एनडीए को उत्तर प्रदेश में साढ़े सात वर्ष में अधिकांश चुनावों में मिली जीत

लखनऊ : योगी आदित्यनाथ यानी जीत की गारंटी का नाम। विकास, रोजगार, सख्त कानून व्यवस्था, समृद्धि की बदौलत उत्तर प्रदेश के प्रति लोगों के मन में धारणा बदलने वाले योगी आदित्यनाथ की स्वीकार्यता अपने प्रदेश के ‘मन-मन’ के साथ अन्य प्रदेशों के ‘जन-जन’ में बढ़ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव, उपचुनाव, विधान परिषद उपचुनाव, नगर निकाय चुनावों में भाजपा व एनडीए को जीत दिलाई तो अन्य राज्यों में भी भाजपा कार्यकर्ता के रूप में खूब पसीना बहाया। लिहाजा पीएम मोदी के नेतृत्व में कई राज्यों में भाजपा सरकार बनी। इसमें योगी आदित्यनाथ ने भी काफी मेहनत की।

कुंदरकी व कटेहरी में भी कमल खिलाकर नेतृत्व को विश्वास दिला दिया कि यूपी को योगी का ही साथ पसंद है, लिहाजा जन-जन ने योगी आदित्यनाथ को जीत की गारंटी मान लिया है। योगी की रणनीति व संवाद का ही असर रहा कि इस बार निकाय चुनाव में भी भाजपा ने क्लीन स्वीप किया। इस बार यूपी की सभी 17 की 17 नगर निगमों में भारतीय जनता पार्टी के महापौर निर्वाचित हुए हैं, जबकि पिछली बार 2017 में यह आंकड़ा 16 में से 14 का था। पिछली बार यूपी में भाजपा के 596 पार्षद जीते थे, जबकि इस बार यह आंकड़ा बढ़कर 813 हो गया।

शहरों में भाजपा की यह जीत योगी की विकास परक नीति पर आमजन की मुहर है। नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद पर 2017 में भाजपा को 60 सीटों पर जीत मिली थी। 199 सीटों में से यह आंकड़ा इस बार बढ़कर 88 पहुंच गया। पालिका परिषद सदस्यों में पिछली बार भाजपा को 923 सीट मिली थी, 2023 में यह बढ़कर 1353 हो गई। नगर पंचायतों में भी 191 सीटों में अध्यक्ष पद पर भाजपा के प्रतिनिधि काबिज हुए। 2017 में यह आंकड़ा 100 का था। योगी के नेतृत्व में 2023 में 91 सीटें और बढ़कर भाजपा की झोली में आई, वोट प्रतिशत में भी खूब इजाफा हुआ। भाजपा के नगर पंचायत सदस्यों की संख्या भी 664 से बढ़कर 1403 हो गई। वहीं नगर निगम, पंचायत व पालिका में भी सपा की साइकिल पंचर हो गई तो बसपा का हाथी भी गिर गया। निकाय चुनाव में भी सपा-बसपा का ग्राफ जबरदस्त गिरा।

लक्ष्मण आचार्य के महामहिम राज्यपाल व बनवारी लाल दोहरे के निधन के कारण मई में विधान परिषद की दो सीटों पर उपचुनाव हुए। 403 में से 396 वोट पड़े थे, जबकि एक अवैध हो गया। सीएम योगी की कुशल रणनीति से अखिलेश की चाल यहां भी धरी की धरी रह गई। भाजपा प्रत्याशी मानवेंद्र सिंह 280 व पद्मसेन चौधरी 279 मत पाकर परिषद पहुंचे, जबकि सपा के रामकरण निर्मल को महज 116 व रामजतन राजभर को 115 वोट से ही संतोष करना पड़ा था। जुलाई में हुए विधान परिषद उपचुनाव में भी सरकार के मुखिया के तौर पर सीएम योगी के नेतृत्व में बहोरन लाल मौर्य निर्विरोध सदन पहुंचे।

पीएम मोदी के नेतृत्व में महाराष्ट्र में भी महायुति गठबंधन ने फिर से सत्ता हासिल की। पीएम के निर्देशन में योगी आदित्यनाथ ने यहां जनसभा कर 24 प्रत्याशियों के लिए वोट की अपील की। इनमें से 22 पर महायुति गठबंधन ने जीत हासिल की। त्रिपुरा में योगी ने दो दिन में छह रैलियां और रोड शो किया था। इन सबमें कमल खिला और पीएम मोदी के मार्गदर्शन में भाजपा सरकार बनी। मई में ओडिशा में हुए चुनाव में भी योगी आदित्यनाथ का जादू चला। यहां लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी योगी का आह्वान जनता तक पहुंचा। ओडिशा में नवीन पटनायक सरकार गिरी और भाजपा सरकार ने सत्ता संभाली। राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, हरियाणा आदि राज्यों में भी पीएम मोदी के मार्गदर्शन में योगी आदित्यनाथ ने भाजपा कार्यकर्ता के रूप में चुनाव प्रचार में हिस्सा लिया। इन राज्यों में भी कमल खिला।