बिखर गया लालू का कुनबा,वोट बैंक पर पड़ेगा क्या असर

Lalu prasad yadav

सर्जना शर्मा
24 अक्टूबर 2025

जयप्रकाश नारायण की क्रांति से जो युवा छात्र नेता उभरे थे उनमें से एक लालू यादव भी हैं। सत्तर के दशक में जयप्रकाश नारायण ने कांग्रेस के खिलाफ जो अलख जगाई थी उसकी लौ बढ़ाने में बिहार के अनेक युवा नेताओं का योगदान था । इमरजेंसी में जिन छात्र नेताओं को जेल में मीसा कानून के तहत जेल में डाला गया उसमें लालू यादव भी थे । अपनी बड़ी बेटी इमरजेंसी में पैदा हुई थी इसलिए बेटी का नामकरण लालू यादव ने मीसा रखा। लालू यादव को भारतीय राजनीति में फैमिली मैन के रूप में जाना जाता है उनका परिवार ही इतना बड़ा है सात बेटियां दो बेटे। वैसे तो लालू यादव ऐसे नेता के आंदोलन की उपज थे जो जातिवाद के बिल्कुल विरोधी थे जिन्होंने सबको प्रेरित किया कि वे अपने नाम के साथ अपनी जाति न लगाएं। लेकिन पता नहीं कैसे उनके बड़े शिष्य लालू यादव यादव जाति के नेता और मान सम्मान बन गए और यादव उनका सबसे बड़ा वोट बैंक।

 लालू यादव राजनीति के चतुर खिलाड़ी हैं उनको पता है कब क्या चाल चलनी है और जनता के बीच अपनी छवि किस तरह से बनानी है। अपना पहनावा खानपान सब बिहार की आम जनता से जुड़ा हुआ रखा। पायजामा और बंडी पहनना, कुर्सी पर आलती पालथी मार कर बैठना स्टील के गिलास में सत्तू घोल कर पीना इन सब अदाओं ने उनको आम जन का लोकप्रिय नेता बनाया । अपने बड़े परिवार को भी उन्होंने किसी से नहीं छुपाया उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे बेटियां सार्वजनिक रूप से उनके साथ दिखायी देते थे। लालू का सितारा बिहार और देश की राजनीति में खूब चमका इतना चमका कि वो बिहार के बादशाह जैसे बन गए उनके साथ साथ पूरा यादव समाज भी ताकतवर बना । लालू यादव ने अपनी राजनीति एम वाई ( मुस्लिम—यादव ) समीकरण पर की सवर्णों के खिलाफ उन्होंने भूरा बाल उखाड़ फेंको का नारा दिया । भूरा बाल (भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण, लाला (कायस्थ) चारों सवर्ण जातियों के खिलाफ लालू यादव ने एक अभियान चलाया। जोकि उनका एक सफल प्रयोग रहा । प्रदेश और देश की राजनीति के साथ साथ अपने परिवार को उन्होंने हमेशा अपनी ताकत बनाए रखा पत्नी, पुत्रियों और पुत्रों सबको राजनीति में लाए । जब वे चारा घोटाला में जेल गए तो अपनी पत्नी राबड़ी देवी को राज्य की सत्ता सौंप गए मुख्यमंत्री पद परिवार से बाहर वे किसी को नहीं देना चाहते थे। उनके किसी पर भरोसा नहीं था पता नहीं कब किसका दिल बदल जाए।

जिस कुनबे को लालू ने जतन से सहेज कर रखा जो उनकी सबसे बड़ी ताकत था अब वो कुनबा बिखर गया है । बेटा तेज प्रताप तो लंबे अरसे से परिवार से अलग लाइन ले कर चल रहा था अब बेटी रोहिणी आचार्य भी खुल कर सामने आ गयी है। लालू के परिवार के मजबूत किले में जो आज तक कोई सेंध नहीं लगा पाया था अब उसमें संजय यादव नाम के शख्स ने सेंध लगा कर परिवार के किले को ध्वस्त कर दिया है। केवल परिवार ही क्यों पार्टी पर भी इसका असर पडा । संजय यादव के कारण नौबत यहां तक आ पहुंची कि रोहिणी ने धमकी दी कि या तो वो रहेगी या संजय यादव रहेगा । घर की दहलीज और पार्टी दफ्तर से बात निकल कर सोशल मीडिया पर आ गयी। जमाने को खबर लगी तो जंगल की आग की तरह बात फैल गयी । तेज प्रताप और तेजस्वी यादव की लड़ाई में मां बाप के दुलारे रहे तेज प्रताप को परिवार से बेदखल कर दिया गया।

