स्वास्थ्य से खिलवाड़

दिल्ली-एनसीआर में प्रसिद्ध फ्रेंचाइजी की खुदरा दुकानों पर बिकता है बाजार का घटिया और सस्ता सामान

इंट्रो- ‘तहलका’ ने अपनी इस बार की पड़ताल में केंद्र सरकार द्वारा फ्रेंचाइजी के तहत वितरित खुदरा श्रृंखला (फुटकर नेटवर्क) की दुकानों पर उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को खतरे में डाले जाने की खास जानकारी जुटायी है। ‘तहलका’ एसआईटी ने हमेशा की तरह अपनी पड़ताल को जारी रखते हुए इस बार पाया है कि दिल्ली-एनसीआर में खुदरा स्टोर्स की फ्रेंचाइजी लेने वाले कुछ मालिक अपने स्टोर्स पर अवैध रूप से लाये गये अनधिकृत, सस्ते और घटिया उत्पाद बेचकर नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। ‘तहलका’ ने दिल्ली-एनसीआर की प्रसिद्ध खुदरा श्रृंखला के फ्रेंचाइजी धारकों के द्वारा नियमों का उल्लंघन करने के नमूने के तौर पर दो स्टोर्स में अवैध रूप से खुले बाजारों से लाये गये सस्ते और घटिया उत्पाद बेचने के मामले को उजागर करते हुए स्टोर मालिकों की करतूतों का पर्दाफाश किया है। पढ़िए, तहलका एसआईटी के खुफिया कैमरे में रिकॉर्ड की गयी विस्तृत रिपोर्ट :-

सितंबर, 2024 में तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद वाले लड्डुओं में मिलावटी घी के कथित इस्तेमाल पर विवाद खड़ा हो गया था। इस हंगामे के बीच आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली पिछली राज्य सरकार के दौरान तिरुपति जिले के तिरुमला पर्वत पर बने तिरुपति बालाजी मंदिर के देवता श्री वेंकटेश्वर को चढ़ाये जाने वाले प्रसाद में पशुओं की चर्बी वाली घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया था।

बहरहाल, यह दीपावली और उसके आसपास मनाये जाने वाले त्योहारों का मौसम है, और हर साल की तरह इस बार भी पूरे भारत से खाद्य पदार्थों में मिलावट की कई रिपोर्ट्स सामने आ चुकी हैं, जिससे एक बार फिर उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा पैदा हो गया है। ‘तहलका’ की इस पड़ताल से मिलावट के मुद्दे के एक नये पहलू का पता चलता है कि दिल्ली-एनसीआर में फ्रेंचाइजी खुदरा स्टोर (फुटकर दुकान) चलाने वाला एक उद्यमी घटिया खाद्य सामग्री बेचने का काम कर रहा है। यह खुदरा श्रृंखला भारत में फलों और सब्जियों का सबसे बड़ा संगठित नेटवर्क है, जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 400 और बेंगलूरु में 23 आउटलेट्स (दुकानें) संचालित कराता है और इस नेटवर्क की ये सब दुकानें प्रतिदिन 1.5 लाख से अधिक ग्राहकों को सेवा प्रदान करती हैं।

इस नेटवर्क का स्वामित्व भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत एक अन्य ब्रांड के पास है। एक स्टोर के मालिक को ‘तहलका’ रिपोर्टर ने अपने खुफिया कैमरे पर खुदरा श्रृंखला के वरिष्ठ अधिकारियों की जानकारी के बिना नोएडा में अपने दो खुदरा स्टोर्स पर घटिया उत्पाद बेचने की बात क़ुबूल करते हुए कैद किया है। शहरी उपभोक्ताओं और किसानों को समर्थन देने के लिए सन् 1988 में लॉन्च किये गये ये स्टोर पूर्व सैनिकों या उनके आश्रितों द्वारा फ्रेंचाइजी स्वामित्व के माध्यम से चलाए जाते हैं। लेकिन आज हमारे खुफिया कैमरे में कैद हुआ एक दुकान मालिक खुदरा श्रृंखला के अधिकारियों को अँधेरे में रखते हुए घटिया उत्पाद बेचकर इस मिशन के साथ विश्वासघात कर रहा है।

