– आतंकवाद की छाया में फल-फूल रहा विदेशी मुद्रा रैकेट
इंट्रो- सन् 2016 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की थी, तब कहा था कि इससे आतंकवाद की कमर टूट जाएगी। लेकिन तबसे अनेक आतंकी घटनाएँ बताती हैं कि आतंकवाद की कोई कमर नहीं टूटी है। आतंकवादियों के दो संबल हैं- पहला और प्रमुख है वित्तपोषण यानी धन, और दूसरा है हथियार। अगर ये दो चीज़ें उन्हें न मिलें, तो आतंकी घटनाओं पर हमेशा के लिए रोक लग सकती है। लेकिन आतंकवादियों के वित्तपोषण के रास्ते कई हैं, जिनमें से एक उन्हें हवाला के ज़रिये विदेशी मुद्रा का मिलना है, जिसका वैध-अवैध लेन-देन लगातार हो रहा है। विदेशी मुद्रा का अवैध लेन-देन करने के लिए बाक़ायदा रैकेट चल रहे हैं। पहलगाम आतंकी हमले के बाद बढ़ी राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच ‘तहलका’ ने ऐसे ही अवैध विदेशी मुद्रा रैकेट चलाने वालों का पता लगाया है, जो बेरोकटोक आसानी से अवैध रूप से यह काम कर रहे हैं। इस तरह के अवैध विदेशी मुद्रा व्यापार से आतंकवाद का वित्तपोषण होता है। पढ़िए, तहलका एसआईटी की यह ख़ास रिपोर्ट :-
सन् 2008 के मुंबई हमलों के बाद 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में आम नागरिकों पर हुए सबसे घातक आतंकवादी हमले से देश हिल गया। पाकिस्तान से आये चार सशस्त्र आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में पर्यटकों पर हमला कर दिया, जिसमें 26 नागरिक मारे गये। पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा की शाखा द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने इसकी ज़िम्मेदारी ली है। आतंकवादियों ने हिन्दू पर्यटकों को निशाना बनाया और गोली मारने से पहले उनका धर्म पूछा। हालाँकि इस घटना में एक नेपाली पर्यटक और एक स्थानीय मुस्लिम की भी आतंकियों ने हत्या कर दी। एम4 कार्बाइन और एके-47 से लैस आतंकवादी घने देवदार के जंगलों से घिरी बैसरन घाटी के पर्यटक स्थल में घुस गये और नरसंहार को अंजाम दिया।

जवाब में भारत ने उन आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए ऑपरेशन सिन्दूर शुरू किया, जिनके बारे में उसका मानना है कि वह (पाकिस्तान) हमले के पीछे था। भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के क़ब्ज़े वाले कश्मीर में नौ आतंकवादी स्थलों पर हमला किया और 100 आतंकवादियों को मार गिराने का दावा किया। पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए भारत के सीमावर्ती राज्यों में ड्रोन हमले किये और गोलाबारी की। बदले में भारत ने मिसाइलों और ड्रोन से हमला किया, जिससे कम-से-कम पाकिस्तानी वायुसेना के आठ ठिकानों को भारी नुक़सान पहुँचा। दोनों पड़ोसी देशों के बीच कम तीव्रता वाला संघर्ष उस समय अचानक रुक गया, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम कराने का श्रेय लेते हुए इसे एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। हालाँकि भारत सरकार ने ट्रम्प के दावे को तुरंत ख़ारिज कर दिया। इस रिपोर्ट के लिखे जाने के समय तक दोनों देश युद्ध विराम की स्थिति में थे।
हालाँकि हमले के लगभग एक महीने बाद भी पहलगाम नरसंहार के संदिग्ध अभी भी फ़रार हैं। 13 मई को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने तीन लोगों की तस्वीरें जारी कीं, जिनके पहलगाम हमले में शामिल होने का संदेह है। जाँच में तेज़ी लाने के लिए अधिकारियों ने उनकी गिरफ़्तारी में सहायक सूचना देने वाले को 20 लाख रुपये का नक़द इनाम देने की भी घोषणा की। सूत्रों का कहना है कि स्थानीय समर्थन के बिना इतना भीषण हमला संभव नहीं था। पहलगाम की घटना भारत में दशकों से हो रहे आतंकवादी हमलों की लम्बी श्रृंखला में नवीनतम घटना है। देश को आतंकवाद मुक्त बनाने के लिए उत्तरोत्तर सरकारों ने विभिन्न क़दम उठाये हैं; लेकिन आतंकवादियों ने बार-बार हमला करके इन प्रयासों पर पानी फेर दिया है।
आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में अवैध वित्तपोषण किसी भी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। यह सवाल दशकों से हर भारतीय के मन में रहा है कि आतंकवादियों को भारत में हमला करने के लिए धन और सैन्य सहायता कहाँ से मिलती है? हालाँकि व्यापक रूप से माना जाता है कि इन हमलों के पीछे पाकिस्तान का हाथ है; लेकिन स्थानीय स्तर पर इनका समर्थन कौन कर रहा है? उन्हें कौन धन मुहैया करा रहा है? और यह धन आतंकवादियों तक किस रास्ते से पहुँच रहा है? पहलगाम हमले के बाद ये सवाल एक बार फिर केंद्र में आ गये हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, विदेशी मुद्रा घोटाला ऐसा ही एक रास्ता हो सकता है। इन घोटालों के माध्यम से शोधित धन कई माध्यमों से होकर गुज़र सकता है, जिसमें संभावित रूप से विदेशी मुद्रा बाज़ार भी शामिल है; और आतंकवादी संगठनों या व्यक्तियों तक पहुँचाया जा सकता है। यह विदेशी मुद्रा विनिमय मार्ग अब तक जाँच से बचा हुआ हो सकता है। लेकिन क्या इसका उपयोग पहलगाम हमलावरों को धन मुहैया कराने के लिए किया गया था? यह अभी भी जाँच का विषय है। भारत में वित्तीय ख़ुफ़िया इकाई (एफआईयू) ने पहले भी आतंकवाद और तस्करी से जुड़े अवैध मुद्रा प्रवाह का पता लगाया है।

भारत में विदेशी मुद्रा लेन-देन विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) द्वारा विनियमित होता है। बिना उचित बिल या रसीद के किया गया कोई भी लेन-देन अवैध माना जाता है। यदि ऐसी गतिविधि में संलिप्त पाया गया, तो मुद्रा परिवर्तक (विनिमयकर्ता यानी करेंसी डीलर) और ग्राहक दोनों को क़ानूनी परिणाम भुगतने होंगे। अधिकृत विदेशी मुद्रा परिवर्तकों को प्रत्येक लेन-देन के लिए रसीद जारी करना आवश्यक है। यह ख़रीद के प्रमाण के रूप में कार्य करता है। भारतीय क़ानून के अनुपालन को सुनिश्चित करता है, और ग्राहकों को भविष्य के विवादों से बचाता है। पहलगाम हमले के बाद दिल्ली सहित प्रमुख भारतीय शहरों को हाई अलर्ट पर रखा गया। ऐसे समय में जब सभी सुरक्षा एजेंसियाँ सतर्क थीं, ‘तहलका’ ने दिल्ली में अवैध विदेशी मुद्रा लेन-देन पर एक स्टिंग ऑपरेशन किया। ‘तहलका’ रिपोर्टर ने निज़ामुद्दीन दरगाह और उसके पुलिस स्टेशन के नज़दीक स्थित निज़ामुद्दीन इलाक़े में नक़ली ग्राहक बनकर कई मनी एक्सचेंजरों से मुलाक़ात की। हमें आश्चर्य हुआ कि हाई अलर्ट के बावजूद सभी मनी एक्सचेंजर्स, जो भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अधिकृत होने का दावा करते हैं; अवैध विदेशी मुद्रा लेन-देन करते हैं, जो ‘तहलका’ के गुप्त कैमरे में क़ैद हुए हैं।

‘हम आपको दो लाख रुपये की भारतीय मुद्रा के बदले सऊदी रियाल देंगे। बिना किसी बिल, पासपोर्ट या वीजा के। लेकिन अगर एजेंसियाँ आपको अवैध रूप से विदेशी मुद्रा ले जाने के आरोप में पकड़ती हैं, तो यह हमारी ज़िम्मेदारी नहीं होगी।’ -दरगाह निज़ामुद्दीन इलाक़े में अनम एक्सचेंज नाम से काम करने वाले मनी एक्सचेंजर के ज़ैद ने ‘तहलका’ रिपोर्टर से कहा।
‘मैं तुम्हें दो लाख रुपये के बदले चीनी युआन, पाँच लाख रुपये के बदले ब्रिटिश पाउंड और एक लाख रुपये के बदले रूसी रूबल दूँगा और वह भी बिना किसी वैध दस्तावेज़ या बिल के।’ – एसजीएस फॉरेक्स प्राइवेट लिमिटेड नाम से कम्पनी चलाने वाले इस इलाक़े के एक अन्य मनी एक्सचेंजर नईम ख़ान ने ‘तहलका’ रिपोर्टर से कहा।