 भारतीय समाज में पिता की विरासत पुत्र संभालते हैं फिर चाहे वो आर्थिक ,राजनीतिक, सामाजिक हो या पिता की चल अचल संपत्ति हो। विरासत का असली हकदार कौन होगा अनेक संतानों में से कौन पिता की विरासत को आगे बढ़ाएगा ये पिता की मर्जी और बच्चों के व्यवहार पर निर्भर करता है । लालू यादव ने अपनी विरासत दोनों बेटों तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव को समान रूप से देने की भरपूर कोशिश की दोनों को राजनीति में उतारा दोनों को चुनाव लडवाए नीतीश कुमार के साथ गठबंधन सरकार में दोनों को मंत्री बनवाया । लेकिन जो लालू यादव चाहते थे वो नहीं हो पाया। केंद्र में 2014 में जब से सरकार बदली लालू यादव का राजनीतिक ग्राफ और दबदबा दोनों कम होते चले गए । कहते हैं ना मुसीबत कभी अकेले नहीं आती राजनीतिक रूतबा कम हुआ , सेहत बिगड़ती चली गयी और परिवार में बिखराव होता चला गया । घर की चारदीवारी में क्या होता है कोई नहीं जानता लालू के घर के भीतर बहुत कुछ चल रहा था। लंबे समय तक छन छन कर घर के भेद बाहर आते रहे परिवार चूंकि लालू यादव का था इसलिए मीडिया में सुर्खियां भी खूब बनी। घरेलू कलह और तेज प्रताप के निजी जीवन के रहस्य जब दुनिया के सामने आए तो पिता लालू यादव को सामाजिक मान मर्यादा की दुहाई दे कर घर और राजनीति दोनों से बेदखल करना पड़ा । किसी भी माता पिता के लिए ये जीवन का सबसे कठिन और दुखदायी समय होता है जब उनको अपनी ही औलाद को सार्वजनिक रूप से बेदखल करना पडता है। तेज प्रताप बेदखल किए गए तो दूसरा बेटा तेजस्वी यादव लालू यादव का एकमात्र उत्तराधिकारी रह गया ।

tej pratap yadav

तेज प्रताप की किस्मत कहें या फिर उनका स्वभाव वे एक न एक विवाद में वे फंसे रहे। उनसे जुड़े विवादों की कहानी लंबी है फिलहाल हम ताजा घटना की बात करते हैं। आखिर क्यों नौबत यहां तक पहुंची। तेज प्रताप यादव ने अपने सोशल हैंडल पर अनुष्का यादव नाम की एक युवती से अपने दूसरे विवाह की तस्वीरें पोस्ट कीं और लिखा कि – तस्वीर में दिख रही लड़की के साथ उनका 12 साल पुराना रिश्ता है। हर व्यक्ति को अपना निजी जीवन जीने का अधिकार है लेकिन जब कोई राजनीतिक परिवार से हो सार्वजनिक जीवन में हो तो उसका जीवन जनता के मैग्नीफाइंग ग्लास से होकर गुजरता है । छोटी सी भूल भी बहुत बडी हो जाती है । लालू प्रसाद के बेटे हैं खुद भी राजनीति में हैं इसलिए इन तस्वीरों से उनके राजनीतिक विरोधी सक्रिय हो गए मीडिया सोशल और मेन स्ट्रीम में बड़ी खबर बन गयी। मामला ने इसलिए भी तूल पकडा कि तेज प्रताप का अपनी पहली पत्नी ऐश्वर्य के साथ तलाक नहीं हुआ है आठ साल से तलाक का केस चल रहा है । ऐश्वर्या राय बिहार के प्रभावशाली राजनीतिक परिवार की पढ़ी लिखी लड़की है । दिल्ली के मिरांडा हाउस कॉलेज से स्नातक और एमिटी विश्वविद्यालय से एमबीए हैं। वे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा राय की पोती और 6 बार के विधायक चंद्रिका राय की बेटी हैं। विवाह के गठबंधन से ज्यादा ये राजनीतिक गठबंधन था बेमल विवाह हुआ इसलिए पति पत्नी के रिश्तों में दरारें आ गयीं। विवाह के कुछ महीने बाद ही पति पत्नी के मतभेद और मनभेद बाहर आ गए। दोनों का विवाह मई 2018 में हुआ था पांच महीने के भीतर तेज प्रताप ने ऐश्वर्या पर असभ्य होने का आरोप लगाया और पटना फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दे दी । लेकिन ऐश्वर्य का भी अपना पक्ष था जिसने लालू प्रसाद यादव परिवार को कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा । ऐश्वर्या राय ने ससुराल वालों पर मारपीट, यातना और उत्पीड़न के आरोप लगाए । अपनी सास राबड़ी देवी पर तो उन्होंने बहुत गंभीर आरोप लगाए मारना पीटना बाल खींचना घर से बाहर निकाल देना आदि। किसी भी राजनीतिक परिवार के लिए इससे ज्यादा अपमान और फजीहत क्या हो सकती है। लालू प्रसाद यादव और चंद्रिका राय के परिवार एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते रहे । तेज प्रताप वैसे तो सार्वजनिक रूप से अपने व्यवहार से उपहास का पात्र बनते रहते हैं लेकिन पत्नी ने जब नशा करने , महिलाओं जैसे कपड़े पहनने और ऊट- पटांग हरकते करने के आरोप लगाए तो लालू प्रसाद यादव परिवार के सामने साख का संकट पैदा हो गया। ऐश्वर्य ने परिवार से पूछा कि यदि उनको पता था कि उनका बेटा ऐसा है तो उनका जीवन क्यों बर्बाद किया । तेज प्रताप का निजी जीवन आम जनता के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है तो लालू यादव के विरोधी दलों के लिए एक बड़ा मुद्दा।

