-बेच दी करोड़ों की सरकारी ज़मीन, किसानों की ज़मीनों पर भी करते जा रहे क़ब्ज़ा, कुछ नहीं कर पा रहे अधिकारी
एक तरफ़ जहाँ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश से गुंडों का एनकाउंटर और भू-माफ़ियाओं का बुलडोज़र से सफ़ाया करने में लगे हैं, वहीं कुछ गुंडे और भू-माफ़िया ऐसे भी हैं, जिनके आगे योगी का बुलडोज़र और प्रशासन, दोनों ही पस्त दिखायी देते हैं। क्योंकि उनके सिर पर कुछ भाजपा नेताओं का हाथ है, इसलिए योगी का प्रशासन उनका कुछ नहीं बिगाड़ पा रहा है। मेरठ में भी ऐसे कई भू-माफ़िया हैं, जो अपनी गुंडागर्दी के दम पर न सिर्फ़ योगी सरकार को चुनौती दे रहे हैं, बल्कि उनके सुशासन और गुंडाराज मुक्त उनकी सोच पर भारी पड़े हुए हैं। कुछ भाजपा नेताओं की बदौलत ये भू-माफ़िया मेरठ प्रशासन को भी नाच नचाते और मनमानी करते नज़र आ रहे हैं।
स्थानीय लोग और कुछ पीड़ित बताते हैं कि प्रशासन इन भू-माफ़ियाओं के आगे पानी भरता है। पीड़ित किसानों का कहना है कि मेरठ में भू-माफ़ियाओं ने कई किसानों और सरकार की ज़मीनों को भी हड़प लिया है, जिसकी वजह से एक किसान ने पाँच साल पहले आत्महत्या तक कर ली थी। इन भू-माफ़ियाओं ने गुंडागर्दी के दम पर न सिर्फ़ किसानों की ज़मीनों पर क़ब्ज़ा कर लिया है, बल्कि धमकी देते हैं कि उनका कुछ बिगाड़ने वाला कोई माई का लाल पैदा नहीं हुआ है। तो क्या माना जाए? क्या भू-माफ़ियाओं की यह धमकी सीधे-सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उनकी शून्य अपराध की गारंटी, सुशासन के दावे वाली व्यवस्था और उनके प्रशासन के लिए है?
दरअसल, मेरठ के कंकरखेड़ा थाना क्षेत्र के रहने वाले कथित बिल्डर और भू-माफ़िया अखिलेश, भू-माफ़िया रमेश यादव ने स्थानीय किसान सुशील, विरेंद्र, जगत सिंह और बलजीत सिंह गाँव नंगला ताशी, थाना कंकरखेड़ा, ज़िला मेरठ की खसरा संख्या-616 वाली ज़मीन पर क़ब्ज़ा करने की नीयत से उनकी न्यायालय के निर्देश पर बनायी गयी दीवार तोड़कर किसानों की खेती-बाड़ी ख़राब करते हुए उनका खेती का सामान और कृषि यंत्रों को फेंक दिया और किसानों की ज़मीन में ग़लत तरीक़े से रास्ता बना लिया, जबकि भू-माफ़ियाओं का अपना रास्ता दूसरी दिशा में अलग से मौज़ूद है। फिर भी भू-माफ़िया जबरन तीर्थ कुंज का रास्ता शामली हाईवे की तरफ़ निकालने पर आमादा हैं। इसकी शिकायत पीड़ित किसानों ने कंकरखेड़ा थाने के अलावा ज़िले के तमाम अधिकारियों से भी की; लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि ज़िला प्रशासन दबाव में कार्रवाई करने में नाकाम है। इसके बाद पीड़ित किसानों ने मजबूरन प्रदेश के मुख्य सचिव को 24 जून, 2024 को भी अपनी पीड़ा एक पत्र लिखकर बतायी, जिस पर मुख्य सचिव ने मेरठ के ज़िलाधिकारी, मेरठ मंडल के अपर आयुक्त को उक्त मामले पर संज्ञान लेने के लिए निर्देशित किया; लेकिन इसके बावजूद भी कोई कार्रवाई भू-माफ़ियाओं के ख़िलाफ़ नहीं हुई।
