के. रवि (दादा)
हमारे समाज को सिर्फ़ बीमारियाँ ही तबाह नहीं करती हैं, बल्कि अपराधी और उन्हें आशीर्वाद देने वाले पॉवरफुल लोग भी तबाह करते हैं। महाराष्ट्र में आजकल शारीरिक, मानसिक बीमारियों के अलावा भी इसी तरह की बीमारियाँ पैदा हो रही हैं। इन बीमारियों में भड़काऊ राजनीतिक बयान भी आग में घी का काम करते हैं। इससे समाज में हिंसा फैलने का डर बना रहता है, जिसकी आग पर राजनीतिक लोग अपनी-अपनी रोटियाँ मज़े से सेंकते हैं और नोट छापते हैं।
अभी कुछ दिन पहले ही ख़बर सामने आयी कि महाराष्ट्र में गुइलैन-बैरे सिंड्रोम नाम की बीमारी ज़ोर पकड़ रही है, जिसके चलते 12-13 मौतें हो चुकी हैं और इस बीमारी ने 15-16 लोग को वेंटिलेटर पर पहुँचा रखा है। सूत्रों की मानें तो गुइलैन-बैरे सिंड्रोम का पहला केस 09 जनवरी को मिला था, जिसके बाद से अब तक 200 से अधिक लोग इस बीमारी से पीड़ित मिल चुके हैं। हालाँकि इस बीमारी में बड़ी संख्या में मरीज़ ठीक भी हो रहे हैं। भले ही इस ख़तरनाक बीमारी का इलाज आसान नहीं है। पर इससे भी ज़्यादा ख़तरनाक बीमारी एक और है, जो लोगों के उलटा-शुलटा बोलने से फैलती है और यह बीमारी अचानक ही नफ़रत की आग लगाकर बहुत लोगों की जान भी ले लेती है।
महाराष्ट्र में इन दिनों मराठी भाषा को लेकर दिये गये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी के बयान पर लगी हुई है। हालाँकि उनके मराठी भाषा पर दिये गये उनके बयान से कोई हिंसा तो नहीं भड़की है; पर हालात काफ़ी ख़राब हो गये थे। दरअसल मुंबई में एक कार्यक्रम में भैयाजी जोशी ने कहा था कि हर किसी को मराठी जानना ज़रूरी नहीं है। अगर आप मुंबई में रहते हैं, तो यह ज़रूरी नहीं है कि आपको मराठी सीखनी पड़े। मुंबई के हर हिस्से की भाषा अलग है। घाटकोपर इलाक़े की भाषा गुजराती है। भैयाजी जोशी के इस बयान से मराठी मानुष नाराज़ हो गये। बहुत-से लोग भैयाजी जोशी के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने लगे और उनकी गिरफ़्तारी की माँग करने लगे।

शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने भैयाजी जोशी पर देशद्रोह का मामला दर्ज किए जाने की माँग की। उनके बेटे आदित्य ठाकरे ने कहा है कि जिस तरह दूसरे राज्यों की भाषाएँ हैं, उसी तरह महाराष्ट्र भूमि की भाषा भी मराठी है। भाजपा की विचारधारा महाराष्ट्र का अपमान करना है। बाहर से लोग हमारे राज्य में आते हैं और यहाँ बस जाते हैं। एनसीपी (एससीपी) के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने विधानसभा में कहा कि भैयाजी जोशी ने हमारी मातृभाषा का अपमान किया है। पहले वह जाति के नाम पर बाँटते थे, फिर धर्म के नाम पर और अब भाषा के नाम पर बाँट रहे हैं। शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कि हम लगातार देख रहे हैं कि कोश्यारी से लेकर कोरटकर और सोलापुरकर तक सभी महाराष्ट्र, महाराष्ट्र के नायकों और देवताओं का अपमान कर रहे हैं। अब सुरेश भैयाजी जोशी ने मराठी का अपमान किया है। उन्हें मैं चुनौती देता हूँ कि वह तमिलनाडु या गुजरात में ऐसा कुछ कहने की हिम्मत दिखाएँ। अपने बयान के बाद विधानसभा से लेकर मराठी मानुषों तक का ग़ुस्सा झेल रहे भैयाजी जोशी ने सफ़ाई देते हुए कहा है कि उनकी बात ग़लत मतलब निकाला गया है। महाराष्ट्र की भाषा मराठी ही है, जिससे स्वाभाविक रूप से मुंबई की भाषा भी मराठी है। पर मुंबई में भारत के अलग-अलग भाषाएँ बोलने वाले रहते हैं, जिसके चलते उन्होंने ऐसा बोला था। साथ में उन्होंने यह भी कह दिया कि मुंबई में भी अलग-अलग भाषाएँ बोलने वाले लोग रहते हैं। इसलिए यह स्वाभाविक है कि वे यहाँ आएँ और मराठी सीखें, समझें और पढ़ें।
महाराष्ट्र विधानसभा इस मुद्दे को लेकर बीते दिनों भाजपा और महायुति के दूसरे दलों के साथ शिवसेना (यूबीटी) की लंबी बहस भी हुई, जिसके चलते विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को सदन की कार्यवाही भी स्थगित करनी पड़ी।

देखा गया है कि महाराष्ट्र के लोगों में अपनी मातृभूमि के लिए जितना आदर है, मराठी और महाराज छत्रपति शिवाजी के लिए भी उतना ही आदर है। मराठी मानुष इन सबका सम्मान अपनी जान पर खेलकर भी बचाते हैं। सुरेश भैयाजी जोशी के मुंबई में रहने वालों को मराठी भाषा जानना ज़रूरी नहीं है, ऐसा कहने से मराठी मानुषों में रोष है और वे भैयाजी जोशी को गिरफ़्तार करने की माँग कर रहे हैं। मराठी मानुषों का कहना है कि सुरेश जोशी उर्फ़ भैयाजी मध्य प्रदेश के हैं, जो बाद में महाराष्ट्र में बस गये थे। इसलिए उन्होंने मराठी भाषा का अपमान किया है। मराठी भाषा का अपमान महाराष्ट्र के एक-एक जन का अपमान है, जिसे किसी भी क़ीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।