पति पत्नी का रिश्ता बिगड़ा तो बिगड़ता ही गया दोनों में से कोई भी समझौते के लिए तैयार नहीं कटुता बढती चली गयी। और आग में घी का काम किया तेजप्रताप और अनुष्का यादव की तस्वीरों ने । हालांकि तेज प्रताप ने सोशल मीडिया पर तस्वीरें डाल कर हटा ली और कहा कि उनका अकाउंट हैक कर लिया गया है। ये उनको और उनके परिवार को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है । इसी साल मई में ये घटना हुई कहते हैं कमान से छूटा तीर और जुबां से निकली बात कभी वापस नहीं आती। तेज प्रताप का 12 के रिश्ते का कबूलनामा और तस्वीरें लालू प्रसाद यादव के गले की फांस बन गया। लालू प्रसाद यादव राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं उनको पता था कि तेज प्रताप को सार्वजनिक रूप से माफ नहीं किया जा सकता। पुत्र मोह में भले ही दिल को कितनी भी तकलीफ हो जनता के दरबार में विरोधियों के अखाड़े में अपनी और अपनी पार्टी की गरिमा बनाए रखना जरूरी था । लालू ने दिल की नहीं दिमाग की सुनी राजनीतिक नफा नुकसान देखा 24 मई 2025 को तस्वीरें सोशल मीडिया पर आयीं 25 मई 2025 को लालू प्रसाद यादव ने दिल पर पत्थर रख कर तेज प्रताप को 6 साल के लिए राजद से निकाल दिया और परिवार से बेदखल कर दिया।

लालू प्रसाद यादव ने भले ही समाज में अपनी साख बचाने के लिए ये कदम उठाया लेकिन इसको भी उनका राजनीतिक ड्रामा माना जा रहा है। जब विधानसभा चुनाव सिर पर हों तो लालू यादव की मजबूरी हो गयी थी तेज प्रताप के खिलाफ कड़ा कदम उठाना । सोशल मीडिया पर लालू यादव ने लिखा — निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अनदेखी सामाजिक हितों के लिए सामूहिक संघर्ष को कमजोर करती है। ज्येष्ठ पुत्र के कार्यकलाप, सार्वजनिक आचरण और गैर जिम्मेदाराना व्यवहार हमारे पारिवारिक मूल्यों और परंपराओं के अनुरूप नहीं है अत: उपरोक्त परिस्थितियों के कारण उन्हें पार्टी और परिवार से निष्कासित करता हूं। अब से पार्टी और परिवार में उनकी किसी प्रकार की कोई भूमिका नहीं रहेगी। उन्हें 6 वर्ष के लिए पार्टी से निष्कासित किया जाता है।

