राजनीतिक अपराधीकरण

अपराध सिर्फ़ अपराधी ही नहीं करते, ताक़तवर लोग भी करते और करवाते हैं। जो जितना ज़्यादा ताक़तवर है, उसके अपराध उतने ही संगीन हैं। लेकिन उन्हें अपराधी साबित करने के रास्ते लगभग बंद हो चुके हैं। जो ऐसी हिम्मत दिखाते हैं, उनकी अकस्मात् संदिग्ध मौत हो जाती है। लेकिन मौत सिर्फ़ उन्हीं की नहीं होती, बल्कि उनकी भी होती है, जिन्हें जीते-जी मार दिया जाता है। दुर्भाग्य से दोनों के लिए ही आवाज़ उठाने वाले बहुत कम लोग हैं।

अब तो इस तरह की हत्या के कई उदाहरण हर दिन देखने को मिल रहे हैं। जैसे, उत्तर प्रदेश में हज़ारों स्कूल बंद किये जा चुके हैं और 27,000 स्कूल बंद करने की तैयारी है। लेकिन शराब के ठेकों के लिए इसी वर्ष सरकार ने आवेदन आमंत्रित किये। 07 फरवरी, 2025 से आवेदन आने शुरू हुए और 27 फरवरी, 2025 तक मात्र 20 दिन में 1,99,232 आवेदन आये, जिनमें बिना कोई देरी किये उत्तर प्रदेश सरकार 27,308 शराब ठेकों के लाइसेंस जारी कर चुकी है। इन आवेदनों के प्रक्रिया शुल्क और शराब की बिक्री से करोड़ों रुपये कमाने के चक्कर में सरकार ने शराब ठेकों के लाइसेंस देने को प्राथमिकता पर रखा। सरकारी आँकड़ों के मुताबिक, शराब के ठेकों के आवेदनों से ही उत्तर प्रदेश सरकार को 1,066.33 करोड़ रुपये मिले हैं। लेकिन दु:ख की बात यह है कि 5,000 स्कूल में पढ़ने वाले मासूम बच्चे जब स्कूलों का विलय न करने की याचिका लेकर उच्च न्यायालय पहुँचे, तो उन्हें मायूसी हाथ लगी। अब मामला सर्वोच्च न्यायालय में है।

यह सच है कि पिछले कुछ वर्षों से विद्यार्थियों, किसानों, मज़दूरों, छोटे पेशेवरों और व्यवसायियों से लेकर आम जनता तक को किसी-न-किसी तरह से परेशान किया जा रहा है। ज़्यादा-से-ज़्यादा टैक्स की वसूली, अधिकारों का हनन, सुविधाओं की कमी, खुला भ्रष्टाचार, अपराधों को बढ़ावा, चुनावी बेईमानी, सुनियोजित दंगे, अन्याय, आतंकवाद, तस्करी, अराजकता; ये सब राजनीतिक अपराधियों की ही तो देन हैं।

कहीं अपराध खुलकर अपराध की तरह हो रहा है, तो कहीं क़ानूनी आड़ लेकर किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और दूसरे कई राज्यों में ऐसे कई उदाहरण मिल जाएँगे। डराने और सताने की हद यह हो गयी है कि लोगों को न्याय के लिए शान्तिपूर्वक आन्दोलन तक नहीं करने दिये जाते। उत्तर प्रदेश में पहले जो बुलडोज़र विरोधी अपराधियों के ख़िलाफ़ चला था, अब वह हर भाजपा शासित राज्य में ग़रीबों के घरौंदों तक जा पहुँचा है। दिल्ली में तो यह झोंपड़ियों को उजाड़ते हुए कच्ची कॉलोनियों तक भी पहुँचने की तैयारी में है। सत्ता में बैठे नेताओं को सिर्फ़ ज़मीन के वे टुकड़े दिखायी दे रहे हैं, जिनकी क़ीमत करोड़ों रुपये है। जब तक वहाँ लोग बसे रहेंगे, ज़मीन सरकार को नहीं मिल सकेगी। इसलिए बुलडोज़र ही इसका अंतिम उपाय है। किसानों की ज़मीन जबरन अधिग्रहण करके छीनी ही जा रही है। इसमें आम लोग जीते-जी और वास्तविक रूप से बुरी तरह मारे जा रहे हैं।

क़ानूनी भाषा में इसे हत्या कहते हैं, जिसके लिए राजनीतिक अपराधी ही सबसे ज़्यादा दोषी हैं। लेकिन क़ानून उनका कुछ नहीं बिगाड़ता; क्योंकि राजनीतिक अपराधी अपने संरक्षण और आम लोगों को कुचलने के लिए साम, दाम, दंड और भेद के ज़रिये क़ानून का इस्तेमाल करना भी जानते हैं। अपने अनुकूल अपराधों पर सत्ताओं की राजनीतिक चुप्पी और अपने पक्ष के अपराधियों को संरक्षण देने के चलते पुलिस प्रशासन और न्यायिक पदों पर बैठे अधिकांश लोग इन राजनीतिक अपराधियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में अक्षम रहते हैं। ज़्यादातर आम लोग क़ानून के बारे में कुछ भी नहीं जानते। इसीलिए वे डरे रहते हैं। लोगों के इसी डर और क़ानूनी कार्रवाई न होने के कारण आजकल भारत में राजनीतिक अपराधियों की बाढ़-सी आयी हुई है। ये राजनीतिक अपराधी अपने स्वार्थ और साम्राज्यवाद के लिए अपने संरक्षण में अपराधियों का पालन-पोषण करने और देश को लूटने का काम कर रहे हैं। किसानों की ज़मीन छीनना, ग़रीबों के घर तोड़कर ज़मीन हड़पना, लोगों की कमायी पर नज़र रखकर क़ानून बनाकर कर-वसूली करना, उनके काम-धंधे छीनना, समाज में फूट डाले रखने के लिए नफ़रत उगलना तो जैसे इन राजनीतिक अपराधियों का कर्म हो चुका है।

अब तो हद यह हो गयी है कि कई पुलिसकर्मी पीड़ितों को ही प्रताड़ित करने का काम करने लगे हैं। राजनीतिक अपराधियों ने हर तरह से लूट के रास्ते निकाल लिये हैं। हर काम सरकारी और क़ानूनी बताकर किया जा रहा है, जिससे विरोध न हो सके।

कुल मिलाकर चंद चालाक लोग सिर्फ़ अपनी ख़ुशहाली बढ़ाने के लिए यह सब कर रहे हैं। यह जानते हुए भी कि मरने के बाद सब कुछ यहीं रह जाना है। लेकिन दौलत, शोहरत और इज़्ज़त की भूख इतनी ज़्यादा है कि अपराध का रास्ता अपना लिया है। अगर आम आदमी बनकर अपराध करते, तो जेल होती और समाज सीधे तौर पर अपराधी कहता। इसलिए सत्ता में आकर बैठ गये। अब कोई सीधे-सीधे अपराधी नहीं कह सकेगा। कहेगा, तो वही अपराधी साबित कर दिया जाएगा।