‘ईमानदारी की कीमत नहीं होती। मुनाफा कमाने के लिए बेईमानी का सहारा लेना पड़ता है। मैंने बाहरी बाजारों से लायी गयी कई अनधिकृत वस्तुओं का स्टॉक कर लिया है और इस तरह मैं हर महीने 1.50 लाख रुपए कमा रहा हूं। अगर मैं केवल कंपनी की वस्तुओं को उनकी कीमतों पर बेचने पर अड़ा रहा, तो मैं कुछ भी नहीं कमा पाऊंगा। अब अगर कंपनी मेरे स्टोर पर छापा मारती है और मुझे दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए पकड़ती है, तो वे (अधिकारी) केवल एक छोटा-सा ज़ुर्माना लगाएंगे।’ नोएडा में दो रिटेल स्टोर के मालिक सुधीर चौधरी ने ‘तहलका’ के अंडर कवर रिपोर्टर से बात करते हुए बताया।

‘हम अपने स्टोर्स में बाहरी स्रोतों से प्राप्त अनधिकृत वस्तुओं की अनुमति नहीं देते हैं। बेंगलूरु में हमारे पास किसानों का अपना नेटवर्क है, जो सब्जियों और फलों की आपूर्ति करते हैं। हमारी फ्रेंचाइजी विशेष रूप से पूर्व सैनिकों या उनके आश्रितों को दी जाती है। हालांकि आपके मामले में एक सामान्य नागरिक होने के बावजूद हम आपको फ्रेंचाइजी देने को तैयार हैं।’ खुदरा श्रृंखला के नोएडा पर्यवेक्षक ने ‘तहलका’ रिपोर्टर से बातचीत में कहा।

‘यदि आप चतुराई से खेलते हैं, तो आप नियमों से बच सकते हैं और बाहर से लायी गयी अनधिकृत वस्तुओं को स्टोर में रख सकते हैं। पर्यवेक्षक केवल चालान की जांच करता है; स्टोर में स्टॉक की गयी वास्तविक वस्तुओं की नहीं।’ एक अन्य अवसर पर सुधीर के छोटे भाई शिवा चौधरी ने ‘तहलका’ रिपोर्टर को बताया।

सभी खुदरा स्टोर्स के मालिकों से अपेक्षा की जाती है कि वे मौसमी उपलब्धता के आधार पर प्रतिस्पर्धी दैनिक दरों के साथ सीधे किसानों से प्राप्त ताजा खाद्य उत्पाद ही उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराएं। वे एक ही छत के नीचे कड़े खाद्य सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए सटीक वजन, निश्चित कीमतों और व्यापक उत्पाद श्रृंखला को कायम रखते हुए बिक्री करें। इसमें दैनिक डिलीवरी शेड्यूल (365 दिन, 24×7) के साथ प्रत्येक ग्राहक को खरीदारी के लिए एक मुद्रित बिल प्राप्त होता है। स्टोर विशेष रूप से ताजा फलों, ताजा सब्जियों और मूल्य वर्धित उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अनधिकृत वस्तुओं की बिक्री पर सख्ती से रोक लगाते हैं।

