कंगना तेरा स्वैगर लाख का…

Kangna

दूसरी लड़कियों की तरह वह भी आईने के सामने खड़ी होकर घंटों खुद को निहारा करती थीं, लेकिन कभी उन्होंने खुद में माधुरी या श्रीदेवी को तलाशने की कोशिश नहीं की. हमेशा उन्होंने आईने के उस पार अपनी पहचान को ढूंढने की कोशिश की है. सिंड्रेला जैसे किस्से-कहानियों से बचपन से ही उन्हें लगाव नहीं था. भाग्य के सहारे वह अपनी जिंदगी नीलाम नहीं करना चाहती थीं, बल्कि अपनी मर्जी से जीना चाहती थीं. बाकी लड़कियों की तरह इतराने की बजाय इसका विरोध करतीं. उन्हें इस बात से चिढ़ थी कि वह सिर्फ इसलिए भाग्यशाली कहला रही थीं, क्योंकि उनके बाद उनके भाई का जन्म हुआ है. झूठी वाहवाही उन्हें खैरात में हरगिज नहीं चाहिए थी. हां, उनका ख्वाब कभी अभिनेत्री बनना नहीं था. उन्हें इतना जरूर पता था कि वह जो भी बनेंगी अपने बलबूते बनेंगी.

जिस उम्र में लड़कियां पापा से खिलौनों की डिमांड करती हैं, उस उम्र में उन पर दूसरी ही धुन सवार थी. एक बार तो उन्होंने अपने पिता को पलटकर कह दिया कि दोबारा हाथ उठाएंगे तो मैं भी हाथ उठा दूंगी. हां, एक बात उन्होंने हमेशा गांठ बांधे रखी वह यह कि वह सिर्फ खुद की सुनेंगी और किसी की नहीं. अपने पापा की लाडली रानी भले ही न बन पाई हों लेकिन आज वह बॉलीवुड की ‘क्वीन’ हैं, कंगना रनौत. बेशक कंगना हिमाचल प्रदेश की बेटी हैं लेकिन सफलता उन्हें आसानी से नहीं मिली. उन्होंने संघर्षों के पहाड़ काटकर रास्ते बनाए और आज सफलता की ऊंची चोटी पर विराजमान हैं. कंगना उत्साहित हैं. लेकिन रुकी नहीं हैं. वे खुद को निखारने में जुटी हुई हैं. इसका प्रमाण आप ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ में उनके दोहरे किरदार ‘दत्तो’ और ‘तनु’ के रूप में देख सकते हैं. अपनी भाव भंगिमा, डांसिंग स्किल और हरियाणवी संवाद को उन्होंने बेहतरीन अंदाज में ‘दत्तो’ के रूप में ढाला है. उन्होंने दोनों किरदारों में जान डालने के लिए कड़ी मेहनत की है.

अभिनय के अलावा स्क्रिप्ट राइटिंग का प्रशिक्षण

बॉलीवुड में ‘क्वीन’ फिल्म जैसी सफलता हासिल करने के बाद अभिनेत्रियां जहां उसे भुनाने में जुट जाती हैं और प्रयोग करने से कतराने लगती हैं. ऐसे दौर में कंगना ने तय किया कि वे न्यूयॉर्क फिल्म अकादमी जाएंगी और वहां स्क्रिप्ट राइटिंग का प्रशिक्षण लेंगी. कंगना का मानना है कि उन्हें हमेशा खुद को साबित करना होगा और इसलिए उन्होंने सीखना जारी रखा. अंग्रेजी को लेकर उनकी खिल्ली उड़ाई गई तो उन्होंने न सिर्फ अपनी अंग्रेजी सुधारी, बल्कि अपने फैशन स्टेटमेंट पर भी काम किया. आज अपनी स्टाइलिंग वे खुद करती हैं. कंगना को ये बातें चुभती थीं कि लोग उनके घुंघराले बालों का मजाक बनाते हैं. कंगना ने अपनी जिंदगी की पहली हिंदी फिल्म दूरदर्शन पर देखी थी, जिसमें अमिताभ बच्चन और परबीन बॉबी थे. जब वह काफी छोटी थीं तब दादी मां के साथ टीवी देखा करती थीं.

उन्हें आज भी उस फिल्म का नाम याद नहीं है. और संयोग देखें वही लड़की जब बड़ी होती है और फिल्मी दुनिया का हिस्सा बनती है तो फिल्म ‘वो लम्हे’ में उन्हें परबीन बॉबी से प्रेरित किरदार निभाने का मौका मिलता है. कंगना मानती हैं कि बचपन में ही कोई न कोई कनेक्शन हो चुका था कि मुझे फिल्मों में ही आना है शायद. कंगना इस इंडस्ट्री से नहीं थीं. कंगना स्वीकारती हैं कि उन्होंने ‘गैंगस्टर’ फिल्म के लिए आॅडिशन दिया था. वे इस फिल्म के लिए विकल्प थीं. इसमें पहले चित्रांगदा सिंह अभिनय करनेवाली थीं लेकिन अचानक उन्होंने मना कर दिया था. सो, भट्ट कैंप से कंगना के पास फोन आया और उन्हें उनकी पहली फिल्म मिल गई.

