ऑपरेशन सिंदूर और नये भारत का निर्णय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई की रात को राष्ट्र के नाम अपना सबसे दृढ़ संबोधन प्रेषित किया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में घोषणा की- ‘यदि पाकिस्तान को जीवित रहना है, तो उसे आतंकवादी बुनियादी ढाँचे को नष्ट करना होगा। आतंक और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते। आतंक और व्यापार एक साथ नहीं चल सकते। पानी और ख़ून एक साथ नहीं बह सकते।’ इन शब्दों के साथ प्रधानमंत्री ने एक नये राष्ट्रीय सिद्धांत को रेखांकित किया कि प्रत्येक आतंकवादी हमले को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा। मोदी ने अपने भाषण में ऑपरेशन सिंदूर के लिए सशस्त्र बलों, ख़ुफ़िया एजेंसियों और वैज्ञानिकों को शुक्रिया कहा। यह ऑपरेशन 22 अप्रैल के पहलगाम नरसंहार के प्रतिशोध में 06 मई को शुरू किया गया, जो एक त्वरित और निर्णायक जवाबी हमला था। सांप्रदायिक अशान्ति फैलाने के उद्देश्य से किये गये आतंकी हमले में 25 पर्यटकों और एक टट्टू संक्रियक (टट्टू से पर्यटकों को ढोने वाले) सहित 26 लोगों को निशाना बनाया गया। प्रधानमंत्री ने तब ऐसा प्रतिशोध लेने का वादा किया था, जो उनकी (आतंकवादियों की) कल्पना से परे होगा, ऐसा माना गया। अपने वचन के अनुसार, तीनों भारतीय सेनाओं के संयुक्त हमले में भारतीय लड़ाकू विमानों ने 25 मिनट के भीतर जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख ठिकानों को नष्ट कर दिया।

ऑपरेशन का नाम ‘सिंदूर’ मोदी द्वारा चुना गया था और इसका सांस्कृतिक महत्त्व बहुत बड़ा है। विवाहित हिन्दू महिलाओं द्वारा लगाया जाने वाला लाल सिंदूर पवित्रता, पहचान और निरंतरता का प्रतीक है। पहलगाम में मारे गये कई पुरुष विवाहित हिन्दू थे। उनकी विधवाओं के सिंदूर, जो आतंकवाद द्वारा लाक्षणिक रूप से मिटा दिये गये थे; इस प्रतीकात्मक नामकरण में प्रतिध्वनित हुए। यह महज़ एक सैन्य युद्धाभ्यास नहीं था, बल्कि यह एक सांस्कृतिक दृढ़-संकल्प और भावनात्मक प्रतिक्रिया थी। हमले के बाद प्रेस वार्ता का नेतृत्व करती दो महिला अधिकारियों- कर्नल सोफ़िया क़ुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की छवि ने लचीलेपन और सशक्तिकरण की कहानी को और मज़बूत किया। जैसा कि श्रीनगर में नियुक्त ‘तहलका’ के विशेष संवाददाता रियाज़ वानी ने आवरण कथा- ‘युद्ध-विराम के मायने’ में लिखा है कि जिस क्षण निर्दोष पर्यटकों को निशाना बनाया गया, एक बड़ा टकराव अपरिहार्य हो गया। नई दिल्ली की नपी-तुली, रणनीतिक जवाबी कार्रवाई, जिसमें नागरिकों को हताहत होने से बचाया गया और साथ ही पाकिस्तान की हवाई क्षमताओं को काफ़ी हद तक कमज़ोर कर दिया गया; यह दृढ़ संकल्प और संयम दोनों का प्रदर्शन था।

प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के साथ भविष्य में होने वाली कोई भी बातचीत केवल आतंकवाद और पाक अधिकृत कश्मीर पर ही केंद्रित होगी। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि युद्ध-विराम पाकिस्तान के अनुरोध पर किया गया था, वैश्विक दबाव में नहीं। इस तरह मोदी ने तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की अटकलों को चुपचाप शान्त कर दिया। उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत परमाणु ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेगा और किसी भी उकसावे का अपनी शर्तों पर जवाब देगा। वास्तव में ऑपरेशन सिंदूर भारत की आतंकवाद-रोधी नीति में एक बड़े बदलाव को दर्शाता है, जिसमें तुष्टिकरण की जगह कार्रवाई और कूटनीति की जगह निवारण को प्राथमिकता दी गयी है। विश्व ने अब एक नये भारत को देखा है, जो कथनी को करनी से जोड़ता है। जैसा कि प्रधानमंत्री ने निष्कर्ष निकाला, भविष्य पूरी तरह से पाकिस्तान के आचरण पर निर्भर करेगा।

इस बीच ‘तहलका’ एसआईटी द्वारा पड़ताल की गयी ‘तहलका’ की दूसरी प्रमुख रिपोर्ट- ‘बिक रहे आईपीएल के कॉर्पोरेट पास’ यह उजागर करती है कि कैसे ख़ास लोगों को मिलने वाले आईपीएल के नि:शुल्क पास और टिकट की कालाबाज़ारी फिर से शुरू हो गयी है, और पिछली पुलिस कार्रवाई के बावजूद कॉर्पोरेट बॉक्स पास चाहने वालों को मिलने वाले मुफ़्त पास की धड़ल्ले से अवैध बिक्री की जा रही है। एक अन्य सुर्ख़ियाँ बटोरने वाली बात यह है कि महान् क्रिकेटर विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया है, जिससे भारतीय क्रिकेट का एक स्वर्णिम अध्याय समाप्त हो गया है। इससे कुछ दिन पहले ही महान् बल्लेबाज़ रोहित शर्मा ने भी अपनी लंबी पारी खेलकर टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया था। दोनों की स्वैच्छिक-विदाई एक ऐसे युग का अंत है, जिसने भारत को एक वैश्विक क्रिकेट महाशक्ति के रूप में स्थापित किया था।