‘भारतीय मुद्रा में दो लाख रुपये के बदले हम आपको नक़द अमेरिकी डॉलर देंगे। हम आपको कोई बिल नहीं देंगे, न ही आपसे कोई दस्तावेज़ माँगेंगे।’ -दरगाह निज़ामुद्दीन इलाक़े में शिफ़ा फॉरेक्स चलाने वाले सरफ़राज़ ने ‘तहलका’ रिपोर्टर से कहा।

‘भारत में बिना दस्तावेज़ों के विदेशी मुद्रा ख़रीदना अवैध है। लेकिन मैं यह काम वर्षों से करता आ रहा हूँ। मैं अपने भरोसेमंद एक्सचेंजर्स से बिना किसी काग़ज़ी कार्रवाई के विदेशी मुद्रा प्राप्त करता हूँ। अगर तुम चाहो, तो मैं तुम्हारे लिए भी इसका प्रबंध कर सकता हूँ।’ – स्वतंत्र दलाल प्रशांत सिंह उर्फ़ पिंटू ने ‘तहलका’ रिपोर्टर से कहा।
निज़ामुद्दीन विदेशी मुद्रा डीलरों पर ध्यान केंद्रित करने से पहले आइए प्रशांत सिंह उर्फ़ पिंटू की बात करें। पिंटू एक स्वतंत्र ऑपरेटर है, जो वर्षों से डॉलर और सोने की तस्करी में संलिप्त रहा है और हवाला मार्ग के ज़रिये थाई मुद्रा को भारत में लाने के लिए जाना जाता है। ‘तहलका’ के समक्ष उनके क़ुबूलनामे से डॉलर तस्करी और हवाला धन के आवागमन के व्यापक नेटवर्क का ख़ुलासा हुआ है। पहलगाम हमले से काफ़ी पहले ‘तहलका’ रिपोर्टर ने पिंटू से मुलाक़ात की थी। उस समय उसने हमारे रिपोर्टर को बताया कि वह लंबे समय से सोने और डॉलर दोनों की तस्करी करता रहा है। हालाँकि उसने कहा कि डॉलर की तस्करी अधिक लाभदायक है। पिंटू ने क़ुबूल किया कि वह भारतीय बाज़ार (काले बाज़ार) से अवैध रूप से अमेरिकी डॉलर ख़रीदता है, उन्हें थाईलैंड ले जाता है, उन्हें थाई बाथ (थाईलैंड की मुद्रा) में परिवर्तित करता है, और हवाला चैनलों के माध्यम से धन को भारत वापस लाता है। उसने कहा कि चूँकि उसे थाईलैंड में अच्छी विनिमय दर मिलती है, इसलिए उसे वापसी पर अच्छा-ख़ासा लाभ मिलता है। बातचीत में पिंटू ने अपने तस्करी नेटवर्क की कार्यप्रणाली का भी ख़ुलासा किया कि कैसे थाईलैंड से सोना लाया जाता है और अमेरिकी डॉलर भारत से बाहर ले जाये जाते हैं, जिन्हें थाई बाथ में परिवर्तित किया जाता है और हवाला के माध्यम से भारतीय मुद्रा के रूप में वापस भेजा जाता है। मार्जिन मामूली लग सकता है; लेकिन उसका नेटवर्क मज़बूत और समय की कसौटी पर खरा उतरा है।

पिंटू : हम काम करते हैं डॉलर (अमेरिकी मुद्रा) और गोल्ड (सोने) में। …और दोनों के प्रॉफिट अलग-अलग हैं। अगर हम 100 ग्राम गोल्ड लेते हैं 50,000 रुपये बचते हैं। 100 ग्राम की वैल्यू (क़ीमत) हुई 5-5.5 लाख रुपये। और डॉलर में बैठते हैं 8.5 लाख। …एक पूरा बंडल आता है, उसमें हमें दो रुपये 25 पैसे बचते हैं, तो वो उसमें 2,500 रुपये अप्रॉक्स (लगभग) बचते हैं।
रिपोर्टर : ये लाते कहाँ से हो आप, …गोल्ड और डॉलर?
पिंटू : ये थाईलैंड से लाते हैं। गोल्ड थाईलैंड से लाते हैं; …डॉलर इंडिया से लेकर जाते हैं।
रिपोर्टर : कहाँ जाते हो?
पिंटू : बैंकॉक में।
रिपोर्टर : डॉलर इंडिया से लेकर जाते हो? …वहाँ उसे इंडियन करेंसी में चेंंज करवाते हो?
पिंटू : नहीं; …थाई करेंसी में चेंज करवाते हैं। उसके बाद हम इसको हवाला लगवाकर इंडिया में लाते हैं। …इंडिया में पैसा रिटर्न आ जाता है, इंडियन करेंसी में। तो हमें सब मिलाकर 20-22 हज़ार बचते हैं।
अब पिंटू ने ‘तहलका’ रिपोर्टर को बताया कि कैसे डॉलर की तस्करी ने भारत और बैंकॉक के बीच निरंतर लूप में कई वाहक और छोटी खेपों का उपयोग करके जाँच से बचने के लिए ख़ुद को अनुकूलित किया है। प्रत्येक चरण में थोड़ा लाभ होता है। लेकिन प्रक्रिया को दोहराने से वह बढ़ता है। यह नेटवर्क यात्रा लागत की भरपाई कपड़े और इलेक्ट्रॉनिक्स सामान के साथ करता है।
रिपोर्टर : 20-22 हज़ार रुपये कितने पर बचते हैं?
