यूक्रेन-रूस युद्ध को समाप्त करने के प्रयासों के बीच एक बड़े कूटनीतिक घटनाक्रम में, यूरोपीय और नाटो देशों के नेताओं ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की के साथ एकजुटता दिखाई है। रविवार को जारी घोषणा के अनुसार, ये सभी नेता वाशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ होने वाली महत्वपूर्ण बैठक में ज़ेलेंस्की का साथ देंगे। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य यूक्रेन में युद्ध को समाप्त करने और अमेरिकी सुरक्षा गारंटी को मजबूत करने के लिए एक संयुक्त रणनीति बनाना है।
यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल ही में शुक्रवार को अलास्का में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और डोनाल्ड ट्रंप के बीच एक शिखर वार्ता हुई थी, जिसमें यूक्रेनी राष्ट्रपति को शामिल नहीं किया गया था। इसी के बाद ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली और फिनलैंड जैसे प्रमुख देशों ने ज़ेलेंस्की के समर्थन में आगे आने का फैसला किया है।
सोमवार को व्हाइट हाउस में ज़ेलेंस्की के साथ नाटो नेताओं की मौजूदगी यह सुनिश्चित करने का एक स्पष्ट प्रयास है कि यह बैठक सफल रहे। इससे पहले फरवरी में हुई एक बैठक के दौरान ट्रंप ने ओवल ऑफिस में ज़ेलेंस्की को फटकार लगाई थी, जिससे असहज स्थिति पैदा हो गई थी। संयुक्त राष्ट्र में फ्रांस के पूर्व सैन्य मिशन प्रमुख, सेवानिवृत्त फ्रांसीसी जनरल डोमिनिक ट्रिनक्वांड ने कहा, “यूरोपीय देश ओवल ऑफिस जैसी घटना को दोहराना नहीं चाहते और इसीलिए वे ज़ेलेंस्की को अपना पूरा समर्थन दे रहे हैं।”
इस बीच, अलास्का में हुई ट्रंप-पुतिन वार्ता से एक महत्वपूर्ण खबर सामने आई है। अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने रविवार को सीएनएन को दिए एक साक्षात्कार में बताया कि पुतिन इस बात पर सहमत हो गए हैं कि युद्ध समाप्ति समझौते के हिस्से के रूप में अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगी यूक्रेन को नाटो जैसी सुरक्षा गारंटी दे सकते हैं। विटकॉफ ने इसे “गेम चेंजर” बताते हुए कहा, “यह पहली बार है जब रूसियों ने इस तरह की किसी बात पर सहमति जताई है।”
वहीं, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा है कि यूरोपीय प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति ट्रंप से यूक्रेन की सेना को और मजबूत करने की योजनाओं का समर्थन करने का आग्रह करेगा। इन योजनाओं में शांति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से यूक्रेन की सशस्त्र सेनाओं को अतिरिक्त प्रशिक्षण और उपकरण प्रदान करना शामिल है, जो पहले से ही रूस के बाहर यूरोप की सबसे बड़ी सेना मानी जाती है।