हालांकि सुधीर चौधरी जैसे फ्रेंचाइजी मालिक इन दिशा-निर्देशों का खुलेआम उल्लंघन करते हैं। क्योंकि नोएडा में उनके दो फ्रेंचाइजी स्टोर्स पर घटिया और सस्ते फल-सब्जियां और अन्य खाद्य उत्पाद बेचे जाते हैं। ‘तहलका’ रिपोर्टर ने एक सामान्य नागरिक बनकर उसके माध्यम से एक अन्य आउटलेट के लिए फ्रेंचाइजी लेने का काल्पनिक प्रस्ताव पेश करते हुए सुधीर से उसके नोएडा स्थित एक स्टोर पर जाकर मुलाकात की। सुधीर ने ‘तहलका’ रिपोर्टर को समझाया कि अच्छा मुनाफा कमाने के लिए बेईमानी का सहारा लेना पड़ता है। क्योंकि नियमों का पालन करने से कोई फायदा नहीं होता।

रिपोर्टर : ईमानदारी से काम करेंगे, तो कितना कमा लेंगे?

सुधीर : ईमानदारी से कुछ भी न कमा पाओगे, और किसी भी काम में न; ….ईमानदारी का जमाना गया।

रिपोर्टर : तो परसेंटेज इतना कम दे रही है xxxx, ….9 प्रतिशत?

सुधीर : जब तुम एग्री हो जाओगे, तो बढ़ा भी सकते हैं; कइयों का बढ़ा दिया है। …हमारा 12 प्रतिशत कर दिया है।

हालांकि फलों और सब्जियों के लिए यह प्रसिद्ध खुदरा नेटवर्क अनधिकृत उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाता है, जो श्रृंखला के खरीद कार्यालय के बजाय सामान्य बाजारों से प्राप्त होते हैं। सुधीर ने ‘तहलका’ के खुफिया कैमरे पर स्पष्ट रूप से क़ुबूल किया है कि वह नियमित रूप से अपने दो स्टोर्स पर दैनिक उपयोग की ऐसी खुले बाजारों की वस्तुएं बेचता है। उसने खुलासा किया कि हर रात लगभग 2:00 बजे वह बाहरी मंडी से कंपनी की तुलना में कम दरों पर फल और सब्जियां खरीदता है, जिससे उसे पर्याप्त लाभ मिलता है। सिर्फ एक स्टोर से वह फिलहाल 1.50 लाख रुपए प्रतिमाह कमाते हैं।

रिपोर्टर : कितना कमा लेते हो आप इस वाले स्टोर से, xxxx के। ईमानदारी से बताओ?

सुधीर : इस वाले से कम-से-कम 1.5 लाख।

रिपोर्टर : 1.5 लाख महीना?

सुधीर : सब खर्चे-वर्चे काट के।

रिपोर्टर : बुरा नहीं है, पर उसमें बाहर का सामान ले रहे हो आप?

सुधीर : 2:00 बजे सामान लाता हूं। 2:00 बजे जाता हूं मंडी।

रिपोर्टर : तुम फिर वहां से…?

सुधीर : वो खड़ी मेरी ईको (व्हिकल), …व्हाइट वाली।

रिपोर्टर : जिसमें, …जिसमें उस दिन अगरबत्ती लगा रहे थे?

सुधीर : जी! उसमें माल आता है। जो तुम्हें कंपनी की गोभी एक किलो है, …आज रुपीज (रुपए) 39 प्रति किलो गोभी है।

रिपोर्टर : कंपनी का रेट?

सुधीर : जो हम पे करेंगे कंपनी को, …रुपीज 35 पर केजी (प्रति किलो) है।

रिपोर्टर : 4 रुपीज (रुपए) तुम्हारे हो गये?

सुधीर : हम चले गये मंडी, वहां से रुपीज 20 किलो के हिसाब से ले आए।

रिपोर्टर : और सस्ती ले ली…।

सुधीर : वहां से रुपीज 20 पर केजी (प्रति किलोग्राम) ले ली, …और यहां रुपीज 39 केजी में बेच दी। कितने रुपीज बच गये? रुपीज 19…। हमारा जो सामान बिक रहा है, हमारी दो क्रेट बिक रही है, …एक कंपनी का माल, एक यहां का माल।

