अंजलि भाटिया
नई दिल्ली , 4 जून
देश में पाकिस्तानी जासूसों और स्लीपर सेल्स के बढ़ते नेटवर्क के बीच अब एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। वित्त मंत्रालय की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि बीते 10 सालों में देश में सीमा पार लेनदेन (क्रॉस-बॉर्डर ट्रांजेक्शन) की संख्या में बेतहाशा इजाफा हुआ है।
सूत्रों के मुताबिक, 2014–15 से लेकर 2023–24 के बीच कुल 16 करोड़ 68 लाख 43 हजार 425 करोड़ क्रॉस-बॉर्डर वायर ट्रांजेक्शन रिपोर्ट(CBWTR) दर्ज किए गए हैं। इनमें से अधिकांश लेनदेन अचानक, असामान्य रूप से और संदेहास्पद स्थितियों में किए गए हैं, जिन्हें मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग से जोड़कर देखा जा रहा है।
वित्त मंत्रालय के इंटेलिजेंस विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि आतंकियों को मिलने वाली फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगाने के लिए फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय है औरऔर प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी देश के भीतर सतर्क है।
फिर भी इन ट्रांजेक्शनों में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई है, जो सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बन गई है।ये वो लेनदेन हैं जो अचानक होते हैं और इन पर पहले से नजर नहीं होती।
2002 के मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत कोई भी वित्तीय संस्था अगर ₹5 लाख या उससे ज्यादा का अंतरराष्ट्रीय लेनदेन करती है, तो उसे उसकी जानकारी तुरंत सरकार को देनी होती है। यह नियम सभी सरकारी, निजी, अंतरराष्ट्रीय बैंक, बीमा कंपनियाँ, म्युचुअल फंड्स और सहकारी संस्थाओं पर लागू होता है।
वित्त मंत्रालय ने 2013-14 से ‘क्रॉस-बॉर्डर वायर ट्रांजेक्शन रिपोर्ट’ का संकलन शुरू किया। इससे पहले, अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन को अलग से दर्ज नहीं किया जाता था। 2013-14 में केवल 61231 लेनदेन किये गये। हालाँकि, 2014-15 से 2023-24 तक के दस वर्षों में सीमा पार वायर लेनदेन की आंकड़े लाखों से सीधे करोड़ों में पहुंच चुके हैं।
2019–20 और 2020–21 में सबसे ज्यादा ट्रांजेक्शन दर्ज किए गए। ये सभी लेनदेन ₹5 लाख से लेकर ₹4 करोड़ रुपये तक के रहे हैं।
वर्ष लेनदेन की संख्या
2023–24 12,95,64,06
2022–23 13,66,83,80
2021–22 13,68,52,50
2020–21 3,61,24,141
2019–20 3,95,53,003
2018–19 1,07,19,253
2017–18 94,07,903
2016–17 90,91,149
2015–16 1,53,05,924
2014–15 1,66,332
पहलगाम हमले के बाद खुफिया एजेंसियों ने अलग-अलग इलाकों से पाकिस्तान के लिए जासूसी कर रहे करीब 15 जासूसों को गिरफ्तार किया है। इसमें सरकारी कर्मचारी, ब्लॉगर, इंजीनियर आदि शामिल हैं। इससे पता चलता है कि आईएसआई ने भारत में जासूसों का एक नेटवर्क बनाया था। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के हमले को विफल करने में चीन ने पाकिस्तान की मदद की थी। ऐसे में इस बात की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि देश में चीनी जासूस भी सक्रिय हों।
ऑपरेशन सिंदूर’ के समय भारत पर हमले को रोकने के लिए चीन ने भी पाकिस्तान का साथ दिया था। ऐसे में अब ये भी आशंका जताई जा रही है कि चीनी एजेंट भी भारत में सक्रिय हो सकते हैं।
इन सभी एजेंटों तक फंडिंग कैसे पहुंचती है, यह अभी तक साफ नहीं हो पाया है। लेकिन CBWTR में दर्ज संदिग्ध ट्रांजेक्शनों की संख्या यह जरूर संकेत देती है कि फंडिंग का रास्ता डिजिटल और अंतरराष्ट्रीय लेनदेन से होकर गुजरता है।