पीड़ित किसानों ने बताया कि उनकी ज़मीन की तारबंदी और दीवार मेरठ मंडल के कमिश्नर द्वारा आदेश के बाद पुलिस सुरक्षा में कई साल पहले करायी गयी थी; लेकिन भू-माफ़िया अखिलेश और भू-माफ़िया रमेश यादव ने अपने गिरोह के साथ मिलकर ने दीवार को जबरन तोड़ दिया। पीड़ित किसानों ने पुलिस और स्थानीय प्रशासन से इस मामले की बार-बार शिकायत की और पुन: दीवार बनवाने की गुहार लगायी; लेकिन न दीवार बनने दी गयी और न ही भू-माफ़िया के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई हुई। जब किसान परिवार ने दीवार बनाने की कोशिश की, तो भू-माफ़ियाओं ने गुंडागर्दी और पुलिस से मिलीभगत के दम पर उन्हें उलटा खदेड़ दिया। तंग आकर किसान रूपेश पवार ने साल 2021 में वाद संख्या 1293/2021 न्यायालय सिविल जज (सीडी), मेरठ में दर्ज किया; जिसके आधार पर 27 अक्टूबर, 2021 को न्यायालय ने भू-माफ़ियाओं को उक्त किसान परिवार की ज़मीन पर क़ब्ज़ा और हस्तक्षेप न करने का आदेश पारित किया था। लेकिन माननीय न्यायालय की बात को भू-माफ़िया ने मानने से इनकार कर ही दिया, स्थानीय प्रशासन ने भी इसकी अवहेलना की। फिर भू-माफ़ियाओं ने भी न्यायालय से इस मामले में हस्तक्षेप के लिए याचिका दायर की, तो न्यायालय ने उनकी याचिका को निरस्त कर दिया। इसके बावजूद भू-माफ़ियाओं ने किसान परिवार की ज़मीन में से जबरन रास्ता बनाये रखा है और ज़मीन के एक बड़े हिस्से पर अपना क़ब्ज़ा जमाने के लिए ज़ोर-जबरदस्ती कर रहे हैं। इस मामले में उप ज़िलाधिकारी के पत्रांक-667/एसटी/एसडीएम ने 01 अगस्त 2024 को ज़िलाधिकारी को पत्र लिखकर भी बताया कि उक्त ज़मीन किसान परिवार की है; लेकिन इसके बावजूद भू-माफ़ियाओं के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं हुई और न ही किसान परिवार की ज़मीन भू-माफ़िया के क़ब्ज़े से मुक्त करायी गयी। किसान परिवार का कहना है कि वे न्याय के लिए दर-ब-दर भटक रहे हैं और उन्हें भू-माफ़ियाओं से जान-माल का ख़तरा भी है।
कुछ ग्राम वासियों और पीड़ित किसानों ने बताया कि भू-माफ़िया अखिलेश और भू-माफ़िया रमेश यादव समेत कई अन्य भू-माफ़ियाओं पर क़रीब 47 यानी चार दज़र्न मुक़दमे दर्ज हैं। इन मुक़दमों में से रेलवे समेत कई सरकारी महकमों की क़रीब 500 करोड़ रुपये की ज़मीन क़ब्ज़ा करके बेचने के मुक़दमे भी हैं। सरकारी ज़मीन बेचने के मामले में इन भू-माफ़ियाओं के ख़िलाफ़ साल 2022 में मेरठ में कई एफआईआर भी दर्ज हुईं, जिसमें ज़मीन की पूरी खसरा खतौनी सहित पूरी जानकारी देने बावजूद इन भू-माफ़ियाओं के ख़िलाफ़ अब तक न तो कोई गुंडा एक्ट लगी, न इनके किसी निर्माण पर बुलडोज़र की कार्रवाई हुई, न कोई चार्जशीट दाख़िल हुई है और न ही इनके ख़िलाफ़ कोई अन्य कार्रवाई हुई।
