फिल्म मणिपुर की मैरी कॉम के बारे में है लेकिन संगीत मुंबई का है. वहीं की आवाजें हैं, वहीं के बोल, वहीं की समझ. लेकिन बस इतनी ही शिकायत है इस एलबम से. कुछ गीत हैं यहां, जिनमें मेहनत की मधुर झंकार है. इंडियन आइडल पांच के दो गायक ‘मैरी कॉम’ के संगीतकार हैं, जिन्हें ऐसा मौका देने के लिए भंसाली की तारीफ होनी चाहिए. नहीं तो इंडियन आइडल के अच्छे-अच्छे गायक अनु मलिक की छाया में काले हुए पड़े हैं.
एक आवाज की आप कितनी बार आरती उतार सकते हैं? क्या करें, अरिजित गाते ही इतना कमाल हैं. जैसे हमारे हृदय से बांसुरी सटा दूसरी तरफ से उसमें अपनी आवाज घोल रहे हों, और सबकुछ दिल के रास्ते रूह तक पहुंच रहा हो. बाकी हर चीज में साधारण ‘सूकून मिला’ ऐसा ही गीत है. एलबम के बाकी कई अच्छे गीतों में गायक अपने शुद्ध रूप में आते हैं, और इन दिनों दुर्लभ होती जा रही ऐसी गायकी के लिए संगीतकार शशि सुमन के कांधे पर गीतमय थपकी. सुनिधि चौहान ‘अधूरे’ ऐसे गाती हैं जैसे ‘चमेली’ के गीत गा रही हों, और हमें पुराना प्यार फिर हो जाता है. मोहित चौहान एक लंबे वक्त बाद ‘तेरी बारी’ से वापस मोहित चौहान हो जाते हैं, और ऐसा करते हुए वे दिल खुशी से इतना भर देते हैं कि तौलने की जरूरत आन पड़ती है. बाक्सिंग प्रेक्टिस की आवाजों को गीत में सिलता और लिखाई में लायक ‘जिद्दी दिल’ सर्वश्रेष्ठ है जिसे गाकर विशाल डडलानी कुछ वक्त से अपनी गायकी की ऊर्जा में लग चुके जालों का सफाया कर देते हैं. आखिरी, प्रियंका चोपड़ा की गाई लोरी ‘चाओरो’ पता नहीं किसी संगीत सॉफ्टवेयर के नये अपडेट का कमाल है या सच में प्रियंका की आवाज इतनी मधुर है, लेकिन जो कानों में जाता है वो बार-बार जाना चाहता है. बेहद प्यारी लोरी.