पिंटू : आरएस (रुपये) आठ लाख पर। …पर ट्रिप (प्रत्येक चक्कर)। जैसे मैं आज गया वहाँ पर एक्सचेंज करवाया और मैंने रिटर्न मारे और पैसे इंडिया में आ गये। अब इंडिया में वो बंदे रिटर्न में फिर गया, …तो साइकिलिंग सिस्टम है।
रिपोर्टर : नहीं; जो पैसे हवाला से इंडिया में आये, वो फिर बहार जाते हैं?
पिंटू : फिर हमारा दूसरा लड़का, …हम अकेले काम तो करते नहीं हैं; तो वो पैसे वापस आ गये, तो आज जीतू भाई वापस जाएगा, वो पैसे लेकर। तो आज आरएस 25,000 का प्रॉफिट आया, कल भी आरएस 25 के (25 हज़ार) का प्रॉफिट आएगा।
रिपोर्टर : कितने पर 25 के (हज़ार) का बताया आपने?
पिंटू : 8.5 लाख पर।
रिपोर्टर : 8.5 लाख पर आरएस 25 हज़ार का प्रॉफिट आपको?
पिंटू : पाएगा और हम साइकिलिंग में इसको 20-25 दिन में 2.5 लाख कर देते हैं। …ये प्रॉफिट है।
रिपोर्टर : मतलब, एक चक्कर में आरएस 25 थाउजेंड, तो 10 चक्कर में 2.5 लाख्स?
पिंटू : हाँ; ये प्रॉफिट है और टिकट का जो निकलता है, हम साथ में कपड़ा भी लाते हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम भी लाते हैं, और भी बहुत सारा सामान; …तो हम टिकट और कस्टम उस में कर लेते हैं।
बातचीत के दौरान पिंटू ने स्वीकार किया कि वह बिना किसी काग़ज़ी कार्रवाई के काले बाज़ार से डॉलर ख़रीदकर कर (टैक्स) का भुगतान करने से बचता है। उसने बताया कि क़ानूनी तरीक़े से मुद्रा लेन-देन करने पर बिलों और जीएसटी के कारण उनका लाभ ख़त्म हो जाएगा।
रिपोर्टर : ये बताइए, इसमें टैक्स किसका बचा?
पिंटू : टैक्स देखो; अगर हम प्रॉपर तरीक़े से जाएँगे, तो पूरा बिल बनेगा। तो जो चीज़ हमें 8.5 लाख की पड़ रही है, वो फिर हमें 8.70 (लाख) की पड़ेगी; …ज़्यादा ही पड़ेगी। जीएसटी मिलाकर तो जो हमारी बचत है, वो सारी उसमें चली जाएगी।
अब पिंटू ने बताया कि वह कैसे पकड़े बिना हवाई अड्डे की सुरक्षा से डॉलर की तस्करी करने में कामयाब हो जाता है। वह मुद्रा को इस तरह से छुपाता है कि एक्स-रे मशीन भी इसका पता नहीं लगा सकती। उसने इस काम में कभी-कभी रिश्वत देने की बात भी स्वीकार की। लेकिन पिंटू ने यह भी कहा कि अंतिम क्षण में होने वाली परेशानी से बचने के लिए यह काम बहुत होशियारी से छिपाकर ही किया जाता है।
पिंटू : वो वहाँ जाकर कुछ भी करें, वो पैसे हमें इक्वल-इक्वल (बराबर-बराबर) हो गया। अगर हम यहाँ से कस्टम को कुछ कट दे देते हैं, 5,000 – 3,000 रुपीज; …3,000-4,000 पर बंदा चला जाता है। उसको पता होता है। मगर फिर भी हम उस पैसे को बहुत मैनिपुलेट करके ले जाते हैं। ऐसा नहीं कि जेब में डाला चल दिये। क्यूँकि रिस्क होता है। कल को वो मुकर गया, …कह दिया मेरा सीनियर आ गया था, मैं क्या कर सकता हूँ। इसलिए बहुत मैनिपुलेट करके ले जाते हैं।
रिपोर्टर : जैसे 10,000 डॉलर हैं, उसे आप अलग-अलग रखते हैं…?
पिंटू : ऐसे सिस्टम में रखते हैं कि वो एक्स-रे में भी नहीं आता।
रिपोर्टर : ऐसा भी है? …वो एक्स-रे में आएगा भी नहीं!?