अब एक फ्रेंचाइजी स्टोर के मालिक सुधीर ने खुले तौर पर स्वीकार किया कि उसके स्टोर में बिक्री के लिए कई अनधिकृत वस्तुओं का भंडार है, जो खुदरा श्रृंखला के सख्त दिशा-निर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन है। सुधीर ने खुलासा किया कि श्रृंखला की केवल अधिकृत उत्पादों को प्राप्त करने की नीति के बावजूद वह अपना मुनाफा बढ़ाने के लिए बाहरी आपूर्तिकर्ताओं से सामान खरीदता है। यहां तक कि उसने नियमित रूप से कंपनी की आपूर्ति को दरकिनार करने की बात भी क़ुबूल की। उसने बताया कि शुरुआत में कंपनी से खरीदारी करने के बाद वह सस्ते विकल्पों के लिए बाहरी विक्रेताओं की ओर रुख करता है। ऐसा लगता है कि अधिक मुनाफे का लालच नियमों का पालन करने की किसी भी बाध्यता पर भारी पड़ता है।

रिपोर्टर : तो अभी क्या-क्या सामान आपके स्टोर पर बाहर का है?

सुधीर : इस बार एक तो सेब (एप्पल) बाहर के हैं। बैंगन, गोभी है। तोरई अभी कंपनी की है और आधी बाहर की है।

रिपोर्टर : मतलब, चार-पांच आइटम बाहर के हैं?

सुधीर : चार-पांच नहीं, बहुत आइटम बाहर के हैं।

रिपोर्टर : कितने आइटम?

सुधीर : बहुत आइटम हैं।

रिपोर्टर : कॉफी एट्स (इत्यादि) भी बाहर की है?

सुधीर : कॉफी हमने एक बार कंपनी से मंगवा ली, …उसके बाद हम बाहर से लेते हैं।

जब ‘तहलका’ रिपोर्टर ने सुधीर से पूछा कि क्या वह उन्हें अपने स्टोर में वस्तुओं की आपूर्ति करने वाले बाहरी वितरकों से संपर्क करा सकता है? यह देखते हुए कि हम (रिपोर्टर) उसके माध्यम से नोएडा में एक स्टोर लेने पर विचार कर रहे हैं, उसने तुरंत सहमति दे दी। उसने न केवल वितरक का विवरण साझा करने की पेशकश की, बल्कि यह भी बताया कि खुदरा श्रृंखला की नीतियों का उल्लंघन करते हुए पान मसाला और सिगरेट जैसी प्रतिबंधित वस्तुओं को कैसे बेचा जाए। सुधीर ने स्पष्ट किया कि हालांकि ऐसी गतिविधियां जोखिम भरी हैं; लेकिन अगर सावधानी से व्यापार किया जाए, तो यह काफी लाभदायक हो सकता है।

रिपोर्टर : तो भाई! एक काम करो, …मान लो हम 128 वाला ले लेते हैं, तो हमारे लिए भी बाहर का मंगवा देना फिर।

सुधीर : हम आपको डिस्ट्रीब्यूटर (वितरक) के नंबर दे देंगे।

रिपोर्टर : लोग पान मसाला, सिगरेट रखते हैं?

सुधीर : वो काम अगर तुम छुप करके कर सकते हो, तो कर लो। …अब बाई चांस कस्टमर है, वो बैठा है, तुम सिगरेट दे रहे हो, कल किसी कस्टमर के सामने मांग लिया, …भैया! सिगरेट दे दो। अब तुम कहोगे, हम नहीं बेचते। वो कहेगा, कल तो मैं लेकर गया। तो वो उस चीज को कैच कर (पकड़) लेते हैं।

रिपोर्टर : उस काम में क्या करना पड़ेगा?

