स्पेन

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विश्व रैंकिंग: 1
सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन : 2010 (विजेता)

खास बात
डिएगो कोस्टा जैसा बेहतरीन स्ट्राइकर स्पेन की इस टीम में दूसरा नहीं है. जहां फर्नान्डो टोरेस और डेविड विला अपनी पुरानी शैली में लौटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं वहीं कोस्टा उस टीम को बहुत मजबूती देंगे जो प्रतिभाशाली मिल्फील्डरों से भरी हुई है

‘टिकी-टाका अब अप्रासंगिक हो चुकी है.’ यह घोषणा कुछ फुटबॉल पंडितों ने तब की थी जब 2013 में हुए कन्फेडरेशन कप के फाइनल में ब्राजील ने स्पेन को 3-0 से हराया था. ‘टिकी-टाका’ वह विधा है जिसमें खिलाड़ी फुटबॉल को छोटी-छोटी दूरी पर पास करते हुए उस पर कब्जा बनाए रखते हैं. ‘टिकी-टाका’ के अप्रासंगिक होने की बातों को तब और बल मिला जब बार्सिलोना क्लब की देश-विदेश में हार हुई. बार्सिलोना क्लब स्पेन की राष्ट्रीय टीम से सबसे ज्यादा मेल खाता है और टीम की सबसे बेहतरीन प्रतिभा भी इसी क्लब से आती है. लचर रणनीति से इतर स्पेन को कई अन्य कारणों से भी कमजोर माना जा रहा है. एक समय में विश्व के सबसे बेहतरीन पासर समझे जाने वाले जवी हर्नान्देज अब अपनी ही एक कमजोर परछाईं जैसे दिखते हैं. फर्नान्डो टोरेस और डेविड विला दोनों ही अब अपनी ‘एक्सपाइरी डेट’ पार कर चुके हैं. तो क्या वर्तमान विश्व-विजेताओं को अब विश्व कप को अलविदा कह देना चाहिए? नहीं. गोल कीपर के रूप में इकर क्यासिलास और सेंटर-बैक में सर्गियो रामोस और गेरार्ड पिक के होने से बचाव हमेशा की तरह ही मजबूत नजर आता है. जबी अलोंसो और सर्गियो बस्क्वेट्स आज भी बैक-फोर को रक्षण देने में सबसे ज्यादा माहिर हैं. इनके अलावा आंद्रेस इनिएस्ता जैसा नौजवान भी है जो बातों से नहीं बल्कि अपने पैरों से जवाब देने में विश्वास रखता है. स्पेन के मिडफील्ड से ब्राजील में हर टीम के कोच को ईर्ष्या जरूर होगी. यदि ‘टिकी-टाका’ असफल भी होती है तो कोच विसेंट डेल बॉस्क के पास चक्रव्यूह तोड़ने के लिए डिएगो कोस्टा को उतारने का सौभाग्य भी है.