पिंटू ने ‘तहलका’ रिपोर्टर को आगे बताया कि कैसे वह बिना किसी काग़ज़ी प्रक्रिया के आधिकारिक मुद्रा नियमों को दरकिनार करके प्रतिदिन क़ानूनी सीमाओं से कहीं अधिक मात्रा में मुद्रा का लेन-देन करता है और जाँच से बचने के लिए बिना बिल वाले ऑफ-द-रिकॉर्ड लेन-देन को प्राथमिकता देता है।
रिपोर्टर : अच्छा; डॉलर कैसे ख़रीद सकता है कोई? …उसमें कोई डिस्काउंट की ज़रूरत नहीं होती?
पिंटू : बिल के संग चाहिए, तो बहुत कुछ है। …इंडिया में ना आप साल में बस एक बार 10,000 डॉलर भेज सकते हो, अपने पासपोर्ट में। उसके बाद आप दोबारा जाओगे, तो वो नहीं देंगे। क्यूँकि आपने एक ही बार में भेज दिया।
रिपोर्टर : अच्छा; साल में एक पासपोर्ट पर 10,000 रुपये आ सकते हैं?
पिंटू : सिर्फ़ 5,000…।
रिपोर्टर : और आप कितना लाते हो?
पिंटू : सर! हमें पेपर चाहिए ही नहीं, वो कच्चे में देते हैं। हमें कच्चे में ही चाहिए। जीएसटी नहीं कटवाना। अगर पक्के में चाहिए, पैसे अकाउंट से कटेंगे।
रिपोर्टर : आप पासपोर्ट भी नहीं दिखाते होंगे?
पिंटू : मैं कुछ नहीं दिखाता।
रिपोर्टर : आप कितने ले लेते हो साल में?
पिंटू : साल में, …मैं डेली के 25,000 डॉलर ले लेता हूँ।
रिपोर्टर : तो बहुत आगे निकल गये आप तो?
पिंटू ने स्पष्ट रूप से हवाई अड्डों के माध्यम से डॉलर की तस्करी को सुविधाजनक बनाने के लिए सीमा शुल्क अधिकारियों को रिश्वत देने की बात स्वीकार की और यह दावा किया कि यह प्रणाली अच्छी तरह से काम कर रही है। उसने कई हवाई अड्डों के नाम भी बताये, जहाँ नियमित इस तरह अवैध मुद्रा लेकर लोगों का आना-जाना रहता है और खुले तौर पर रिश्वत की माँग की जाती है।
पिंटू : देखो सर! बिना ऑफिसर के काम करना तो बेव$कूफ़ी है। कल को कोई बात होती है, तो मैं बोल भी सकता हूँ सर थोड़ा-सा देख लीजिए। …अगर आप लेते हैं, तो कहीं-न-कहीं रियायत भी करेंगे। वो भी ज़रूरी है। xxxx एयरपोर्ट में कोई 10 लाख, …50 लाख से नीचे बात ही नहीं करता। जितने पैसे, उतना ही काम होता है; …और सीधा-सीधा होता है।
रिपोर्टर : यहाँ से भी xxxx एयरपोर्ट से काम हो रहा है, मतलब?
पिंटू : xxxx? …ऐसा कोई एयरपोर्ट नहीं है, जहाँ से ये काम न होता रहा हो।
रिपोर्टर : यही काम? …डॉलर का?
पिंटू : डॉलर का, गोल्ड का। …गोल्ड में रिस्क बहुत है।
रिपोर्टर : आप सिर्फ़ बैंकॉक से ही कर रहे हो?
पिंटू : हाँ; बीच में मैंने दुबई से किया था; …सेकेंड लॉकडाउन के समय। ….दुबई बहुत एक्सपेंसिव (महँगा) है, तो हमारा नहीं बन पाया था।
अब पिंटू ने बताया कि भारत से डॉलर बाहर ले जाने की सीमा क्या है और यह भी स्वीकार किया कि वह किस प्रकार से करोल बाग़ से अवैध रूप से डॉलर ख़रीदकर भारतीय नियमों को तोड़कर सीमा से कहीं अधिक डॉलर ले जाता है।
रिपोर्टर : नहीं, आप ये कह रहे हो डॉलर की एक लिमिट है इंडिया से बाहर ले जाने की?
पिंटू : इंडिया से बाहर ले जाने की सिर्फ़ इंडिया में ही लिमिट है। विदेश वालों की नहीं।
रिपोर्टर : एक बंदे की क्या लिमिट है?
पिंटू : एक बंदे को आरएस 1,500-2,000 तक यूएस डॉलर।
रिपोर्टर : आप कितना ले जाते हो?
पिंटू : 1,500-2,000…।
रिपोर्टर : ये डॉलर आपके पास कहाँ से आते हैं?