सुधीर : कुछ नहीं, जो मैं बता रहा हूं।

रिपोर्टर : आप 1.5 लाख कमा रहे हो; लेकिन सारा सामान बाहर का…? सुधीर भाई! तुम जब बाहर का सामान लेते हो, तो हमारा भी ला देना।

सुधीर : देखो, मैं रुपीज 20 की कॉफी लाया, …तुम्हें रुपीज 25 में बेच रहा हूं, तो जो काम तुम खुद कर सकते, कोई और नहीं कर सकता।

रिपोर्टर : तो तुम हमें डिस्ट्रीब्यूटर (वितरक) के नंबर दे देना।

सुधीर के अनुसार, ईमानदारी अतीत की बात है। उसने साफ कहा कि फायदे के लिए बेईमानी आवश्यक है। उसने ‘तहलका’ रिपोर्टर को बताया कि कैसे वह अपने स्टोर के लिए अनधिकृत वस्तुएं खरीदता है; बावजूद इसके कि यह कंपनी के नियमों के खिलाफ है। इसके अतिरिक्त उसने उत्पादों की बिक्री पर खुदरा नेटवर्क से मिलने वाले कमीशन का भी खुलासा किया। सुधीर ने संकेत दिया कि कंपनी के साथ सम्बन्ध बनाने से कमीशन का प्रतिशत भी बढ़ सकता है; जैसा कि वह खुद इसका फायदा ले रहा है।

सुधीर : तुम सुबह उठकर भंगेल चले जाओ, गाड़ी तो होगी ना तुम्हारे पास?

रिपोर्टर : हां।

सुधीर : भाई! सुबह 5:00 बजे सप्लाई आ रही है, वहां से उठाकर पांच-पांच किलो लाकर यहां मिक्स कर दो।

रिपोर्टर : ईमानदारी से काम करेंगे, तो कितना कमा लेंगे?

सुधीर : ईमानदारी से कुछ भी न कमा पाओगे, और किसी भी काम न, …ईमानदारी का जमाना गया।

रिपोर्टर : तो परसेंटेज कितना कम दे रही है xxxx, ….9 प्रतिशत?

सुधीर : जब तुम एग्री हो जाओगे, तो बढ़ा भी सकती है। कइयों का बढ़ा दिया है, हमारा 12 प्रतिशत कर दिया है।

खुदरा श्रृंखला नियमित रूप से पर्यवेक्षकों (सुपरवाइजरों) को दुकानों में वस्तुओं का निरीक्षण करने, उनके दिशा-निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने और अनधिकृत बाहरी उत्पादों को रोकने के लिए भेजती है। हालांकि सुधीर ने खुलासा किया कि उसके भाई ने पर्यवेक्षक को यह सुनिश्चित करने के लिए धमकी दी थी कि वह अनधिकृत सामान बेचे जाने के बारे में चुप रहे। ऐसा लगता है कि डर कभी-कभी तुष्टिकरण के साथ मामलों को नियंत्रण में रखने और अपने मुनाफे को सुरक्षित रखने की स्टोर्स मालिकों की एक चुनी हुई रणनीति है।

रिपोर्टर : अच्छा, इसको सेट कैसे करें, …सुपरवाइजर xxxx को?

सुधीर : सेट तो सब हो जाएगा, पापी पेट का सवाल है। तुम कुछ खाने को दोगे, तो होगा। अभी ये कंपनी के गुण गा रहा है, कल तुम्हारे गाएगा। मगर टूटना मुश्किल से है।

रिपोर्टर : आपने कैसे सेट किया xxxx को?

सुधीर : हमने धमकाकर सेट किया है।

रिपोर्टर : धमकाकर कैसे?