बेटा तेज प्रताप यादव उनकी फजीहत करवा ही चुका है अब बेटी रोहिणी आचार्य भी बागी हो गयी है वो अपने उस पिता से भी नाराज हो गयी जिनकी जान बचाने के लिए उन्होंने अपनी किडनी दी थी । रोहिणी आचार्य लालू प्रसाद यादव की सबसे बड़ी बेटी मीसा भारती से छोटी हैं कहा जाए तो परिवार की दूसरे नंबर की बेटी हैं । रोहिणी की नाराजगी उस समय सामने आयी जब उन्होंने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर पिछले महीने सितंबर में परिवार के कई सदस्यों को अनफोलो कर दिया जिसमें पिता लालू यादव और भाई तेजस्वी यादव भी शामिल थे । लालू यादव परिवार प्रदेश तो क्या पूरे देश में एक बड़ा रूतबा रखते हैं उनके परिवार की हर गतिविधी खबर बनती है । और जब चुनावी मौसम चल रहा हो तो हर बात पर विपक्षी , मीडिया और विरोध पैनी नजर रखते हैं।

 रोहिणी आचार्य के तीखे और बागी तेवर परिवार के लिए मुश्किलें तो विरोधी दलों के लिए सियासी रूप से भुनाने का एक मौका लेकर आया। रोहिणी ने राजद के राज्ससभा सांसद संजय यादव के सिर ठीकरा फोड़ा । रोहिणी को आपत्ति इस बात पर थी कि उनके भाई तेजस्वी यादव की वोट अधिकार यात्रा के रथ पर संजय यादव क्यों फ्रंट सीट पर बैठे जबकि परिवार के किसी सदस्य को इस सीट पर बैठना चाहिए था । रोहिणी का ये विरोध . ही नहीं सामने आया इसका ब्लू प्रिंट लंबे समय से लिखा जा रहा था ये तो बस प्रेशर रीलिज करने का एक मौका था उनके लिए। निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि घर के भीतर संजय यादव के बढते प्रभाव और दखल को लेकर जरूर तू तू मैं होती रही होगी। जब मामला रोहिणी की बर्दाशत से बाहर हो गया होगा तो उनका गुस्सा फट पड़ा। दरअसल 2024 में बिहार की सारण लोकसभा सीट से 2024 में भाजपा उम्मीदवार राजीव प्रताप रूडी से चुनाव हार चुकी रोहिणी अब विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती थी लेकिन उनको टिकट देने से मना कर दिया गया। लेकिन रोहिणी ने सोशल मीडिया पर कहा कि ये मात्र अफवाहें हैं उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है उनके लिए आत्म सम्मान बहुत महत्व रखता है ।

 रोहिणी आचार्य ने जब परिवार के भीतर चल रही खींचतान को सोशल मीडिया पर उजागर किया तो पिता लालू यादव ने चुप्पी साध ली। भाई तेजस्वी यादव नें अपने सोशल मीडिया पर रोहिणी यादव को अपनी सम्माननीय बड़ी बहन बताया और कहा कि रोहिणी को लोग गलत समझ रहे हैं । रोहिणी ने अपने तीखे तेवर बरकरार रखे रोहिणी ने अपने परिवार, राजद और बिहार के लोगों को अपने त्याग की याद दिलायी। उन्होंने लिखा – जो लोग अपनी जान हथेली पर रखते हैं उनमें त्याग करने का बड़े से बड़ा जज्बा होता है । निडरता , निर्भिकता और आत्म सम्मान उनकी रगों में बहता है । कहना ना होगा कि यहां रोहिणी अपने परिवार और पार्टी को याद दिला रही थी कि 2022 में सिंगापुर में बीमार पिता को अपनी किडनी दे कर उसने पिता को नया जीवन दिया था। संजय यादव तेजस्वी यादव की आंख नाक कान बने हुए हैं राजनीतिक मीडिया सलाहकार बने हुए हैं सोशल मीडिया भी वही देखते हैं । लालू के दोबारा जेल जाने पर 2012 से संजय यादव बिहार में डेरा डाले हुए हैं जबकि वे हरियाणा के रहने वाले हैं । तेज प्रताप और पार्टी दोनों पर उनकी पकड़ बनी हुई है । परिवार को इससे आपत्ति है तेज प्रताप और रोहिणी आचार्य ने संजय यादव के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है । तेज प्रताप ने साफ कह दिया है जो भी उनकी बहन को परेशान करेगा उस पर उनका सुदर्शन चक्र चलेगा । भाई बहिन की बागी जोड़ी बिहार की राजनीति को कैसे प्रभावित करती है ये चुनाव परिणाम बताएंगे। फिलहाल लालू परिवार में सब कुछ ठीक नहीं है ।