पिंटू : हम ख़रीदते हैं लोकल मार्केट से, …यहाँ पर करोल बाग़ से।
पिंटू यह स्वीकार करता है कि बिना दस्तावेज़ों के विदेशी मुद्रा ख़रीदना अवैध है। लेकिन वह बैंकों और अधिकृत एजेंटों के माध्यम से क़ानूनी तरीक़े की तुलना अवैध तरीक़े से ही यह सब करता हैं, जिसमें कोई पहचान, जाँच शामिल नहीं होती। वह ‘तहलका’ रिपोर्टर को इस काम में रुचि रखने वाला आम आदमी समझकर अपने नेटवर्क के माध्यम से उन्हें थोक में डॉलर या यूरो की व्यवस्था करके देने का भी वादा करता है।
रिपोर्टर : अच्छा; बिना पासपोर्ट के डॉलर नहीं ख़रीद सकते इंडिया में?
पिंटू : ख़रीद सकते हैं।
रिपोर्टर : लेकिन वो इल्लीगल होगा?
पिंटू : ब्लैक मार्केटिंग होगा। ..(जैसे)24 रुपये रेट है; लेकिन वो 25 देंगे।
रिपोर्टर : लेकिन वो लीगलाइज्ड नहीं होगा?
पिंटू : नहीं; आप प्रूफ कैसे करोगे?
रिपोर्टर : अगर लीगलाइज्ड करवाना है, तो पासपोर्ट देना पड़ेगा?
पिंटू : लीगली लेना है, तो बैंक से लेना होगा। व्हाइट होगा। पूरा जीएसटी कटेगा। …फिर व्हाइट कॉलर होगा, तो आप कहीं भी जाओगे, दिखा सकते हो, ये मेरे बिल है इट्स (इत्यादि)…। आप जवाब दे सकते हो ना!
रिपोर्टर : तो विदआउट डिस्काउंट ऐसे है लोगों को?
पिंटू : हाँ।
रिपोर्टर : आपकी सेटिंग कैसी है?
पिंटू : सेटिंग नहीं, आपको भी मिल जाएँगे। मैं नंबर दे देता हूँ आपको; …आज तो नहीं। मगर 20-25 हज़ार लोगों के पास होते ही हैं।
रिपोर्टर : दिल्ली में ही?
पिंटू : हाँ।
रिपोर्टर : आप दिलवा दोगे बिना पासपोर्ट, वीजा के?
पिंटू : हाँ; डॉलर, यूरो, …कुछ भी।
रिपोर्टर : बिना पासपोर्ट के?
पिंटू : हाँ।
यह ‘तहलका’ की पड़ताल का एक हिस्सा था, जिसमें यह उजागर हुआ कि कैसे एक दलाल अवैध रूप से भारत से बैंकॉक डॉलर ले जा रहा है और उन्हें थाई मुद्रा में परिवर्तित करने के बाद हवाला के माध्यम से रुपये में बदलकर भारत वापस ला रहा है। लेकिन इसके बाद ‘तहलका’ एसआईटी अपनी जाँच को पहलगाम आतंकी हमले के ठीक बाद आगे बढ़ाते हुए बिना किसी दस्तावेज़ के अवैध रूप से एक बदलने वाले मुद्रा विनिमयकर्ताओं (मनी एक्सचेंजर्स) का पर्दाफ़ाश किया गया है। इसी सिलसिले में ‘तहलका’ रिपोर्टर की मुलाक़ात ज़ैद से हुई, जो दिल्ली के दरगाह निज़ामुद्दीन इलाक़े में अनम एक्सचेंज नाम से मुद्रा विनिमय का कारोबार चलाता है। रिपोर्टर ने ज़ैद से कहा कि उन्हें भारतीय मुद्रा में दो लाख रुपये मूल्य के सऊदी रियाल की ज़रूरत है। तब ज़ैद ने बिना किसी क़ानूनी प्रक्रिया, बिना दस्तावेज़ या बिना बिल के रियाल उपलब्ध कराने पर सहमति जतायी। हालाँकि उसने रिपोर्टर से कहा कि पकड़े जाने पर जोखिम आपका रहेगा।
ज़ैद : रियाल कितना चाहिए?
रिपोर्टर : दो लाख इंडियन करेंसी का।
ज़ैद : (किसी से फोन पर पूछते हुए) …रियाल कितने का है? 23.20 पैसे का है।
रिपोर्टर : 23.20 पैसे एक सऊदी रियाल का? …कितना हो गया दो लाख का?
ज़ैद : 8,620…।
रिपोर्टर : 8,620 सऊदी रियाल मिल जाएँगे दो लाख के? …कोई डाक्यूमेंट तो नही देने पड़ेंगे?
ज़ैद : अगर बिल बनवाना है, तो देने पड़ेंगे।
रिपोर्टर : नहीं, बिल नहीं बनवाना।
ज़ैद : अपने रिस्क पर लेकर जाना फिर।
रिपोर्टर : अपना रिस्क, मतलब?
