पिछले 11 वर्षों से देश में कुछ लोग बड़ी आसानी से जिसे मज़ीर् देशद्रोही कह दे रहे हैं। यह तमग़ा ज़्यादातर एकता तथा भाईचारे की बात करने वाले समन्यववादियों, सरकार और प्रधानमंत्री से सवाल करने वालों, उनका विरोध करने वालों को मिलना आम बात हो चुकी है। हालाँकि अब इसकी प्रतिक्रिया होने लगी है और ऐसे लोगों को भी लोग अंधभक्त, देशद्रोही, ग़द्दार और न जाने क्या-क्या कहने लगे हैं। लेकिन असल में देशद्रोही कौन-कौन हैं? वे किस-किस रूप में हर जगह मौज़ूद हैं? इसकी पहचान होनी ही चाहिए।
इन दिनों देश भर में तरह-तरह की विद्रूप घटनाएँ हर मिनट घट रही हैं। कुछ लोग ख़तरनाक हथियार लेकर अपने से अलग धर्म और अलग जाति के लोगों की खुलेआम हत्या कर रहे हैं। बेरहमी से उनकी पिटाई कर रहे हैं। इन लोगों को क्या कहा जाएगा? क्या ऐसे लोग पाकिस्तानी आतंकवादियों से किसी प्रकार अलग हैं? भारतीयों की निरंतर नृशंस हत्याएँ तो दोनों ही कर रहे हैं। फिर दोनों में क्या अंतर है? दोनों ही आतंकवादी ही तो हैं।
पाकिस्तानी आतंकवादी तो भारत-द्रोही भी हैं और भारतीयों के दुश्मन ही हैं। लेकिन वे देशद्रोही की श्रेणी से बाहर हैं, क्योंकि वे भारत के नागरिक नहीं हैं। इसलिए आतंकवादियों को तो ढूँढ-ढूँढकर उनके कुकृत्यों से भी भयंकर मौत की सज़ा हमारी सेनाएँ उनको देती भी हैं और देती रहेंगी। लेकिन उन आतंकवादियों को सज़ा कौन देगा, जो अपने ही देश में पैदा हो रहे हैं? जो इसी देश के नागरिक हैं और अपने ही देशवासियों को अकारण मौत के घाट उतारते जा रहे हैं। ये लोग कहीं धर्म के नाम पर, तो कहीं जाति के नाम पर हत्याएँ कर रहे हैं। उन्हें लूट रहे हैं। उनके घर जला रहे हैं। उनके व्यवसाय नष्ट कर रहे हैं। युवतियों और महिलाओं की इज़्ज़त तार-तार कर रहे हैं। उनकी दुर्दशा और हत्या कर रहे हैं। कहीं रेलवे पटरियों को उखाड़कर हज़ारों लोगों की जान जोखिम में डाल रहे हैं, तो कहीं पुलिस और सेना के जवानों को ही निशाना बना रहे हैं। दंगे-फ़साद कर-करा रहे हैं। इनके घरों में हथियारों के ज़$खीरे मिल रहे हैं। ये गोहत्या कर-करा रहे हैं। नफ़रत फैला रहे हैं। झूठी अफ़वाहें उड़ा रहे हैं। अपने फ़ायदे के लिए जघन्य अपराधों को अंज़ाम दे रहे हैं। ज़िम्मेदार पदों पर बैठकर घोटाले कर रहे हैं। लोगों को ग़रीबी और बेरोज़गारी की खाई में धकेल रहे हैं। सीमाओं का सौदा कर रहे हैं। गमन करके देश का पैसा बाहर ले जा रहे हैं। लोगों को देशभक्ति का ज्ञान दे रहे हैं और ख़ुद देश को बर्बाद करके विदेशी नागरिकता ले रहे हैं। औक़ात से ज़्यादा दिखावा कर रहे हैं। नशे की तस्करी करवाकर युवाओं को ज़िन्दा लाश बना रहे हैं। ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ जब भी कोई क़ानूनी हाथ उठना चाहता है या सामाजिक बहिष्कार की आवाज़ उठती है, तो भी इनका कुछ नहीं बिगड़ता। क्योंकि ये लोग राजनीतिक पकड़ वाले हैं, जिन्हें उच्च संरक्षण मिला हुआ। ऐसा संरक्षण कि न न्यायाधीश इन्हें आसानी से सज़ा सुना पाते हैं और न ही पुलिस इनका कुछ बिगाड़ पाती है।
ऐसे लोग भी तो आतंकवादी ही हैं, जो मानवता के दुश्मन भी हैं; और देशद्रोही भी हैं। पाकिस्तानी आतंकवादियों और इन सबका मक़सद एक ही है- भारत की बर्बादी, भारतीयों की हत्या; और दोनों का ईमान भी एक ही है-पैसा। दोनों पैसे के लालच में हत्याएँ करते हैं। लोगों को दु:ख पहुँचाते हैं। लेकिन इन आतंकवादियों को अपराध करने के लिए पैसा कहाँ से आता है? कौन देता है? और किस मक़सद से देता है?
आम लोग इससे बिलकुल अनजान हैं। उन्हें तो तब इसका अहसास होता है, जब अचानक किसी पर हमला हो जाता है। यह हमला कभी नेताओं, ताक़तवर लोगों और अपराधियों पर नहीं होता। जब कहीं किसी पर हमले होते हैं, तब इन्हें दु:ख भी नहीं होता। ऐसा लगता है कि जो देश में जनता के दिये टैक्स से सुरक्षा प्राप्त करते हैं, उन्हें लोगों की जान की कोई चिन्ता नहीं है। सुरक्षा व्यवस्था के सारे इंतज़ाम भी उन्होंने अपनेलिये या फिर अपने अधिकारों और न्याय की माँग करने वाली जनता पर लाठियाँ भाँजने और उसे जेल में डालने के लिए सुरक्षित कर लिये हैं। देश की व्यवस्था भी जो नहीं सँभाल सकते, वे शासन करने के लिए हर हथकंडा अपनाते हैं। लेकिन फिर भी वे सुरक्षित हैं। इसलिए उन्हें इसका अहसास भी नहीं है कि किसी पर जब हमला होता है, तो उस पर क्या बीतती है। इस दर्द का अहसास पहलगाम से बचकर निकलने वालों की तरह हमलों से ज़िन्दा बचे लोग ही समझ सकते हैं। देश के संवेदनशील ईमानदार नागरिक समझ सकते हैं। अपनी जान हथेली पर रखकर देश की सुरक्षा करने वाले जवान समझ सकते हैं। क्योंकि इन लोगों से तो सवाल पूछने या इनका विरोध करने से ही एफआईआर दर्ज हो जाती है। ऐसा करने वाले के घर पर बुलडोज़र पहुँच जाता है। उसे गालियाँ और धमकियाँ दी जाती हैं। उस पर हमले होते हैं। काश! देश का हर नागरिक समझ पाता कि उसकी और भारत की भलाई किसमें है। फिर राजनीतिक और धार्मिक ठेकेदार किसी को गुमराह नहीं कर पाते और ये आतंकवाद भी नहीं पनपता।