पुरुष कलाकार की भूमिका निभाई

ये बात कहते हुए वह अपने दिल्ली में रहने के समय की चर्चा करती हैं कि किस तरह उन्हें अचानक सुप्रसिद्ध व वरिष्ठ रंगकर्मी अरविंद गौड़ की वर्कशॉप में पहली बार बतौर मॉनीटर के रूप में क्लास हैंडल करने को कहा गया. उस वक्त पहली बार कंगना को इस बात का एहसास हुआ कि उनके परिवार को भी उन पर भरोसा नहीं लेकिन कोई व्यक्ति तो है जो उनमें नेतृत्व क्षमता देख रहा है. वह थियेटर ग्रुप में भी बैक स्टेज का ही काम किया करती थीं. लेकिन एक रोज जब अचानक एक पुरुष कलाकार की तबीयत खराब हुई तो अरविंद के कहने पर कंगना ने उस कलाकार की भूमिका निभाई और उन्हें इसमें बेहद आनंद आया. उस वक्त उन्होंने महसूस किया कि शायद उन्हें अभिनय की राह चुननी चाहिए. उन्होंने थियेटर में ही पूरा जी लगा लिया. अरविंद गौड़ ने ही कंगना को सुझाया कि वह अभी काफी युवा हैं, उन्हें फिल्मों में कोशिश करनी चाहिए. तब कंगना ने मुंबई आने का निर्णय लिया. और उनके एक नए सफर की शुरुआत हुई.

कंगना जब पर्दे पर ‘गैंगस्टर’ की सिमरन बनी तो उसने उन सारे किंतु-परंतु जैसे शब्दों को निराधार कर दिया. पहली ही फिल्म में वह ट्रैजेडी क्वीन बनकर दर्शकों के सामने आईं. एक के बाद एक उन्होंने इंटेंस किरदार निभाने शुरू किए. लोग उन्हें पहली फिल्म में ही मीना कुमारी की उपाधि से नवाजने लगे थे. ‘वो लम्हे’, ‘लाइफ इन अ मेट्रो’ उनमें से एक थी. कंगना लेकिन वहां थोड़ी ठहरी. उन्होंने अपनी इमेज तोड़ी. फिर उनके सामने ‘तनु वेड्स मनु’ आई. कंगना मानती हैं कि ‘तनु वेड्स मनु’ में तनु के किरदार को एक पुरुष किरदार से अधिक शक्तिशाली दिखाया गया. कंगना कहती हैं कि जिंदगी में अगर ‘क्वीन’ की रानी के किरदार की तरह मेरे साथ कोई करे तो मैं उसे मजा चखाऊंगी. असल जिंदगी में वह खुद को ‘रिवॉल्वर रानी’ ही मानती हैं. तीन फिल्मों में लीड किरदार निभाने के बाद जब उनके पास ‘फैशन’ फिल्म आई तो वह चौंकी कि उन्हें चरित्र किरदार आॅफर हो रहे हैं. मतलब उनका कॅरियर संकट में है. लेकिन फिल्म रिलीज होने के बाद जब हर तरफ उसके छोटे-छोटे दृश्य व संवाद याद रखे जाने लगे, तब उन्हें एहसास हुआ कि उन्होंने कितना प्रभावशाली किरदार निभाया है.

शुरुआती दौर में कंगना भी अन्य अभिनेत्रियों की तरह ‘खान्स’ की हीरोइन बनना चाहती थीं. लेकिन अब उनका नजरिया बदल चुका है. डिप्रेशन के दौरान उन्होंने खुद को क्रिएटिव राइटिंग में उलझाए रखा. उन्होंने शॉर्ट फिल्में बनाईं. ‘द टच’ कंगना द्वारा बनाई गई ऐसी ही एक फिल्म है. यह वही कंगना हैं, जो कभी अंग्रेजी बोलने में लड़खड़ा जाया करती थी. अब अंग्रेजी भाषा में अपनी पहली शॉर्ट फिल्म बनाती है. फिल्म क्वीन की रानी की तरह कंगना कभी किसी लड़के से शादी के लिए मिन्नते नहीं कर सकतीं. कंगना को अभी शादी में कोई दिलचस्पी नहीं.

नाडिया की बायोपिक

उनकी मां की शादी 21 साल में हो गई थीं और उनके परिवार वाले भी चाहते थे कि कंगना 26 की होने के साथ ही व्याह रचा लें. लेकिन मातापिता की ‘हां’ में ‘हां’ मिलानेवालों में से वे नहीं. शायद कंगना के इस व्यक्तित्व से अब इंडस्ट्री के गंभीर फिल्मकार भी वाकिफ हो चुके हैं. तभी तो विशाल भारद्वाज उन्हें लेकर नाडिया (जिन्हें गॉड आॅफ स्टंट इन बॉलीवुड माना जाता था) पर बननेवाली बायोपिक की परिकल्पना कर रहे हैं. कंगना भी विशाल के साथ काम करने के लिए उत्सुक हैं. कंगना बहन रंगोली के बेहद करीब हैं. वे हर बात उनसे शेयर करती है. जब उनकी बहन एसिड अटैक का शिकार हुई थीं तो कंगना भी सदमे में चली गई थीं. कंगना को राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने की खबर भी सबसे पहले रंगोली ने ही दी थी. कंगना बताती हैं, ‘मैं बहुत मुंहफट और हंसमुख लड़की हूं. जो मेरे करीब हैं, वे इस बात से वाकिफ होंगे. मुझे तो डेटिंग भी उस व्यक्ति के साथ पसंद है जो कूल हो न कि बहुत अधिक बुद्धिजीवी. सेट पर भी मैं खूब मौज मस्ती करती हूं.’

इसे भी पढ़ें

कंगना रनौत से खास बातचीत