इंडिया आउट नीति से मुख्य अतिथि के निमंत्रण तक मालदीव-भारत के रिश्तों में नया मोड़

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल ही की मालदीव यात्रा ने दोनों देशों के रिश्तों का एक नया अध्याय शुरू कर दिया है।लगभग 19 महीने पहले मालदीव की नयी सरकार के भारत विरोधी अभियान से लेकर मोदी को स्वतंत्रता दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया जाना एक सुखद परिवर्तन है। ये भारत की धैर्य संयम और पड़ोसी की मदद करने वाली विदेश नीति का ही परिणाम है कि नवंबर 2023 में बिगड़े रिश्ते 2024 में ही पटरी पर आने शुरू हो गए थे। और 2025 आते आते तो मुईज्जु का हृदय परिवर्तन पूरी तरह हो चुका था। हिंद महासागर में भारत का पड़ोसी देश मालदीव भारत के मुकाबले एक छोटा सा देश है लेकिन भारत ने हमेशा इसके साथ अच्छे संबंध रखे हर मुसीबत में मदद की देश को विकास की राह पर लाने में आर्थिक सहयोग दिया। मोदी की ये यात्रा केवल मालदीव की स्वतंत्रता के 60 वर्ष पूरे होने पर मुख्य अतिथि तक ही सीमित नहीं है इसने विदेश नीति में एक नयी इबारत लिख दी है। मालदीव में उच्चायुक्त रहे विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी डॉ ध्यानेश्वर मनोहर मूले कहते हैं किसी भी देश को रिश्तों में उतार चढाव के लिए तैयार रहना चाहिए। मालदीव की अपनी राजनीतिक बाध्यताएं थीं आंतरिक राजनीति भी विदेश नीति को प्रभावित करती है। यही मालदीव में हुआ। मोइज्जु की पार्टी ने इंडिया आउट और भारत विरोधी अभियान पर चुनाव तो जीत लिया लेकिन जल्द ही उनको अहसास हो गया कि भारत के बिना उनका गुजारा नहीं है। उनको समझ आ गया कि भारत सदाबहार साथी है( ऑल वेदर फ्रेंड) बाकी मौसमी दोस्त हैं। मालदीव कर्जे में डूबा हुआ था विकास योजनाओं के लिए पैसा नहीं था एकदम आर्थिक मदद चाहिए थी चीन ने वायदा तो किया था लेकिन जो मदद करनी थी वो की नहीं। भारत के अलावा कोई स्थायी और विश्वसनीय दोस्त नहीं था। सत्ताधारी सरकार को भारत विरोध की नीति छोड़ कर दोस्ती का हाथ बढ़ाना पड़ा।

 मालदीव -भारत के मधुर संबंधों से कड़ुआहट भरे रिश्तों की कहानी जैसे शुरू हुई थी वैसे ही खत्म भी हो गयी। 19 महीने का ये सफर काफी रोचक रहा। नवंबर 2023 में सत्ता में आयी पीपुल्स नेशनल कांग्रेस की नयी सरकार की जीत का आधार और चुनाव अभियान भारत विरोधी था जबकि इससे पहले सत्ता में रही मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी की सत्ताधारी सरकार के भारत के साथ बहुत मधुर संबंध थे। तत्कालीन राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सालेह” भारत पहले “और भारत के प्रधानमंत्री मोदी “पड़ोसी पहले” की नीति पर चलते हुए एक दूसरे के पक्के दोस्त थे। लेकिन वर्तमान राष्ट्रपति मोहम्मद मुईज्जु ने चीन की शह पर अपना पूरा चुनाव प्रचार इंडिया आऊट पर आधारित रखा और वे जीते भी। मोईज्जु सरकार के मंत्रियों ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग किया। मालदीव में तैनात भारतीय सेना की तुरंत वापसी की मांग की ,हाइड्रो ग्राफिक्स सर्वे समझौते का नवीनीकरण करने से इंकार कर दिया। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी के बारे में कहे गए शब्दों से मालदीव की सरकार ने किनारा कर लिया और कहा कि ये मंत्रियों की अपनी राय है सरकार इससे  सहमति नहीं रखती और न ही कुछ लेना देना है। तीनों मंत्रियों को कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। भारत के लिए ये एक अच्छा संकेत तो था लेकिन रिश्तों में नरमी नहीं आयी थी।

