नई दिल्ली: पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच राजनयिक व आधिकारिक पासपोर्ट धारकों के लिए वीज़ा-मुक्त प्रवेश पर सहमति ने भारत की सुरक्षा चिंताएं बढ़ा दी हैं। इस फैसले के बाद नई दिल्ली अलर्ट मोड पर है और क्षेत्र में बदलते समीकरणों पर पैनी नजर बनाए हुए है। यह महत्वपूर्ण निर्णय ढाका में पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नकवी और बांग्लादेश के गृह मंत्री जहांगीर आलम चौधरी के बीच हुई एक उच्च-स्तरीय बैठक में लिया गया।
पाकिस्तानी गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, दोनों देश राजनयिक और आधिकारिक पासपोर्ट धारकों के लिए वीज़ा की अनिवार्यता को समाप्त करने पर सैद्धांतिक रूप से सहमत हो गए हैं। बयान में कहा गया, “राजनयिक और आधिकारिक पासपोर्ट धारकों के लिए वीज़ा-मुक्त प्रवेश पर महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। दोनों देशों ने इस मामले पर अपनी सहमति दे दी है।” हालांकि, इस वीज़ा-मुक्त व्यवस्था के लागू होने की कोई निश्चित तारीख अभी घोषित नहीं की गई है।
रिपोर्टों के अनुसार, दोनों गृहमंत्रियों की बैठक में सिर्फ वीज़ा ही नहीं, बल्कि आतंकवाद विरोधी उपायों, आंतरिक सुरक्षा, पुलिस प्रशिक्षण, नशीली दवाओं पर नियंत्रण और मानव तस्करी से निपटने जैसे गंभीर मुद्दों पर भी विस्तृत चर्चा हुई। इन योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया जाएगा, जिसका नेतृत्व पाकिस्तानी पक्ष से वहां के गृह सचिव खुर्रम अघा करेंगे।
इसके अतिरिक्त, दोनों देशों ने पुलिस अकादमियों के बीच आदान-प्रदान कार्यक्रमों को शुरू करने पर भी रजामंदी जताई है। इसी कड़ी में, बांग्लादेश का एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल जल्द ही इस्लामाबाद स्थित पाकिस्तान की राष्ट्रीय पुलिस अकादमी का दौरा करेगा। इस मौके पर बांग्लादेश के गृह मंत्री ने पाकिस्तानी गृह मंत्री का गार्ड ऑफ ऑनर के साथ स्वागत किया और उनके दौरे को भविष्य के सहयोग के लिए एक “अहम मील का पत्थर” बताया।
पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ती यह नजदीकी भारत के लिए चिंता का विषय है। भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठानों को आशंका है कि इस वीज़ा-मुक्त सुविधा का दुरुपयोग पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों द्वारा अपनी आवाजाही को सुगम बनाने के लिए किया जा सकता है।
नई दिल्ली की यह चिंता इसलिए भी अधिक गंभीर है, क्योंकि बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद बनी नई अंतरिम सरकार के कार्यकाल में पाकिस्तान के साथ संबंधों में अप्रत्याशित रूप से तेज़ी आई है। शेख हसीना के शासनकाल में, बांग्लादेश ने पाकिस्तान से एक निश्चित दूरी बनाए रखी थी और पाकिस्तानी राजनयिकों की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी जाती थी।
अब, वीज़ा नियमों में ढील और द्विपक्षीय सहयोग में वृद्धि को भारत क्षेत्रीय अस्थिरता के संभावित कारक के रूप में देख रहा है। अधिकारियों को डर है कि इससे उन समूहों को बढ़ावा मिल सकता है जो भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहे हैं और जिन्हें पहले पाकिस्तान का समर्थन मिलता रहा है। इस नए घटनाक्रम से दक्षिण एशिया की भू-राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत होती दिख रही है, जिस पर भारत की सामरिक नज़र बनी हुई है।