महाकुंभ के मद्देनज़र

उत्तर प्रदेश सरकार इन दिनों प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ में श्रद्धालुओं के स्वागत की तैयारियों में जुटी है। कहीं नयी सड़कें बन रही हैं। कहीं पुरानी सड़कों को चौड़ा किया जा रहा है। कहीं नये पुलों का निर्माण हो रहा है। पौष पूर्णिमा यानी 13 जनवरी से शुरू होने वाले महाकुंभ का आयोजन लगभग पूरे 45 दिन तक शहर को अलग-अलग सनातन संस्कृति से सराबोर करेगा। इस समय में शाही स्नान 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा), 14 जनवरी (मकर संक्रांति), 29 जनवरी (मौनी अमावस्या) 03 फरवरी (बसंत पंचमी) और 26 फरवरी (महाशिवरात्रि) को है।

महाशिवरात्रि की शहर के गलियारों में सबसे ज़्यादा चर्चा है कि इसी बहाने से प्रयागराज का कायाकल्प हो जाएगा। प्रयागराज के बाशिंदे खुश हैं कि यहाँ विकास की बयार बह रही है। लेकिन दूसरी तरफ़ ऐसी चिन्ता भी ज़ाहिर करते हैं कि तय समय-सीमा तक काम पूरा करने की जद्दोजहद में गुणवत्ता का काम नहीं होता। उसे जैसे-तैसे पूरा कर दिया जाता है। कुछ समय बाद ही विकास कार्यों की पोल खुलने लगती है।

$खैर; इस महाकुंभ में अनुमान के मुताबिक, 40 से 45 करोड़ तक श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आने की संभावना जतायी जा रही है। इसे देखते हुए व्यवस्थाओं को हाईटेक बनाने की कोशिश है। सुविधाओं के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा लिया जा रहा है। बीती 30 नवंबर को प्रयागराज जाने पर संगम नगरी और शहर के कुछ क्षेत्रों में घूमने का अवसर मिला। महाकुंभ की तैयारी के चलते मुख्य नगरों की दीवारों पर चित्र बनाये जा रहे थे, जिसमें विश्वविद्यालय के कला संकाय के विद्यार्थी अपना हुनर दिखा रहे थे। शहर में निर्माण कार्यों को लेकर जगह-जगह ट्रैफिक जाम था; ख़ासतौर पर बनारस से प्रयागराज के रूट पर शहर के प्रवेश द्वारों पर। संगम नगरी में घाटों की व्यवस्था को चाक-चौबंद करने और नदियों की जलधारा को सीमित करने के लिए काम चल रहा है। भीड़ प्रबंधन और स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर कई तरह के नये बिंदुओं पर काम हो रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रयागराज पहुँचकर महाकुंभ की तैयारी का जायज़ा ले रहे हैं। पहली जनवरी से श्रद्धालु प्रयागराज आना शुरू कर देंगे, इसलिए 31 दिसंबर तक हर हाल में लगभग सभी तय कार्य पूरे करने के आदेश दिये गये हैं।

महाकुंभ की तैयारी के मद्देनज़र शहर के लोगों में चर्चा है कि इस बार महाकुंभ को ग्रीन महाकुंभ बनाये जाने की पूरी कोशिश हो रही है। मेला क्षेत्र में दोना, पत्तल और कुल्हड़ के इस्तेमाल को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके अलावा ई-ऑटो, ई-रिक्शा आदि से श्रद्धालु शहर में घूम सकेंगे। महिलाओं के लिए पिंक व्हीकल की भी व्यवस्था की जा रही है। ऑनलाइन बुकिंग के लिए ऐप भी बनाया गया है। सुरक्षा इंतज़ामों में हाईटेक कैमरे, ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा भीड़ प्रबंधन में घुड़सवार पुलिस भी नियुक्त की जाएगी, जिसे ख़ासतौर पर प्रशिक्षित किया गया है।

प्रयागराज देश के सबसे पुराने शहरों में से एक है। प्राचीन ग्रंथों में इसे प्रयाग अथवा तीर्थराज कहा गया है। यह शहर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी का संगम के लिए प्रसिद्ध है। नदियों के मिलन बिंदु को त्रिवेणी कहा जाता है। ऐतिहासिक दृष्टि से प्रयागराज भारत के स्वतंत्रता संग्राम की कई महत्त्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा है। जैसे सन् 1885 में प्रथम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का उदय। सन् 1920 में महात्मा गाँधी के अहिंसा आन्दोलन की शुरुआत। प्रयागराज भौगोलिक दृष्टि से उत्तर प्रदेश के दक्षिणी भाग में स्थित है, जिसका कुल क्षेत्रफल 5,482 वर्ग किलोमीटर है।

महाकुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है। इसमें मुख्य रूप से साधु, संत, संन्यासी, तपस्वी और श्रद्धालु स्नान के लिए आते हैं। यहाँ लगने वाले कुंभ और महाकुंभ में लाखों तीर्थ यात्री स्नान-दान करते हैं। महाकुंभ का आयोजन प्रत्येक 12 साल के अंतराल पर किया जाता है। भारत में चार स्थान ऐसे हैं, जहाँ कुंभ मेला लगता है। हरिद्वार (उत्तराखण्ड) में गंगा नदी के तट पर, उज्जैन (मध्य प्रदेश) में शिप्रा नदी के तट पर, नासिक (महाराष्ट्र) में गोदावरी नदी के तट पर और प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी के संगम तट पर। (ज़ीरो ग्राउंड रिपोर्ट)