के. रवि (दादा)
मायानगरी मुंबई दुनिया के हरेक इंसान को अपनी चमक-दमक और काम-धंधे के लिए अपनी तरफ़ आकर्षित करती है। यहाँ की ऊँची-ऊँची बिल्डिंगें, सपनों जैसी हॉलीवुड की दौलत-शोहरत वाली दुनिया और सदाबहार मौसम को कौन इंज्वाय नहीं करना चाहता। पर जैसे इस एक दुनिया के भीतर कई दुनियाँ छुपी हुई हैं, वैसे ही मुंबई की इस दुनिया के भीतर और भी कई दुनियाँ छुपी हुई हैं, जहाँ चकाचौंध के बीच अपराध और गुंडागर्दी का काला साया भी है।
नव वर्ष 2025 की पहली तारीख़ की सुबह तक इस मायानगरी के बाशिंदों ने ख़ूब जश्न मनाया। पर गये साल की 31 दिसंबर और नये साल की 01 जनवरी की मिलीजुली जश्न की रंगीन रात में मुंबई में न जाने कितने ही अपराध हुए होंगे, इसका हिसाब किसी के पास नहीं है। पुलिस के पास भी नहीं। यहाँ पबों, बारों, बाइयों के कोठों में तो हर रात खुलेआम अपराध होते हैं; पर सड़कों-फुटपाथों, गली-कूचों, झुग्गी-झोपड़ियों, चाल जैसी आम बस्तियों से लेकर बड़ी-बड़ी हवेलियों में भी कहीं-कहीं अपराध होते हैं। मुंबई की कई अपराधों की डरावनी घटनाएँ अंदर तक झकझोर देती हैं, तो कई घटनाएँ रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में आम-सी लगती हैं। पर अपराध तो अपराध है। जो अपराध की तलवार से ज़ख़्मी होता है, वो ही इसका दर्द समझ सकता है। अभी चंद दिनों पहले 05 जनवरी को बॉलीवुड की पुरानी मशहूर अभिनेत्री पूनम ढिल्लो के मुंबई-ख़ार में बने फ्लैट में हुई चोरी में लगभग एक हीरे का नेकलेस, 35,000 रुपये और कुछ अमेरिकी डॉलर के चोरी होने की घटना सामने आयी। इस चोरी के अपराध में तो अगले ही दिन 06 जनवरी को मुंबई पुलिस ने समीर अंसारी नाम के एक आदमी को गिरफ़्तार कर लिया, जो अभिनेत्री के फ्लैट की पेंटिंग बीते एक हफ़्ते से कर रहा था। फ्लैट में अभिनेत्री पूनम ढिल्लो का बेटा और उसका परिवार रहता है।
इस घटना के बाद मुंबई पुलिस ने सरकंडा इलाक़े से दो नाबालिग़ अपराधियों समेत चार अपराधियों को गिरफ़्तार किया है। इन चोरों पर बीते साल चार जगह हुई चोरियों में लिप्त होने का आरोप है। मुंबई पुलिस हर रोज़ अपराधियों को पकड़ती है; पर मुंबई में अपराध कम नहीं होते। देश का यह इकलौता ऐसा शहर होगा, जहाँ छोटे-से-छोटे अपराधियों से लेकर अंडरवर्ल्ड तक के बड़े-बड़े अपराधियों का ठिकाना रहता है। अंडरवर्ल्ड का डॉन कहे जाने वाले दाऊद इब्राहिम, उसके कई गुर्गों और दूसरे बड़े-बड़े अपराधियों का ठिकाना मुंबई रही है। फ़िल्मों में दिखायी जाने वाली गुंडागर्दी और हफ़्तावसूली की कहानियाँ ऐसे ही नहीं बनीं, उनमें मुंबई की एक बड़ी सच्चाई भी है। आज भी इस मायानगरी की गुमनाम और अति सुरक्षित जगहों पर नामी अपराधी रहते हैं, जिन तक कभी पुलिस उनके ठिकाने पता न होने के चलते नहीं पहुँच पाती और कभी उनके गिरेबान तक पुलिस के हाथ इन अपराधियों की राजनीतिक पहुँच और पैसे की ताक़त के चलते नहीं पहुँच पाते।
सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज मायानगरी की आपराधिक घटनाओं में सिर्फ़ महिलाओं के ख़िलाफ़ 2023 के मुक़ाबले 2024 में 7.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 2024 में मुंबई पुलिस के पास कुल 5,827 अपराध दर्ज हुए, पर जिस तेज़ी से मुंबई में अपराध होते हैं, वो इससे कहीं ज़्यादा हो सकते हैं। हर शहर की तरह मायानगरी में भी हर रोज़ कितने ही आपराधिक मामले पुलिस के रजिस्टर में दर्ज ही नहीं होते हैं। कुछ घर की लाज के चलते और कुछ अपराधियों के डर से। हमारी पिछली रिपोर्ट में हमने एक ऐसे ही धनी आदमी के अपराधों का काला चिट्ठा खोला था, जिस पर मुक़दमा भी चल रहा है। इतने पर भी उसने अपनी निजी मार्केटिंग वाली कम्पनी में काम करने वाली एक लड़की पर गंदी नज़र डाली और ख़ुद को बचाने के लिए लड़की पर ही एफआईआर दर्ज करा दी थी।
अभी कुछ दिन पहले आठ लड़कियाँ उल्हासनगर के हिल लाइन पुलिस स्टेशन इलाक़े में बने एक छात्रावास की खिड़की की लोहे की सलाखें तोड़कर फ़रार हो गयी थीं। आठों लड़कियों की तलाश के लिए जोन-4, अंबरनाथ डिवीजन के डीसीपी सचिन गोरे ने विशेष खोज दल तैयार किया था, जिसकी कड़ी जाँच के बात सात लड़कियाँ मिल गयी हैं, पर एक 17 वर्षीय लड़की का अभी तक पता नहीं है। पुलिस उसे भी खोज रही है। पुलिस को मिलीं सात लड़कियों ने बताया है कि वे छात्रावास में असुविधाओं के चलते तंग होकर फ़रार हुई थीं।
पुलिस अब छात्रावास के प्रबंधन और सुरक्षाकर्मियों से पूछताछ कर रही है। मायानगरी को अपराध से बचाने की पुलिस की मुहिम पर तो हम उँगली नहीं उठा सकते। पर अपराध को बढ़ावा देने वालों से जब तक पुलिस नहीं निपटेगी, तब तक मुंबई अपराधों से मुक्त नहीं हो सकेगी। ऐसा सुनते हैं कि अपराध की दुनिया के तार बड़े-बड़े धनवान और सफ़ेदपोश नेताओं से जाकर जुड़ते हैं।