दरअसल एफआईआर, दूसरे मुक़दमों और जाँच आदेशों के मुताबिक, दो साल पहले भू-माफ़िया अखिलेश, भू-माफ़िया रमेश यादव, भू-माफ़िया सचिन, देवेंद्र निवासी दायमपुर, अशोक मारवाड़ी, नरेश, सुखपाल और अन्य भू-माफ़िया ने एक भाजपा नेता, जो कि स्वयं भी भू-माफ़िया है; के साथ मिलकर मेरठ नगर निगम, मेरठ विकास प्राधिकरण, भारतीय रेलवे और ग्राम समाज की ज़मीन हड़पकर क़रीब 500 करोड़ रुपये से ज़्यादा में बेच दी। इस मामले में इन सभी भू-माफ़ियाओं के ख़िलाफ़ आपराधिक धाराओं- 420, 447, 467, 468, 471 और 120बी के तहत मुक़दमा भी दर्ज हुआ। लेकिन इसके बावजूद उनके ख़िलाफ़ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी। इसी तरह साल 2019 में एक किसान ने इन भू-माफ़ियाओं के द्वारा ज़मीन हड़पे जाने पर ज़हर खाकर आत्महत्या कर ली थी; लेकिन इन भू-माफ़ियाओं का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सका। इस मामले में मेरठ के गाँव नंगला ताशी निवासी दलित किसान कमल सिंह ने अपनी खेती की ज़मीन भू-माफ़िया अखिलेश, सचिन गुप्ता और नीरज को बेची थी। इसमें मुख्य ख़रीदार भू-माफ़िया अखिलेश था। आरोप है कि इन भू-माफ़ियाओं ने किसान की ज़मीन पर चालाकी से क़ब्ज़ा लेकर कूट रचित दस्तावेज़ तैयार कर ज़मीन बेच दी, जिससे तंग आकर किसान ने आत्महत्या कर ली। इन सभी भू-माफ़ियाओं के ख़िलाफ़ रिपोर्ट भी दर्ज हुई थी; लेकिन किसान की मौत के ज़िम्मेदार होने और योगी सरकार के माफ़िया को मिट्टी में मिलाने वाले दावे के बावजूद इन माफ़ियाओं का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सका। कंकरखेड़ा निवासी कुछ लोगों से जब इस बारे में पूछताछ की गयी, तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मेरठ में इन भू-माफ़ियाओं की तूती बोलती है। इन सभी की गुंडागर्दी चरम पर है। कुछ लोगों ने बताया कि ये भू-माफ़िया ही नहीं हैं, बल्कि छटे हुए बदमाश भी हैं, जो अपनी गुंडागर्दी के दम पर कई काले कारनामे मेरठ में कर रहे हैं। मेरठ के कुछ भाजपा नेताओं की मिलीभगत के चलते इन पर पुलिस प्रशासन तो क्या, डीएम, एसडीएम और एसपी भी कोई कार्रवाई करने से डरते हैं। एक व्यक्ति ने बताया कि एक भू-माफ़िया पीड़ितों को धमकी देता है और सरकार को भी ठेंगे पर रखने की बात कहता है। हालाँकि ये लोगों के दावे हैं, जिन पर हम कोई दावा नहीं कर सकते; लेकिन जो तथ्य और काग़ज़ात हमारे हाथ इस ख़बर की पड़ताल करने में लगे हैं, वो साबित करते हैं कि मेरठ में इन भू-माफ़ियाओं के ख़िलाफ़ तक़रीबन 47 से ज़्यादा एफआईआर, प्रशासनिक शिकायतें और मुक़दमे दर्ज हैं। लेकिन इन भू-माफ़ियाओं का आज तक कोई कुछ नहीं बिगाड़ सका है और ये सब मिलकर आज भी बेधड़क होकर योगी के सख़्त प्रशासन और भू-माफ़िया व गुंडों के ख़िलाफ़ हो रही कड़ी कार्रवाई के बावजूद अपने अवैध धंधे बेधड़क होकर कर रहे हैं। गाँव नंगला ताशी की एक दलित महिला पूजा पत्नी स्वर्गीय सत्यवान ने बताया कि उसकी ज़मीन पर भू-माफ़िया अखिलेश ने क़ब्ज़ा किया हुआ है। एफआईआर होने और अदालत के क़ब्ज़ा मुक्त आदेश के बावजूद प्रशासन दलित महिला की ज़मीन दिलाने में भू-माफ़िया के सामने बेबस नज़र आता है।