सुधीर : छोटे भाई ने बाहर पकड़ लिया था इसको। ख़ूब बात सुनायी थी इसको। एक तो इससे ये बात की, कि जितना माल मंगवाऊंगा, उतना माल आना चाहिए, अगर तुम्हारा कंपनी से एग्रीमेंट साइन है, तो कंपनी से एग्रीमेंट हमारा भी साइन करवाओ। और जो हम माल मंगवाएंगे, वो ही माल आएगा। कंपनी अपनी तरफ से कुछ नहीं भेजेगी। एक-दो क्रेट तो हम भी झेल लेंगे, पर इतना नहीं कि चार-पांच क्रेट भेज दो; …कुछ भी माल भेज दो।

सुधीर ने खुले तौर पर स्वीकार किया कि वह अपने दोनों नोएडा स्टोर्स में बाहरी वस्तुओं का स्टॉक रखता है, जो खुदरा नेटवर्क की नीतियों का सीधा उल्लंघन है। कंपनी केवल शाकाहारी उत्पाद श्रृंखला को बनाये रखने के लिए कड़े नियम लागू करती है। लेकिन सुधीर मोटे फायदे के लिए अनधिकृत उत्पाद बेचकर इन नियमों का उल्लंघन करता है। वह न केवल प्रतिबंधित सामान बेचता है, बल्कि उसने व्यवस्था तंत्र के आसपास काम करने के तरीक़े भी ईजाद कर लिये हैं, जिसमें अंडे और विशिष्ट प्रकार के आटे जैसी वस्तुएं बेचना शामिल है, जिनकी अनुमति ही नहीं है। साफ लगता है कि नैतिक विचारों की परवाह किये बिना खुदरा श्रृंखला और कंपनी के नियमों के प्रति उसकी उपेक्षा ज्यादा-से-ज्यादा मुनाफा कमाने की इच्छा से उत्पन्न हुई होगी।

रिपोर्टर : तो आप जो बाहर का सामान लेते हो, वो 93 वाली स्टोर के लिए भी लेते हो?

सुधीर : हां जी!

रिपोर्टर : कुछ ऐसा आइटम रख सकते हैं, जो अलाउड नहीं है यहां?

सुधीर : हां; बहुत-से आइटम हैं। अंडे नहीं बेच सकते यहां।

रिपोर्टर : कंपनी की तरफ से अलाउड नहीं है?

सुधीर : वेजिटेरियन हैं यहां। आप नहीं बेच सकते। …आप साइड में बेच लो; मगर अंदर नहीं बेच सकते।

रिपोर्टर : आप क्या बेच रहे हो, जो अलाउड नहीं है?

सुधीर : गोल्ड के रस्क (बेकरी के पापे) बेच रहा हूं। बाहर के बेच रहा हूं, जो अलाउड नहीं है। बाहर जो फैन (एक प्रकार का मैदा बिस्किट), रस्क रखे हैं, इनमें बहुत मार्जिन (बचत) है।

रिपोर्टर : ये इसको पता है?

सुधीर : हां; ये इसको पता है। …उसको कहना है, अंदर तुम हमारा माल बेचोगे, बाहर तुम कुछ भी बेचो।

रिपोर्टर : वो, जो तुम कुट्टू आटा बेचते हो?

सुधीर : वो हम सब बाहर से लाते हैं।

रिपोर्टर : कुट्टू आटा अलाउड नहीं है?

सुधीर : नहीं। …अगर आप चेकिंग पर आ जाओ, आपने देख लिया ये क्या चीज है। …भाई! हमने बाहर कर रखा है।

रिपोर्टर : बाहर अगर तुम दो आइटम रख दो, तो कोई दिक़्क़त नहीं है?

