किसानों की ओर केंद्र सरकार का ध्यान खींचने के लिए किसान नेता डल्लेवाल ने लगा दी जान की बाज़ी
योगेश
किसान आन्दोलन अब उस मोड़ पर है, जहाँ से किसानों को यह निर्णय लेना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य और दूसरी जायज़ माँगों को लेकर उनकी लड़ाई कितनी मज़बूत है। पंजाब के किसान पूरे देश के लिए किसान आन्दोलन को मज़बूत करने के लिए 2020 से लगातार किसानों की लड़ाई लड़ रहे हैं। लेकिन किसानों का आन्दोलन संयुक्त किसान मोर्चा (ग़ैर-राजनीतिक) के 70 वर्षीय किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के बिगड़ते स्वास्थ्य को लेकर संवेदनशील मोड़ पर है। किसानों का कहना है कि अगर उनके नेता को कुछ हुआ, तो पूरे देश में बड़ा आन्दोलन होगा। हालाँकि इस किसान आन्दोलन को बड़ा आन्दोलन बनने में सबसे बड़ी अड़चन पूरे देश के किसानों में जागरूकता की कमी है। लेकिन देश के सभी जागरूक किसान अपने नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के स्वास्थ्य को लेकर जितने चिन्तित हैं, उतने ही सरकार से नाराज़ भी हैं।
26 नवंबर से पंजाब-हरियाणा के बीच खनोरी बॉर्डर पर अनिश्चितकालीन आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल लगातार डॉक्टरों की निगरानी में हैं। उन्होंने किसानों को न्याय न मिलने तक अन्न-जल का त्याग कर दिया है, जबकि वह प्रोटेस्ट कैंसर से पीड़ित हैं। उनके स्वास्थ्य को लेकर केंद्र सरकार पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने उनके स्वास्थ्य की रिपोर्ट भी पिछले दिनों माँगी थी। पंजाब सरकार से किसान नेता के स्वास्थ्य का ध्यान रखने को भी कहा था। इसके अलावा जज सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने किसानों के मुद्दे को लेकर अगली सुनवाई की तारीख़ 02 जनवरी दी है। सुप्रीम कोर्ट की इस बेंच ने पंजाब के मुख्य सचिव और मेडिकल बोर्ड के अध्यक्ष से स्टेटस रिपोर्ट दाख़िल करने को कहा है और यह भी कहा कि अगली सुनवाई से पहले भी अगर ज़रूरत हो, तो कोई भी पक्ष कोर्ट आ सकता है। हालाँकि अभी तक कोई पक्ष सुप्रीम कोर्ट नहीं गया है। फ़िलहाल 02 जनवरी को सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर सबकी नज़र है।
इधर किसान नेता जगतीत सिंह ने अपने बिगड़ते स्वास्थ्य के चलते किसान नेता ने पिछले दिनों अपनी सारी संपत्ति भी अपने बच्चों के नाम कर दी थी। ज़्यादातर लोग उनके प्राणों को संकट में मान रहे हैं। कई किसान और लोग वाले लोग किसान नेता डल्लेवाल जी से अनशन तोड़ने की भी गुज़ारिश कर चुके हैं; लेकिन डल्लेवाल जी ने किसानों को न्याय दिलाने के लिए अनशन तोड़ने से मना कर दिया। अब वह लगातार डॉक्टरों की निगरानी में हैं। डॉक्टरों का कहना है कि अनशन के चलते उनके प्राण संकट में हैं।
बता दें कि 2020 में तीन कृषि क़ानून किसानों के ख़िलाफ़ लाकर केंद्र सरकार ने ही किसानों को आन्दोलन के लिए मजबूर किया था। इससे किसान आन्दोलन करने लगे। लेकिन इस आन्दोलन में किसानों पर हमले किये गये। जब किसान दिल्ली की तरफ़ बढ़े, तो उन्हें दिल्ली के सभी बॉर्डरों पर रोकने के लिए हाईवे खोदे गये, बड़ी-बड़ी कीलें लगायी गयीं और बैरिकेडिंग की गयी। किसानों पर झूठे मुक़दमे दर्ज किये गये। कई जगह किसानों की हत्या के षड्यंत्र भी किये गये, जिसमें कई किसान मारे गये। इस पर भी जब किसानों ने पीछे हटने से मना कर दिया, तब केंद्र सरकार ने किसानों का आन्दोलन समाप्त कराने की नीयत से उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी एमएसपी समेत सभी माँगें पूरी की जाएँगी।
केंद्र सरकार के झाँसे में आकर किसानों ने यह कहकर आन्दोलन स्थगित कर दिया कि अगर सरकार ने उनकी माँगों को पूरा नहीं किया, तो वे फिर से सड़कों पर उतरकर आन्दोलन करेंगे। लेकिन केंद्र सरकार का आश्वासन किसानों के साथ एक धोखा साबित हुआ है और इसी को लेकर पंजाब और हरियाणा के जागरूक किसान आन्दोलन स्थगित होने के कुछ ही महीने बाद फिर से आन्दोलन करने लगे और आज भी यह आन्दोलन जारी है। हरियाणा पुलिस ने तो किसानों को दिल्ली तक पहुँचने से रोकने के लिए आँसू गैस, रबड़ की गोलियाँ, पानी की बौछार और अन्य घातक हथियारों तक का इस्तेमाल किया है। हरियाणा पुलिस ने सिंघु और खनोरी बॉर्डर पर किसानों पर ख़तरनाक स्प्रे भी की है। हरियाणा पुलिस की कार्रवाई में इस साल ही कई किसानों की मौत हुई है और कई दज़र्न किसान बुरी तरह घायल हुए हैं। अब इस आन्दोलन में ही फ़रीदकोट के रहने वाले भारतीय किसान यूनियन (एकता सिद्धूपुर – ग़ैर राजनीतिक) के किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल लगातार किसानों के लिए सड़कों पर हैं। जब उन्हें लगा कि सरकार किसानों की कोई बात सुनने तक को तैयार नहीं है, तो उन्होंने 26 नवंबर से अनिश्चितकालीन आमरण अनशन पर बैठने का निर्णय ले लिया। उनकी तबीयत बिगड़ती जा रही है, जिससे किसान परेशान हैं।