उत्तर प्रदेश राजनीति का सबसे बड़ा अखाड़ा है। देश की सबसे अधिक लोकसभा सीटों एवं सबसे अधिक विधानसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में हर स्तर पर राजनीति होती है, जिसका रंग इतना गहरा है कि कोई भी आमजन इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता। मगर उत्तर प्रदेश में जनसमस्याओं से अधिक जाति एवं धर्म की राजनीति होती है। वर्ष 2017 में रामज़ादे एवं हरामज़ादे से आरंभ हुई उत्तर प्रदेश की राजनीति राम राज्य, मंदिर, अपराधियों के अंत एवं बुलडोज़र के बाद अब दुकानों एवं रेहड़ी पटरी वालों के नाम की प्लेट तक आ गयी है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के कांवड़ियों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले आदेश के उपरांत प्रदेश में कहीं-कहीं धार्मिकता हावी हो चुकी है, तो कहीं-कहीं मानवता के उदाहरण प्रस्तुत किये जा रहे हैं। मेरठ में आदेश के उपरांत जो हुआ, उसकी निंदा की जानी चाहिए। कुछ लोग कई जगह अभी तक धर्म एवं जाति के आधार पर जनता में फूट डालने के प्रयासों में लगे हैं। मगर कई मानवतावादी उदाहरण भी लोग प्रस्तुत कर रहे हैं।
अध्यापक बलवंत सिंह कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में राजनीति उपद्रव एवं विध्वंस लेकर चलती है। किसी भी पार्टी की सरकार हो, उसे स्वयं के गिरने का डर जब-जब सताता है, तब-तब वो धर्मों एवं जातियों में टकराव कराने का षड्यंत्र रचती है। मगर इस बार धर्म से ऊपर उठकर लोग अपने जीवन की समस्याओं को आगे लेकर चल रहे हैं, जिसके चलते प्रदेश में शान्ति बनी हुई है। मेरठ में धर्म की आग भड़काने के प्रयास हुए; मगर कुछ समझदार लोगों ने उसे सँभाल लिया। सभी प्रदेशवासी प्यार एवं भाईचारे की मशाल जलाना चाहते हैं। आठवीं बार कांवड़ लेकर जाने वाले विक्रम कहते हैं कि उन्हें आज तक किसी ने कभी तंग नहीं किया। न ही कभी किसी ने उन्हें भ्रष्ट करने का प्रयास किया। विक्रम कहते हैं कि उनके साथ कांवड़ लाने वालों की संख्या अत्यधिक होती है; मगर कभी किसी मुस्लिम ने उनकी पवित्रता समाप्त करने का कोई प्रयास नहीं किया। कई बार तो मुस्लिम समाज के लोगों ने उनकी सहायता की है। उत्तर प्रदेश में कांवड़ियों वाले मार्गों पर दुकानदारों एवं रेहड़ी लगाने वालों को अपना नाम लिखकर लगाना अनिवार्य करने के प्रदेश सरकार के कथित आदेश को सर्वोच्च न्यायालय ने प्रतिबंधित कर दिया है।
बिजली आपूर्ति का संकट
उत्तर प्रदेश में इन दिनों बिजली आपूर्ति एक बड़ी समस्या बनी हुई है। विकट गर्मी एवं उमस के बीच कई-कई घंटे के कट लगने से लोग बेचैन हैं। हालाँकि प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने आम जनता की समस्याओं के तत्काल निपटान के अतिरिक्त बिजली आपूर्ति बढ़ाने के निर्देश दिये हैं। सभी डिस्कॉम के प्रबंध निदेशकों को निर्देशित किया गया है कि तय समय सारणी के अनुरूप बिजली आपूर्ति को सुनिश्चित करें, जिससे बिजली के कट न लगें एवं जनता को समस्याओं का सामना न करना पड़े।
नगर विकास और ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा ने निर्देश दिये हैं कि ग्रामीण क्षेत्र में 18 घंटे, तहसील मुख्यालय स्तर पर 21:30 घंटे एवं जनपदों में 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। हालाँकि बिजली के कट लगने से हलकान जनता को न दिन में ही चैन मिल रहा है एवं न ही रातों को चैन की नींद ही आ रही है। उत्तर प्रदेश में महँगी बिजली होने एवं बहुत अधिक बिजली बिल आने के उपरांत भी बिजली आपूर्ति न हो पाना एक गंभीर समस्या बन चुकी। इस समस्या ने व्यापारियों, किसानों, विद्यार्थियों, छोटे बच्चों एवं बुजुर्गों को सबसे अधिक रुला रखा है। लोग गर्मी के चलते रोग ग्रस्त हो रहे हैं। नगर विकास और ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा ने कहा है कि आपूर्ति के दौरान यदि कोई स्थानीय गड़बड़ी के कारण कुछ समय के लिए बिजली आपूर्ति बाधित होती है, तो उसकी भरपाई कटौती के दौरान अतिरिक्त बिजली आपूर्ति करके की जाएगी। यही व्यवस्था कृषि क्षेत्र में बिजली आपूर्ति को लेकर की जाएगी।
ग्रामीणों की तहसीलों में समस्याओं की भी भरमार है। किसानों की समस्याओं का जल्दी निपटान नहीं हो पाता है। भूमि-विवादों के निपटान में भी बहुत अधिक समय लगता है। पिछले दिनों एक किसान की समस्या का निपटान न होने पर झगड़ा भी हो गया था। तहसील दिवस पर इतनी अधिक समस्याएँ होती हैं कि उनका निपटान नहीं हो पाता।
गर्मी से कई विद्यार्थी बेहोश
उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में बारिश हो रही है; मगर अधिकांश क्षेत्रों में गर्मी एवं उमस ने जनता को रुला रखा है। विद्यालयों में कहीं गर्मी से बचने की व्यवस्था में ही कमी है, तो कहीं बिजली कटौती के कारण अध्यापकों से लेकर विद्यार्थी तक सब बेचैन हैं। 30 जुलाई को को प्रदेश के कई विद्यालयों में कुछ अध्यापकों एवं 62 विद्यार्थियों के गर्मी से बेहोश होने के समाचार मिले। अकेले एटा जनपद में 33 विद्यार्थियों के बेहोश होने के समाचार मिले। एटा के के अतिरिक्त 30 जुलाई को गोंडा जनपद में 12 छात्राएँ एवं शिक्षिकाएँ गर्मी के चलते बेहोश हो गयीं। रामपुर में गर्मी के चलते सात विद्यार्थी बेहोश हो गये। इसके अतिरिक्त संभल एवं मथुरा में चार-चार, वहीं सीतापुर, रायबरेली एवं प्रयागराज में एक-एक विद्यार्थी के बेहोश होने के समाचार मिले। भीषण गर्मी से परिषदीय विद्यालयों में लगातार शिक्षकाएँ एवं विद्यार्थियों की बेहोश होने की घटनाओं के उपरांत उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने विद्यालयों को सुबह 07:30 से 12:30 बजे तक खोलने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग से अनुरोध किया गया है।
भाजपा में असमंजस
उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। सभी 10 सीटों को जीतने के प्रयास में लगी भारतीय जनता पार्टी में अंतर्कलह मचा हुआ है, जिसके चलते पार्टी के प्रमुख प्रचारक अभी अपने प्रचार-प्रसार की रणनीति नहीं बना पा रहे हैं। बहुजन समाज पार्टी एवं आज़ाद समाज पार्टी ने इस चुनाव में सभी 10 सीटों पर अपने अपने प्रत्याशी उतारने का मन बना लिया है, जिससे भारतीय जनता पार्टी की चिन्ता बढ़ गयी है। इसके अतिरिक्त एनडीए की सहयोगी पार्टियों के नेता संजय निषाद एवं ओमप्रकाश राजभर दो-दो टिकट माँग रहे हैं, जिससे भारतीय जनता पार्टी की समस्या बढ़ गयी है। इंडिया गठबंधन के आधार पर समाजवादी पार्टी एवं कांग्रेस में सीटों के बँटवारे को लेकर कुछ उलझन है। पहले समाचार आये कि 7-3 के अनुपात में बँटवारा होगा। मगर अब कुछ सूत्र कह रहे हैं कि कांग्रेस आधी सीटें चाहती है।
भारतीय जनता पार्टी में फूट एवं असंतोष की स्थिति है, जो भले ही बाहर नहीं दिख रहा है; मगर अंदर अंदर इसने विकराल रूप ले लिया है। सूत्रों की मानें, तो उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य केंद्र सरकार को रिझाने में लगे हैं एवं उन्हें विश्वास है कि एक-न-एक दिन वह प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे। भारतीय जनता पार्टी में इस इस असंतोष का लाभ उठाने का प्रयास करते हुए ही विदके हुए उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की ओर संकेत करते हुए समाजवादी पार्टी प्रमुख एवं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कह दिया कि 100 विधायक लाओ, मुख्यमंत्री बन जाओ। उत्तर प्रदेश की राजनीति को समझने वाले राजेंद्र सिंह कहते हैं कि अखिलेश यादव द्वारा फेंका गया चारा प्रलोभन का जाल है, जिसमें कभी न कभी कोई-न-कोई भारतीय जनता पार्टी का नेता फँसेगा अवश्य। अभी तो भारतीय जनता पार्टी के नेता 10 सीटों पर उपचुनाव का परिणाम देखने के लिए शान्त हैं। अगर चुनाव परिणाम सही नहीं आये, तो भारतीय जनता पार्टी में भगदड़ मच सकती है।
पौधरोपण से अधिक कटान
05 जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर देशवासियों से एक पेड़ मां के नाम लगाने के प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान के उपरांत उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पौधरोपण महाअभियान आरंभ कर दिया है। उत्तर प्रदेश के कई मंत्री, विधायक पौधे लगाने की मुहिम में लगे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 20 जुलाई से प्रदेश में 36.50 करोड़ पौधे रोपे जाने वाले अभियान का शुभारंभ हुआ है। मुख्यमंत्री योगी पेड़ बचाओ जन अभियान-2024 के तहत पौधरोपण को बढ़ावा दे रहे हैं। मगर वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में सरकार ने ही वृक्षों के कटान की अति कर दी है।
कांवड़ियों के मार्ग को अवरोध रहित करने के नाम पर ही राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण को अवगत कराते हुए जुलाई में योगी सरकार ने 33,000 हरे-भरे वृक्ष काटने की योजना बना डाली। लगभग 111 किलोमीटर लंबे कांवड़ यात्रा मार्ग के दोनों ओर लगे ये वृक्ष कांवड़ यात्रा में अवरोध थे भी या नहीं, यह सरकार ने नहीं सोचा। पहले भी योगी सरकार ने प्रदेश भर में लाखों वृक्ष कटवा दिये हैं। केंद्र सरकार की अनुमति पर ही प्रदेश में 1,10,000 वृक्ष काटे जा चुके हैं। अब मुख्यमंत्री योगी कह रहे हैं कि जितने वृक्ष काटे जाएँगे, उससे 10 गुना पौधे लगाये जाएँगे। यह तर्क तो अटपटा है। पौधों को वृक्ष बनने में कई वर्ष लगेंगे? इसके अतिरिक्त इसकी क्या गारंटी है कि सरकार आगे से वृक्ष नहीं काटेगी? पौधों की समुचित देखभाल भी करेगी कि नहीं?