सुधीर : आदमी चोरी करेगा ही, और हर बूथ वाला करता है।

अब सुधीर ने खुले तौर पर स्वीकार किया कि फ्रेंचाइजी खुदरा दुकान (रिटेल आउटलेट) चलाने में बाहरी बाजारों से प्राप्त अनधिकृत वस्तुओं को बेचना शामिल है। उसने बताया कि यह प्रथा ऐसे स्टोर्स का प्रबंधन करने वालों के बीच व्यापक है। कई लोग इन ज्यादा मुनाफा देने वाले बाहरी उत्पादों को बेचने का फायदा उठाते हैं। अपने दावे को पुष्ट करने के लिए सुधीर ने ‘तहलका’ रिपोर्टर को दिल्ली की गाजीपुर मंडी का दौरा करने के लिए आमंत्रित किया, जहां उसकी तरह के खुदरा स्टोर्स के कई वाहनों को बाहरी सामान खरीदने के लिए वहां मौजूद देखा जा सकता है। सुधीर के अनुसार, नोएडा की तुलना में दिल्ली के खुले बाजारों में खाद्य पदार्थ काफी सस्ते मिलते हैं, जिससे यह प्रथा राजधानी में और भी प्रचलित है।

रिपोर्टर : हर बूथ वाला बाहर का सामान बेच रहा होगा, वर्ना तो प्रॉफिट (मुनाफा) ही नहीं है?

सुधीर : हां; तुम गाजीपुर मंडी चलना, इतनी गाड़ी दिखाऊंगा तुम्हें xxxx की।

रिपोर्टर : xxxx की गाड़ी गाजीपुर में?

सुधीर : मतलब, जैसे हम चले जावें, मेरी गाड़ी है पर्सनल ये होता है; …अब जब तुम xxxx में आ जाओगे, तुम्हें पता चल जाएगा, वो इस दुकान से लाता है। फिर तुम रिटायर हो जाओगे मानो, यहां कम मार्जिन मिलेगा। दिल्ली जाओगे, ज्यादा मार्जिन मिलेगा सब्जी में।

फिर सुधीर से उसके स्टोर में अनधिकृत सामान लाते समय रंगे हाथों पकड़े जाने के संभावित जोखिमों के बारे में पूछा गया, जिसके जवाब में उसने आत्मविश्वास से इस तरह की छापेमारी की संभावना को खारिज कर दिया। यह उसके इस विश्वास को दर्शाता है कि व्यवस्था की जांच के लिए रखे गये लोग इन गतिविधियों पर आंखें मूंदने में या तो उदार हैं, या इसमें शामिल हैं।

रिपोर्टर : अगर तुम माल बाहर से ला रहे हो रात में, …दुकान में रख रहे हो; उसी समय किसी ने छापा मार दिया?

सुधीर : ऐसा नहीं होता।

अब सुधीर ने एक झलक प्रदान की, कि व्यवस्था में हेरफेर कैसे किया जा सकता है? उसने ‘तहलका’ रिपोर्टर को एक रास्ता सुझाया कि इस काम में घाटा होने का बहाना बनाते हुए पर्यवेक्षक से विनती करें और शिकायत करना शुरू कर दें। सुधीर ने दावा किया कि इस रणनीति से पर्यवेक्षक आंखें मूंद लेगा और स्टोर में अनधिकृत बाहरी वस्तुओं की बिक्री की अनुमति दे देगा। हालांकि सुधीर का कहना है कि रिश्वतखोरी काम नहीं कर सकती; लेकिन भावनात्मक अपील से काम चल सकता है।

रिपोर्टर : कितनी तनख्वाह होगी इसकी, xxxx की?

सुधीर : इसकी होगी 40 के (हजार)!

रिपोर्टर : सेंट्रल गवर्नमेंट जॉब (केंद्र सरकार की नौकरी) है, अब तो रिटायर होने वाला होगा?

सुधीर : जी! वैसे ये बहुत मुश्किल टाइम में खाता है। इसके सामने रोओ, बस; …जितना हो सकता है। जब भी आए, रोना शुरू कर दो- ‘अरे सर जी! कहां फंसा दिया। सर जी! ये न बिक रहा, वो न बिक रहा।’ फिर वो सोचता, चलो बेचने दो बाहर का। …कुछ तो कमा ले भाई।

रिपोर्टर : अच्छा; ऐसा है। चाय-पानी पिला दो, जब आए?

सुधीर : हां; अभी तो कोल्ड ड्रिंक पिलायी।