ज़ैद : रोक लें तो हमारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं रहेगी।
रिपोर्टर : ठीक है, वो तो हमारा रिस्क है। उसमें फिर ये है कि पासपोर्ट, वीजा हमें कुछ नहीं देना?
ज़ैद : नहीं।
ज़ैद के बाद ‘तहलका’ रिपोर्टर ने निज़ामुद्दीन इलाक़े में एसजीएस फॉरेक्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से मुद्रा विनिमय का काम करने वाले नईम ख़ान से कहा कि उन्हें (रिपोर्टर को) पाँच लाख रुपये के पाउंड (ब्रिटिश मुद्रा), दो लाख रुपये के रूबल (रशियन मुद्रा) और एक लाख रुपये के युआन (चाइनीज मुद्रा) चाहिए। इस पर नईम ‘तहलका’ रिपोर्टर को उनकी विनिमय दर (एक्सचेंज रेट) बताकर बिना किसी दस्तावेज़ और बिना बिल के मुद्रा बदलने को तैयार हो गया।
रिपोर्टर : ब्रिटिश पाउंड?
नईम : कितना है?
रिपोर्टर : पाँच लाख इंडियन करेंसी।
नईम : ब्रिटिश चाहिए आपको?
रिपोर्टर : हम्म! क्या रेट है?
नईम : 114.90…।
रिपोर्टर : 113.90 का एक पाउंड? …और रशियन का?
नईम : अभी हैं नहीं हमारे पास, …5-6 के (हज़ार) हैं।
रिपोर्टर : 5-6 के, …उसका क्या रेट है?
नईम : 1.05 पैसे।
रिपोर्टर : एक रुपये पाँच पैसे? …और चाइनीज?
नईम : है।
रिपोर्टर : चाइनीज का क्या रेट है?
नईम : 12.80 है।
रिपोर्टर : 12.80 रुपये? …दो लाख का कितना हो गया?
नईम : चाइनीज 15,625 रुपये।
रिपोर्टर : विद्आउट बिल मिल जाएगा ना?
नईम : बिल चाहिए इसका?
रिपोर्टर : नहीं चाहिए।
नईम : पाँच लाख का पाउंड चाहिए; …दो लाख का?
रिपोर्टर : …रूबल (रशियन करेंसी)।
नईम : और येन (जापानी करेंसी)?
रिपोर्टर : एक लाख का, तीनों के सही रेट लगा लो? …नईम भाई! बताएँ फिर, …डिस्काउंट तो नहीं चाहिए?
नईम : नहीं।
रिपोर्टर : मैं फिर एक घंटे में आ जाऊँ?
नईम : हाँ; आ जाओ।
अब ‘तहलका’ रिपोर्टर ने सरफ़राज़ नाम के एक मुद्रा विनिमयकर्ता से मुलाक़ात की। सरफ़राज़ भी निज़ामुद्दीन में शिफ़ा फॉरेक्स में मनी एक्सचेंज का कारोबार चलाता है। सरफ़राज़ बिना किसी पहचान या दस्तावेज़ माँगे तुरंत दो लाख रुपये को अमेरिकी डॉलर में बदलने के लिए सहमत हो गया। उसने इस बात पर ज़ोर दिया कि वह मुद्रा विनिमय की जो दर बता रहा है, वह उचित है। साथ ही यह आश्वासन दिया कि इसमें कोई काग़ज़ी प्रक्रिया की ज़रूरत नहीं है। यह सौदा अनियमित, हाथों और चिन्तामुक्त है।
रिपोर्टर : मनी एक्सचेंज हो जाएगा?
सरफ़राज़ : कितना?
रिपोर्टर : दो लाख इंडियन करेंसी। …क्या रेट है?
सरफ़राज़ : 8,660…।
रिपोर्टर : 8,660?
सरफ़राज़ : हाँ।
रिपोर्टर : कितने डॉलर मिलेंगे यूएस?
सरफ़राज़ : 100 डॉलर, …8,660 का रेट है।
रिपोर्टर : दो लाख का कितना हो गया?
सरफ़राज़ : 2,309 डॉलर।
रिपोर्टर : 2,309 डॉलर यूएस? …कुछ डिस्काउंट तो नहीं देने पड़ेंगे?
सरफ़राज़ : कैश।
रिपोर्टर : वीजा, पासपोर्ट देने की ज़रूरत तो नहीं है?
सरफ़राज़ : नहीं, नहीं।
रिपोर्टर : कुछ और अच्छा रेट मिल जाए?
सरफ़राज़ : बेस्ट (बढ़िया) है, …बेस्ट रेट है।
रिपोर्टर : पूरा होगा दो लाख। बिलिंग वग़ैरह नहीं चाहिए हमें। …डिस्काउंट वग़ैरह?