 भारत ने एक बड़ा लोकतांत्रिक देश होने के नाते बड़ा दिल दिखाया मालदीव की आंतरिक राजनीतिक परिस्थितियों को समझा और सही समय का इंतजार किया। मालदीव की मांग पर अपना सैन्य बेड़े की जगह तकनीकी दल की तैनाती कर दी। लेकिन मालदीव को एक कड़ा संदेश देना ज़रूरी था। प्रधानमंत्री मोदी मालदीव की समुद्री सीमाओं से लगते भारत के लक्षद्वीप गए । मोदी ने लक्षदीप की सुंदर बीच पर सुबह की सैर की सी डाइविंग की सुंदर तस्वीरें साझा की और सोशल मीडिया पर लिखा —” देखो अपना देश — प्राकृतिक सुंदरता के अलावा,लक्षदीप की शांति भी मंत्रमुग्ध कर देने वाली है। इसने मुझे ये सोचने का अवसर दिया है कि 140 करोड़ भारतीयों के कल्याण के लिए मैं क्या कर सकता हूं”। इसका अर्थ ये लगाया गया कि मालदीव को छोड़ कर भारत के लक्षद्वीप की सैर का मोदी भारत वासियों को न्यौता दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर एक बहस छिड़ गयी भारत के लोगों ने बॉयकॉट मालदीव का नारा दिया और मालदीव के लोगों ने भी जम कर भारत का विरोध किया। भारत के पर्यटन उद्योग ने मुहिम चला दी मालदीव की बुकिंग रद्द कर दी और भारतवासियों ने भी स्वयं अपनी बुकिंग रद्द कर दी। भारतीय पर्यटक मालदीव की आय का बड़ा साधन हैं एकदम 42 फीसदी गिरावट आयी और मालदीव को 150 मिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ। मालदीव को अपनी भूल का अहसास हो गया मई 2024 में उसने अपने विदेश मंत्री को भारत भेजा भारत ने पुरानी बातें भूला कर विदेश मंत्री के साथ बैठक की और आर्थिक मदद का भरोसा दिया। इसी  अगले महीने 9 जून को राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जु मोदी तीन सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में आए। उन्होंने ट्वीट किया — “मालदीव ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे भारत के सुरक्षा हितों को नुकसान पहुंचे। एक मित्र और पड़ोसी के नाते हम भारत की भूमिका का आदर करते हैं”। देखा जाए तो इस ट्वीट के बड़े मायने थे ये चीन को एक संदेश था कि मालदीव भारत विरोधी किसी गतिविधि का समर्थन और सहयोग नहीं करता है। धीरे धीरे रिश्ते दिन पर दिन सुधरते गए अक्टूबर 2024 में मोईज्जु भारत की पांच दिन की राजकीय यात्रा पर आए। इस यात्रा में दोनों देशों के बीच व्यापक आर्थिक और समुद्री सुरक्षा साझेदारी के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। एक साझा विजन दस्तावेज बनाया गया जिसको लागू करने के लिए एक उच्च स्तरीय कोर समूह का गठन किया गया। इसकी दो बैठकें हो चुकी हो चुकी एक इसी साल जनवरी में और दूसरी मई महीने में माले में हुई। भारत मालदीव के बीच तब से ही लगाता नियमित यात्राएं हो रही हैं।

     26 जुलाई को मालदीव के 60 वें स्वतंत्रता समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रधानमंत्री मोदी का जाना लगातार सुधरते रिश्तों में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। भारत और मालदीव के कूटनीतिक रिश्तों के भी संयोग से इसी साल 60 साल पूरे हो रहे हैं। मोदी का निमंत्रण मालदीव का भूल सुधार है तो चीन को ये बताना भी है कि भारत के साथ उसकी दोस्ती और ऊंचे स्तर पर पहुंचेगी।