स्थानीय नागरिकों और किसानों का यह भी कहना है कि कुछ सरकारी ज़मीन को तो बेचे हुए दो साल से ज़्यादा का समय हो गया, जाँच के भी आदेश पारित हुए, क़रीब दो दज़र्न रिमाइंडर और नक़्शा-8 के बावजूद इन भू-माफ़ियाओं का कोई बाल भी बाँका नहीं कर सका है। पीड़ित किसानों ने बताया कि सभी भू-माफ़ियाओं की नज़र अभी भी अन्य किसानों और ख़ाली पड़ी सरकार की ज़मीनों पर है, जिसे मौक़ा लगते ही क़ब्ज़ा करके वे बेचने में लगे हैं। मेरठ के भू-माफ़िया अखिलेश के बारे में कहा जाता है कि वह कभी कपड़े सिलने वाला एक मामूली-सा दर्जी था; लेकिन उसने अपराध की दुनिया में क़दम रखने के बाद आज करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर लिया है। इसी प्रकार से दूसरे भू-माफ़िया भी गुंडागर्दी के दम पर पनपे हैं। सवाल यह है कि मुख्यमंत्री योगी के सात वर्षों के शासनकाल में भी इन भू-माफ़ियाओं के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई? जबकि इन भू-माफ़ियाओं के ख़िलाफ़ कोई एकाध सुबूत नहीं है, बल्कि रेलवे से लेकर नगर निगम, मेरठ विकास प्राधिकरण, ग्राम समाज और कई किसानों की रिपोर्टों और मुक़दमों से पता चलता है कि प्रशासनिक कार्रवाई इन अपराधियों के ख़िलाफ़ न होने के पीछे कोई बड़ी ताक़त काम कर रही है, जो योगी के सुशासन को भी धत्ता बता रही है। इन भू-माफ़ियाओं के ख़िलाफ़ किसानों की ज़मीनें हड़पने, सरकारी ज़मीनों को क़ब्ज़ा करके बेचने, हत्या, हत्या की धमकी, मारपीट के अलावा दूसरी कई आपराधिक धाराओं के तहत मुक़दमे दर्ज हैं। इनमें रमेश यादव का बेटा अंकुर यादव तो अंतरिक्ष नाम के एक पुलिस सब इंस्पेक्टर के बेटे की हत्या भी कर चुका है। इस मामले में अंकुर यादव को उम्रक़ैद की सज़ा भी हुई थी। लेकिन पैसे, दबंगई और भाजपा नेताओं की शह के चलते उसे जमानत मिल गयी और आज अंकुर यादव उसी रौब और गुंडागर्दी के साथ भू-माफ़ियाओं के साथ मिलकर अपने अवैध धंधे करके ज़िला प्रशासन और मुख्यमंत्री योगी की न्यायिक क़ानून व्यवस्था को पलीता लगाने का काम बख़ूबी कर रहा है। उत्तर प्रदेश की भाजपा इकाई और मुख्यमंत्री योगी आगामी उपचुनाव में सभी 10 सीटें जीतने का दावा तो कर रहे हैं। लेकिन इधर कमज़ोर पड़ती क़ानून व्यवस्था और पक्षपात करता बुलडोज़र कई माफ़ियाओं और गुंडों के हौसले बुलंद कर रहा है। क्या योगी का बुलडोज़र सिर्फ़ दूसरे शहरों के ही भू-माफ़ियाओं और गुण्डों के घरों पर ही चलेगा? मेरठ के भू-माफ़ियाओं और गुंडों पर कब कार्रवाई होगी?
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं।)