभावित हो रही है ।
भविष्य की संभावनाएँ: CSARC एक नई राह
25 जून, 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आगरा के सिंगना गाँव में अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (CSARC) की स्थापना को मंजूरी दी है । यह निर्णय आगरा के आलू किसानों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है।
CSARC के लाभ
1. उन्नत बीजों का विकास:
– CSARC जलवायु-अनुकूल और रोगरोधी आलू की किस्में विकसित करेगा, जिससे उत्पादकता बढ़ेगी ।
– वर्तमान में आगरा के किसान कुफरी बहार पर निर्भर हैं, लेकिन नई किस्मों से उन्हें बेहतर बाजार मिलेगा ।
2. कटाई के बाद प्रबंधन:
– कोल्ड स्टोरेज और प्रसंस्करण इकाइयों को बढ़ावा देकर, आलू के नुकसान को कम किया जाएगा ।
3. किसानों की आय बढ़ाने के उपाय:
– मूल्य संवर्धन (जैसे आलू के चिप्स, स्टार्च) से किसानों को अधिक लाभ मिलेगा ।
– निर्यात को बढ़ावा: भारत वर्तमान में 1 बिलियन डॉलर मूल्य का आलू निर्यात करता है, जिसे CSARC की मदद से बढ़ाया जा सकता है ।
4. दक्षिण एशिया में नेतृत्व:
– यह केंद्र न केवल भारत बल्कि नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देशों के लिए भी आलू अनुसंधान का हब बनेगा ।
आगरा के आलू किसानों के लिए CSARC की स्थापना एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। यदि सरकार और किसान मिलकर इसका लाभ उठाएँ, तो आगरा न केवल भारत का आलू हब बनेगा, बल्कि दक्षिण एशिया में कृषि नवाचार का केंद्र भी बन सकता है।
“अब समय है जागने का, नई तकनीक अपनाने का और आलू की खेती को एक लाभकारी उद्यम बनाने का।”