
गुजरात में यूँ तो ख़ास सर्दी पड़ती नहीं है और फरवरी में ज़्यादातर तापमान सामान्य ही रहता है। लेकिन इस बार फरवरी के पहले हफ्ते में ही गुजरात में तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से भी ऊपर पहुँच गया था। अब गुजरात का तापमान 36 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच चुका है और हर रोज़ बढ़ रहा है। तापमान के बढ़ने के साथ-साथ यहाँ का सियासी पारा लगातार बढ़ता जा रहा है। हाल ही में गुजरात में हुए निकाय चुनाव में भाजपा भले ही सबसे ज़्यादा 68 नगर पालिकाओं में से ज़्यादातर 60 सीटों और तीनों तालुका पंचायतों पर क़ब्ज़ा कर चुकी है। अब भाजपा के लिए छोटा उदयपुर नगर पालिका में बोर्ड का गठन कर सकेगी। लेकिन आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी ने निकाय चुनाव में काफ़ी बढ़त हासिल करके भाजपा को फिर से एक चुनौती दे दी है।
गुजरात की 66 नगर पालिकाओं के कुल 461 वार्डों में से 437 वार्डों के लिए 16 फरवरी को वोटिंग हुई थी और 18 फरवरी को इस चुनाव के नतीजे सामने आये थे। 24 वार्डों पर पहले ही उम्मीदवारों को निर्विरोध चुन लिया गया था। इन सीटों पर कुल औसत वोटिंग 61.65 प्रतिशत हुई। सबसे कम वोटिंग मध्यावधि चुनाव वाली बोटाद और वांकानेर नगर पालिकाओं में हुई, जहाँ सिर्फ़ 35.25 प्रतिशत ही वोट पड़े। इस नगर निकाय चुनाव में कुल 5,084 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे। इससे पहले ही 214 सीटों पर भी पहले ही उम्मीदवार निर्विरोध चुन लिये गये थे। उम्मीदवारों के निर्विरोध चुने जाने में भाजपा को सबसे ज़्यादा फ़ायदा पहुँचा, क्योंकि भचाऊ, बांटवा, हलोल और जाफ़राबाद आदि चार नगर पालिकाओं में भाजपा को निर्विरोध ही बहुमत हासिल हो गया था। हालाँकि साल 2023 में पंचायतों, नगर पालिकाओं और नगर निगमों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने के बाद हुए इस पहले निकाय चुनाव में द्वारका के सलाया नगर पालिका में भाजपा खाता भी नहीं खोल सकी। यहाँ की कुल 28 सीटों में से कांग्रेस ने 15 और आम आदमी पार्टी ने 13 सीटों पर जीत हासिल की है। हालाँकि मध्य गुजरात कांग्रेस का गढ़ माना जाता है; लेकिन वहाँ सभी 11 नगर पालिकाओं में उसे हार का सामना करना पड़ा है। स्थिति यह रही कि गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावड़ा भी अपने इलाक़े में हार गये।
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इस चुनाव में कांग्रेस ने अपनी कई पक्की सीटें खो दीं। कांग्रेस की इस हार की वजह साल 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले कई नेताओं का पार्टी छोड़कर जाना माना जा रहा है, जिनमें नारायण राठवा, संग्राम सिंह राठवा और मोहन सिंह राठवा जैसे विधायक शामिल हैं। हालाँकि लेकिन दूसरी तरफ़ इस निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी ने मज़बूती हासिल की है। इसके अलावा कई निर्दलियों ने भी चुनाव जीतकर भाजपा और कांग्रेस को चौंका दिया है। क़रीब दो-ढाई साल बाद गुजरात के विधानसभा होने हैं और भाजपा इस राज्य पर 30 साल से शासन कर रही है; लेकिन उसे कांग्रेस से ज़्यादा डर आम आदमी पार्टी से लगने लगा है। क्योंकि आम आदमी पार्टी के समर्थक और कार्यकर्ता गुजरात में लगातार बढ़ रहे हैं। इसकी तस्वीर आम आदमी पार्टी की रैलियों और सभाओं में साफ़तौर पर दिखती है।
भाजपा ने अपने गढ़ अहमदाबाद शहर में भी 28 में से 14 सीटें ही हासिल कीं, जिससे वो बहुमत से एक सीट पीछे रह गयी। अहमदाबाद शहर में कांग्रेस ने 13 और बहुजन समाज पार्टी ने बावला नगर पालिका की एक सीट जीत ली, जिससे वो किंगमेकर की भूमिका में आ गयी है। अमरेली, राजुला और जाफ़राबाद नगर पालिकाओं के अलावा सोमनाथ के कोडिनार नगर पालिका में भी भाजपा ने सभी सीटें जीत ली हैं, जबकि कांग्रेस का दोनों जगह से पूरी तरह सफ़ाया हो गया है।
इसके अलावा जामनगर की जाम जोधपुर नगर पालिका के 7 वार्डों में भाजपा ने कुल 28 सीटों में से 27 पर जीत हासिल की है; लेकिन एक सीट पर जीत दर्ज करके आम आदमी पार्टी ने यहाँ अपना खाता खोल लिया है। कांग्रेस यहाँ भी कोई सीट नहीं जीत सकी। लेकिन माँगरोल नगर पालिका के 9 वार्डों की 36 सीटों में से भाजपा को कड़ी टक्कर देते हुए कांग्रेस ने 15 सीटें हासिल की हैं, जबकि भाजपा को भी 15 सीटें ही हासिल हुई हैं। यहाँ पर भी आम आदमी पार्टी ने एक सीट पर क़ब्ज़ा जमा लिया है। यहाँ की बाक़ी पाँच सीटों में से चार सीटें बहुजन समाज पार्टी के खाते में और एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में गयी है। वहीं वडोदरा ज़िले की कुल 28 सीटों में से भाजपा ने 19 और आम आदमी पार्टी ने चार सीटें जीती हैं। लेकिन पंचमहल की हलोल नगर पालिका की सभी 36 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल करके रिकॉर्ड बनाया है। खेड़ा ज़िले की महुधा नगर पालिका की 24 सीटों में से पहली बार भाजपा ने 14 सीटों पर जीत हासिल की है। आणंद ज़िले की ओड नगर पालिका की भी 24 सीटों में से भाजपा ने सबसे ज़्यादा 18 सीटें जीती हैं।
