छात्रों पर पढ़ाई का दबाव, सामाजिक तुलना, अपमान और असफलता का डर , स्कूलों का कड़ा रवैया देशभर में छात्र इन मानसिक चुनौतियों के आगे टूट रहे हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ताज़ा रिपोर्ट ने बड़ा खुलासा किया है। महाराष्ट्र छात्रों की आत्महत्याओं में देश में पहले स्थान पर पहुंच गया है।
शिक्षा और प्रगतिशील सोच के लिए पहचाने जाने वाले इस राज्य के लिए यह आंकड़ा बेहद चिंताजनक है। रिपोर्ट बताती है कि बीते वर्षों में छात्रों की आत्महत्या के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हुई है और अब यह समस्या राष्ट्रीय संकट बन चुकी है।
महाराष्ट्र सबसे आगे, देश में 13,892 छात्रों ने 2023 में की आत्महत्या NCRB के अनुसार 2023 में 13,892 छात्रों ने आत्महत्या की
इनमें से सबसे ज्यादा 2,046 मामले महाराष्ट्र से मध्यप्रदेश दूसरे स्थान पर1,459, उत्तरप्रदेश तीसरे स्थान पर 1,373, तमिलनाडु चौथे स्थान पर 1,339
इन आंकड़ों से साफ है कि पढ़ाई और प्रतिस्पर्धा का दबाव बच्चों की मानसिक सेहत पर गहरा असर डाल रहा है।
स्कूलों में अपमान और तुलना से बढ़ रहा तनाव
दिल्ली के छात्र शौर्य पाटिल और जालना की आरोही बिटलान की आत्महत्या ने पूरे देश को झकझोरा। NCRB रिपोर्ट में बताया गया की स्कूलों में अपमानजनक व्यवहार, दोस्तों के सामने डांटना
फेल होने पर ताने, दूसरे बच्चों से तुलना, फीस न भरने पर बच्चों को अलग बैठाना
ये कारण छात्रों को गहरे तनाव में धकेल रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि स्कूल में अपमान झेलने के मामलों में महाराष्ट्र पहले स्थान पर है।
सबसे ज्यादा आत्महत्याएं 10वीं ओर 12वीं के छात्रों में 24.6% आत्महत्याएं 10वीं, 12वीं के छात्रों द्वारा
18.6% प्रथम से तृतीय वर्ष कॉलेज छात्रों द्वारा 17.5% उच्च प्राथमिक (मिडिल स्कूल) छात्रों द्वारा
यह दर्शाता है कि सबसे अधिक तनाव स्कूल स्तर पर ही झेला जा रहा है।
10 साल में 72% बढ़ीं छात्रों की आत्महत्याएं
2015 में 900 मामलों की बढ़ोतरी, 2020 में 2,100 मामलों की बढ़ोतरी, 2023 में 848 नए केस
विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना काल के बाद बच्चों में तनाव, प्रतिस्पर्धा और सामाजिक दबाव और तेज़ी से बढ़ा है।
सरकार की पहलें तो की है लेकिन असर सीमित है।
सरकार की तरफ से छात्रों की आत्महत्या रोकने के लिए।मेंटल हेल्थकेयर एक्ट, एंटी-रैगिंग उपाय
स्टूडेंट काउंसलिंग, सुसाइड प्रिवेंशन गेटकीपर ट्रेनिंग
मौजूद हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) के अनुसार आंकड़े बताते हैं कि जमीनी स्तर पर इनका प्रभाव उतना नहीं दिख रहा।
महाराष्ट्र के बड़े शहरों की स्थिति भी गंभीर
2023 में—
मुंबई : 1,415 मामले
पुणे : 953
नागपुर : 663
औरंगाबाद : 354
नासिक : 160




