विमान हादसा : दु:खद अनहोनी

अहमदाबाद हवाई अड्डे के रनवे-23 से 12 जून को 1:39 बजे उड़ान भरने के कुछ ही सेकेंड बाद जिस तरह एयर इंडिया का विमान एआई-171 अहमदाबाद में ही सिविल अस्पताल के छ: मंज़िला छात्रावास से बुरी तरह टकराया, उससे सब हैरान हैं। सब परेशान हैं कि आख़िर यह कैसे हो गया? ऐसा हादसा भारतीय इतिहास में ही नहीं, दुनिया के इतिहास में नहीं हुआ। विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने का अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि उसका ज़्यादातर हिस्सा जल गया। दुर्घटना के कारणों की जाँच के लिए भी एक ब्लैक बॉक्स के अलावा कुछ ख़ास नहीं बचा। इस विमान में क्रू मेंबर समेत 242 लोग सवार थे, जिनमें गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणि समेत 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश नागरिक, सात पुर्तगाली नागरिक, एक कनाडा का नागरिक, दो पायलट, कुछ क्रू मेंबर और कुछ एयर होस्टेस शामिल थीं। लेकिन एक घायल हुए यात्री के अलावा सब मारे गये।

दुर्घटनाएँ होती हैं। लेकिन इस तरह की दुर्घटनाएँ नहीं होतीं। यह दुर्लभ दुर्घटना है, जिसमें असमंजस है। असंभवता है। अनहोनी है। अफ़सोस है। विस्मय है। विह्वलता है। विलाप है। इसके अलावा दुर्घटना को लेकर अनेक अनुमान हैं; लेकिन संदेह भी हैं और सवाल भी हैं। विमान जिस तरह दुर्घटनाग्रस्त हुआ, उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। उसे उड़ाने वाले कैप्टन सुमित सभरवाल एक ऐसे पायलट थे, जिनका विमान उड़ाने का अनुभव लगभग 8,200 घंटे का था और उनके सह-पायलट फ‌र्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर का विमान उड़ाने का अनुभव भी 1,100 घंटे का था। यह कोई छोटा अनुभव नहीं है। कैप्टन सुमित सभरवाल तो इतने अनुभवी थे कि उनसे पायलटों को ट्रेनिंग देने तक की सेवाएँ ली जाती थीं। विमान भी 11 साल पुराना ही था। इतने पुराने विमानों को उड़ान की दुनिया में लगभग नया ही माना जाता है। विमान में उच्च गुणवत्ता वाला 78,000 लीटर एयर टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) पैराफिन भरा था, जिससे विमान दुर्घटना के समय भयंकर आग लगी। विमान के दोनों इंजन भी ठीक थे। लेकिन फिर भी दोनों ही इंजन एक साथ फेल कैसे हो गये? विमान उड़ते ही सिविल अस्पताल के छात्रावास से कैसे टकरा गया? विमान को बचाने का समय क्यों नहीं मिला? क्या केवल विमान में ही सवार लोग मारे गये? सिविल अस्पताल के छ: मंज़िला छात्रावास में और आसपास भी तो थोड़े-बहुत लोग मरे होंगे? उनका ब्यौरा कौन देगा? पायलट सुमित ने मदद माँगी थी। मदद क्यों नहीं हो सकी? इन सवालों के जवाब हर नि:स्वार्थी समझदार व्यक्ति जानना चाहता है।

एयर इंडिया सरकारी विमानन कम्पनी थी। मौज़ूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकारी संपत्तियों को बेचने की आदत ने लगभग तीन साल पहले नागरिक उड्डयन मंत्रालय के पास मौज़ूद एयर इंडिया की भी 74.9 प्रतिशत हिस्सेदारी टाटा सन्स को 18,000 करोड़ रुपये में बेच दी। एयर इंडिया की शेष 25.1 प्रतिशत हिस्सेदारी सिंगापुर एयरलाइंस के पास है। 12 जून को इस विमान ने अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरी थी। आकाश वत्स नाम के एक शख़्स ने दावा किया है कि वह इसी विमान से दिल्ली से अहमदाबाद गया था, तब विमान में कोई कमी नहीं थी। उसका कहना है कि अगर उसे भी आगे का सफ़र करना होता, तो वह भी जीवित नहीं होता। विमान में खिड़की की तरफ़ बैठे विश्वास कुमार रमेश को गंभीर चोटें तो आयीं; लेकिन उनकी जान बच गयी। उन्होंने कहा है कि विमान के उड़ान भरने के 30 सेकेंड बाद ही तेज़ आवाज़ हुई। कोई कुछ समझ पाता, इससे पहले ही विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह सब बहुत जल्दी हुआ कि जब मैं चोटिल अवस्था में उठा, तो मेरे चारों तरफ़ आग और लाशें थीं। मैं डर गया और वहाँ से लँगड़ाते हुए किसी तरह भागा। मेरे चारों तरफ़ विमान के टुकड़े बिखरे पड़े थे। अचानक लोगों ने मुझे पकड़ लिया और एम्बुलेंस में डालकर अस्पताल ले गये। मैं विंडो सीट पर था। दुर्घटना में विंडो के साथ ही उछलकर गिरा, नहीं तो मैं भी नहीं बच पाता।

कभी-कभी किसी एक शख़्स का बुरा वक़्त हो, तो पूरी नाव डूब जाती है। किसी एक के घर में आग लगती है, तो पूरी बस्ती जल जाती है। यहाँ भी शायद किसी की मौत के लिए सबकी मौत हुई हो! या यह भी हो सकता है कि सबके ही नसीब में इस तरह की दर्दनाक मौत हो। लेकिन ऐसा कहकर इस दर्दनाक दुर्घटना को भुलाया या नज़रअंदाज़ नहीं जा सकता। इस दुर्घटना की निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए और सच सामने आना चाहिए।

इस बात भी सामने आनी चाहिए कि जहाँ विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ, वहाँ उस छात्रावास में और उसके आसपास कुल कितने लोगों की मौत हुई? कितना नुक़सान हुआ? इस विमान हादसे के बाद एक केदारनाथ से लौट रहा एक और विमान रुद्रप्रयाग में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें सात लोग मारे गये। हालाँकि इसमें हम सिवाय शोक व्यक्त करने और मृतकों को श्रद्धांजलि देने के कुछ नहीं कर सकते।

‘तहलका’ परिवार सभी मृतकों को विनम्र श्रद्धांजलि देता है और ईश्वर से कामना करता है कि वे मृतकों के परिजनों को दु:ख सहने की शक्ति प्रदान करें। ओ३म् शान्ति!