हाइड्रोजन होगा रेलवे का भविष्य, इन्फ्रास्ट्रक्चर में होंगे ये बड़े बदलाव

नई दिल्ली : केंद्र सरकार की ओर से भारतीय रेलवे के कायाकल्प के लिए लगातार कोशिश की जा रही है। इसमें सुरक्षा बढ़ाने के लिए कवच सिस्टम लगाने से लेकर नई टेक्नोलॉजी जैसे हाइड्रोजन भी शामिल है। रेलवे बोर्ड के सदस्य अनिल कुमार खंडेलवाल ने कहा कि भारत इस साल अपनी पहली हाइड्रोजन ट्रेन का संचालन शुरू कर देगा और 2047 तक ऐसी ट्रेनों की संख्या बढ़कर 50 हो जाएगी।

उन्होंने आगे कहा कि रेलवे लगातार सुरक्षा को बढ़ाने के लिए कदम उठा रहा है। 16 जुलाई को कवच के चौथे वर्जन का अंतिम विनिर्देश कर लिया गया है। अब हम इसे पूरे देश में लागू करने जा रहे हैं। 1,400 किलोमीटर के ट्रैक पर काम पूरा हो चुका है। दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा के 3,000 किलोमीटर के लिए बोलियां स्वीकार की जा रही हैं। बजट 2024-25 में रेलवे को 2,62,200 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसमें से करीब 1.08 लाख करोड़ रुपये केवल सुरक्षा बढ़ाने के लिए उपयोग किए जाएंगे।

खंडेलवाल ने आगे कहा कि गति शक्ति के आने से काम की रफ्तार में इजाफा हुआ है। अब सालाना 70 से 80 प्रोजेक्ट अप्रूव किए जा रहे हैं, जिनकी संख्या पहले 7 से 8 थी। साथ ही बताया कि रेलवे प्रतिदिन 14.50 किलोमीटर ट्रैक का निर्माण कर रहा है। पिछले वर्ष 5,000 किलोमीटर के ट्रैक का निर्माण किया गया। उन्होंने बुलेट ट्रेन को लेकर कहा कि 2027 तक देश में पहली बुलेट ट्रेन देखने को मिल सकती है।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में कहा था कि पीएम मोदी ने रेलवे को 2 लाख 62 हजार करोड़ का बजट आवंटन दिया है। इसमें 1 लाख 8 हजार करोड़ रुपये सेफ्टी बढ़ाने के लिए है। पीएम मोदी ने 10 वर्षों में रेलवे को मजबूत करने के हर तरीके पर ध्यान दिया है। 2014 के पहले 60 साल देखें तो 20,000 किलोमीटर रेलवे का विद्युतीकरण हुआ था। 10 सालों में 40,000 किलोमीटर रेलवे विद्युतीकरण हुआ है। 2014 में नए ट्रैक 3 से 4 किलोमीटर एक दिन में बनते थे। पिछले वर्ष 14.50 किलोमीटर प्रतिदिन, पूरे साल में 5,300 किलोमीटर नए ट्रैक बने हैं।