आम आदमी पार्टी की गुजरात में एंट्री साल 2021 में निकाय चुनाव से हुई थी, जब उसने सूरत में भाजपा को बुरी तरह हराकर 27 सीटों पर जीत हासिल की थी और प्रधानमंत्री के गृह ज़िला बड़नगर में दो सीटें हासिल की थीं। इस बार आम आदमी पार्टी ने भाजपा से भी कई सीटें छीन ली हैं; लेकिन सबसे ज़्यादा सीटें कांग्रेस को हराकर जीती हैं। वहीं समाजवादी पार्टी ने पहली ही बार में निकाय चुनाव में छ: सीटें जीतकर सबको चौंका दिया है। इसके अलावा सर्व समाज पार्टी ने चार सीटें और भारत नवनिर्माण मंच ने दो सीटों पर इस निकाय चुनाव में जीत हासिल की है।
जानकार मान रहे हैं कि आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी साल 2027 के गुजरात के आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा के लिए कड़ी चुनौती बन सकती हैं। इन दोनों पार्टियों के बढ़ने से कांग्रेस और कमज़ोर हो सकती है। इस बार के निकाय चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस से आंकलाव, बालासिनोर, देवगढ़ बारिया, ओड, लुनावाडा, संतरामपुर और हलोल नगर पालिका में हराकर बढ़त हासिल की है, तो आम आदमी पार्टी ने पहली ही बार में आठ सीटों पर क़ब्ज़ा कर लिया है। आम आदमी पार्टी ने भाजपा के 16 बाग़ी नेताओं को टिकट दिया था, जिससे भाजपा को कड़ी चुनौती मिली। वहीं आदिवासी बहुल इलाक़े में आम आदमी पार्टी ने कई सीटें जीतकर भाजपा के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। नर्मदा तालुका पंचायत में भी आम आदमी पार्टी ने भाजपा को कड़ी टक्कर देते हुए दो में से एक सीट पर क़ब्ज़ा कर लिया।
गुजरात में स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजे देखने लगता है कि भाजपा से गुजरात विधानसभा की सत्ता और नगर पालिका की सत्ता आसानी से कोई नहीं छीन सकेगा; लेकिन आम आदमी पार्टी उसके लिए चुनौती ज़रूर बन रही है। गुजरात निकाय चुनाव में आम आदमी की सीटें बढ़ने को लोग भाजपा से दिल्ली की हार का बदला बता रहे हैं; लेकिन अभी आम आदमी पार्टी गुजरात में उतनी मज़बूत स्थिति में नहीं पहुँच सकी है कि इसे दिल्ली में हार का बदला कहा जा सके। साल 2022 में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने काफ़ी मेहनत की थी; लेकिन उसके पाँच उम्मीदवार ही जीतकर विधानसभा पहुँच सके। हालाँकि किसी नई पार्टी के लिए भाजपा के गढ़ में इतनी बड़ी सेंध लगाना भी बड़ी बात है। गुजरात सरकार में भाजपा पिछले 30 साल से क़ाबिज़ है और कांग्रेस 30 साल से गुजरात की सत्ता से दूर है। ऐसे में आम आदमी पार्टी का पहले ही विधानसभा चुनाव में पाँच विधानसभाओं में क़ब्ज़ा कर लेना भी कोई छोटी बात नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक, आम आदमी पार्टी के प्रमुख दिल्ली हार के बाद गुजरात में अपनी राजनीतिक सक्रियता बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल ने गुजरात में साल 2027 के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने के लिए पार्टी में कई बड़े बदलाव करने के साथ-साथ चुनावी रणनीति बनाएँगे, जिससे प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के गढ़ में ही भाजपा को हराया जा सके। ऐसा कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी की दिल्ली की कमान वहाँ की पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी सँभाल सकती हैं। आम आदमी पार्टी के नेता मानकर चल रहे हैं कि अगर निष्पक्ष चुनाव हुए, तो गुजरात में आम आदमी पार्टी सत्ता में आ सकती है। हालाँकि ये इतना आसान नहीं है, क्योंकि भाजपा के गुजरात हारते ही पूरे देश में भाजपा कमज़ोर हो जाएगी और प्रधानमंत्री मोदी का जादू ख़त्म होने में वक़्त नहीं लगेगा। साल 2027 में फरवरी में पंजाब विधानसभा के भी चुनाव हैं और अक्टूबर-नवंबर में गुजरात विधानसभा के चुनाव हो सकते हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी को गुजरात में बढ़त बनाने की रणनीति बनाने के साथ-साथ पंजाब में अपनी सत्ता बचाने की भी चुनौती होगी। मौसम के हिसाब से तो तापमान चढ़ता-उतरता रहेगा; लेकिन तापमान के साथ-साथ बढ़ता हुआ गुजरात का सियासी पारा अब 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले उतरने वाला नहीं है।