सरफ़राज़ : कुछ नहीं।
अब ‘तहलका’ रिपोर्टर ने निज़ामुद्दीन इलाक़े के एक अन्य मुद्रा विनिमयकर्ता अरफ़िन राजपूत से संपर्क किया, जो नोडल फॉरेक्स के नाम से अपना मुद्रा विनिमय का व्यापार चलाता है। दूसरे मुद्रा विनिमयकर्ताओं की तरह ही अरफ़िन राजपूत भी पाँच लाख रुपये को यूरो में बदलने को तैयार था, जिसके लिए उसने यह काम बिना किसी पासपोर्ट, बिना वीजा और बिना बिल के करने में रुचि दिखायी।
रिपोर्टर : यूरो मिल जाएगा यूरो? …पाँच लाख इंडियन करेंसी का?
अरफ़िन : मिल जाएगा।
रिपोर्टर : क्या रेट है?
अरफ़िन : 58 रुपये 70 पैसे।
रिपोर्टर : 58 रुपये 70 पैसे? …रुपये 58, 79 पैसे?
अरफ़िन : हाँ।
रिपोर्टर : दो लाख इंडियन करेंसी का कितना हो गया? …सॉरी पाँच लाख का?
अरफ़िन : ये हो गये तुम्हारे 5,065 (फाइव थाउजेंड सिक्सटी फाइव)।
रिपोर्टर : 5,065 रुपये। …डिस्काउंट तो नहीं चाहिए कुछ?
अरफ़िन : न।
रिपोर्टर : पासपोर्ट, वीजा की ज़रूरत तो नहीं? …बिल भी नहीं
चाहिए हमें।
अरफ़िन : न।
हम सभी को सन् 2015 का कुख्यात विदेशी मुद्रा घोटाला याद है, जिसमें सीबीआई ने बैंक ऑफ बड़ौदा और एचडीएफसी बैंक के कर्मचारियों सहित कई लोगों को गिरफ़्तार किया था। सन् 2017 में व्यापार आधारित धन शोधन के एक बड़े मामले में, जिसे विदेशी मुद्रा घोटाला भी कहा गया; सीबीआई ने 2015-2016 के दौरान फ़र्ज़ी आयात की आड़ में लगभग 2,253 करोड़ रुपये के विदेशी धन भेजने के लिए 13 निजी कम्पनियों और अज्ञात बैंक अधिकारियों के ख़िलाफ़ जाँच शुरू की। पिछले वर्ष 2024 में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ग्राहकों को ठगने वाले 75 अनधिकृत विदेशी मुद्रा डीलरों की सूची जारी की।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद शुरू की गयी ‘तहलका’ की दूसरे भाग की जाँच ने दिल्ली के निज़ामुद्दीन इलाक़े में विदेशी मुद्रा डीलरों के माध्यम से चल रहे तस्करी और हवाला नेटवर्क को उजागर किया है; वह भी स्थानीय पुलिस स्टेशन की नाक के नीचे। ‘तहलका’ रिपोर्टर के गुप्त कैमरे में क़ैद हुए मुद्रा विनिमयकर्ताओं ने दावा किया कि वे आरबीआई से अधिकृत हैं। लेकिन वे स्पष्ट रूप से क़ानूनी नियमों को तोड़कर काम कर रहे हैं; वह भी तब, जब देश पहलगाम हमले के बाद हाई अलर्ट पर है। यह सर्वविदित है कि ग्राहक अक्सर काग़ज़ी प्रक्रिया से बचने तथा केवल नक़द में ही लेन-देन करने के लिए ऐसे डीलरों को प्राथमिकता देते हैं। ये मुद्रा विनिमयकर्ता अवैध रूप से उस अवैध प्रक्रिया से काम करते हैं, जिसे सामान्य भाषा में काला बाज़ार कहा जाता है। जैसा कि नाम से पता चलता है, मुद्रा विनिमय एक ऐसा क्षेत्र, जिसमें विभिन्न देशों की मुद्राओं (करेंसीज) को बदलने का काम होता है। लेकिन यही काम मुद्राओं के अवैध विनिमय से लेकर कर (टैक्स) चोरी और हवाला के ज़रिये आतंकवाद के लिए वित्तपोषण तक का ज़रिया बना हुआ है, जिसका केंद्र अवैध रूप से मुद्राओं को बदलने वाले ऐसे ही मुद्रा विनिमयकर्ता हैं। इस समानांतर अर्थव्यवस्था के प्रति आँखें मूँद लेने से इस कालाबाज़ारी का जोखिम और भी बढ़ जाता है, जिसे लोग सुविधाजनक रूप से लेन-देन, क़ानूनी प्रक्रिया और पैसे बचाने के चक्कर में नकार देते हैं।