अंजलि भाटिया
नई दिल्ली- भारत ने आज शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में आतंकवाद के मुद्दे पर अपने सख्त और स्पष्ट रुख का प्रदर्शन किया। भारत ने पाकिस्तान और चीन की ओर से की जा रही दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों की ओर संकेत करते हुए आतंकवाद पर संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया।
दस्तावेज में पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र नहीं किया गया जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई .
दस्तावेज में बलूचिस्तान का जिक्र किया गया और भारत पर वहां अशांति फैलाने का मौन आरोप लगाया गया।
एससीओ घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने से भारत का इनकार चीन द्वारा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान और पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों को लगातार बचाने के कारण हुआ है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बैठक में कहा कि भारत ऐसे किसी बयान का हिस्सा नहीं बन सकता जिसमें उन देशों के साथ समझौता किया जाए जो जम्मू-कश्मीर पर झूठे दावे करते हैं और वहां आतंकवादी हमलों को प्रोत्साहित करते हैं। उन्होंने कहा कि जब तक सभी सदस्य देश आतंकवाद के खिलाफ एक स्पष्ट और सामूहिक दृष्टिकोण नहीं अपनाते, तब तक इस तरह का संयुक्त वक्तव्य सार्थक नहीं होगा।
राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि आतंकवाद और उससे जुड़े नेटवर्क, विचारधारा, वित्त पोषण और आपूर्ति शृंखला को जड़ से समाप्त करना समय की मांग है। उन्होंने कहा कि भारत ने “ऑपरेशन सिंधु” जैसे अभियानों के माध्यम से आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की है और अब समय आ गया है कि सभी देश मिलकर सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करें।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद और गैर-सरकारी हिंसक तत्व विकास, शांति और स्थिरता के सबसे बड़े बाधक हैं। सभी देशों को मिलकर न केवल आतंकवाद की निंदा करनी चाहिए, बल्कि उसकी किसी भी प्रकार की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष मदद को भी पूरी तरह समाप्त करना चाहिए।
बैठक में भाग ले रहे सदस्य देशों से उन्होंने अपील की कि वे दहशत फैलाने वाली ताकतों और संगठनों को हर स्तर पर अस्वीकार करें और उनके विरुद्ध एकजुट होकर कार्रवाई करें।
एससीओ की इस बैठक में रक्षा मंत्रियों, वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों और अन्य प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
इस दौरान क्षेत्रीय सुरक्षा, शांति और विश्वास बहाली जैसे अहम मुद्दों पर भी विचार-विमर्श हुआ।