- वोट ख़रीदने के लिए नक़ली नोट भी खरीदते हैं लोग
इंट्रो- देश में नोटबंदी के बाद अवैध नक़ली नोटों का धंधा बंद होने का दावा किया गया था। लेकिन ‘तहलका’ एसआईटी ने अपनी पड़ताल में पाया कि अवैध नक़ली नोटों का धंधा आज भी धड़ल्ले से चल रहा है। फ़र्क़ यह है कि अब नक़ली नोट पहले की तरह बड़ी संख्या में पकड़े नहीं जा रहे हैं। ‘तहलका’ ने अपनी इस रिपोर्ट में मौज़ूदा चुनावी मौसम के बीच अवैध नक़ली नोटों के कारोबार में शामिल एक बड़े गिरोह का ख़ुलासा किया है। इस ख़ुलासे में स्पष्ट तौर पर कुछ लोगों ने असली नोटों के बदले दोगुने से तीन गुने नक़ली नोट देने की बात क़ुबूल की है। तहलका एसआईटी की रिपोर्ट :-
‘मैं गिरफ़्तार नहीं होना चाहता। क्योंकि ऐसा कोई नहीं है, जो मुझे जमानत पर बाहर निकाल सके। मैं जानता हूँ कि जेल में रहने के दौरान मेरी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। मुझे आशंका है कि कुछ लोग, जो नक़ली नोटों के कारोबार में मेरी संलिप्तता के बारे में जानते हैं; वे मुझे गिरफ़्तार करा सकते हैं। इसलिए कृपया सुनिश्चित करें कि मैं सलाखों के पीछे न पहुँचूँ।’
यह बात कर्नाटक के मैंगलोर में रहने वाले समीर (वह अपने पहले नाम से ही जाना जाता है) ने कही, जो पेशे से नाई है। ‘तहलका’ रिपोर्टर के साथ फोन पर स्पष्ट बातचीत में समीर ने अपने अवैध नक़ली नोटों के कारोबार के बारे में विवरण दिया। समीर के अनुसार, वह हमें (नक़ली नोटों के ख़रीदार बनकर बात करने वाले ‘तहलका’ के रिपोर्टर को) उत्तर प्रदेश के नोएडा में एक ऐसे संपर्क से जोड़ सकता है, जो चुनावी उद्देश्यों के लिए नक़ली नोट बनाने में माहिर है। उसने कहा कि हमें (रिपोर्टर को) उसे बस 50,000 रुपये का अग्रिम भुगतान देना है। एक बार लेन-देन पूरा हो जाने पर संपर्क में आने वाला व्यक्ति एक नोट-छापने का सामान ख़रीदेगा और कुछ दिनों के भीतर हमारे (‘तहलका’ रिपोर्टर के) द्वारा दी गयी असली नोटों की नक़दी के दोगुने मूल्य के नक़ली नोट उन्हें दे देगा। समीर ने ‘तहलका’ रिपोर्टर को आश्वासन दिया कि किसी भी अतिरिक्त मुद्रा की आवश्यकता को नोएडा में उनके संपर्क से पूरा किया जाएगा।
इस जटिल नक़ली नोटों के गिरोह के नेटवर्क का पर्दाफ़ाश करने के लिए ‘तहलका’ के रिपोर्टर ने ख़ुद को एक ग्राहक के रूप में पेश किया, जो आम चुनाव लड़ रहे (हमारे काल्पनिक) उम्मीदवारों को इस अवैध सेवा देने के लिए बात कर रहा था। समीर ने ‘तहलका’ के रिपोर्टर को बताया कि उन्हें इसके लिए मैंगलोर जाने की कोई ज़रूरत नहीं है; वह नोएडा में ही सब कुछ व्यवस्थित कर देगा। जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आते हैं, सबसे ख़राब रहस्यमयी रूप से नक़ली नोटों का चलन में आ जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि चुनावी मौसम के दौरान लाखों नक़ली नोटों की बाढ़ आ जाती है। हाल ही में बिहार में गया ज़िले की पुलिस ने विशेष रूप से 2024 चुनावों के लिए नक़ली नोट छापने में शामिल एक गिरोह को पकड़ा। चेरकी पुलिस स्टेशन ने नक़ली नोट बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्रिंटिंग मशीन के साथ कुल 4.73 लाख रुपये के नक़ली नोट ज़ब्त किये। बरामद नक़ली नोटों में 500, 200, 100 और 50 रुपये के नक़ली नोट थे। अधिकारियों को संदेह है कि इन नक़ली नोटों का इस्तेमाल लोकसभा चुनाव के दौरान किया जाना था, जिसके अंतिम चरण के लिए मतदान 01 जून को होना है।
आम चुनाव की घोषणा के बाद इस साल मई के महीने में बिहार में मोतिहारी पुलिस ने एक बार फिर अवैध नक़ली नोटों के धंधे में शामिल दो लोगों को पकड़ा था। पुलिस ने 2024 के आम चुनावों में इस्तेमाल किये जाने वाले 13 लाख रुपये के नक़ली नोट ज़ब्त किये थे। इस बीच उत्तर प्रदेश के झांसी में एक अन्य मामले में पुलिस ने नोट छापने की मशीन के साथ 2.50 लाख रुपये की नक़ली नोटों के साथ चार लोगों को गिरफ़्तार किया था। इसके अतिरिक्त अप्रैल में चुनाव की तारीख़ों की घोषणा के बाद हैदराबाद पुलिस ने नक़ली नोट बनाने और उन्हें खपाने में लगे एक गिरोह का भंडाफोड़ किया था। ऑपरेशन के दौरान छ: लोगों को गिरफ़्तार किया गया और पुलिस ने 28,000 रुपये की असली नोटों के साथ 36.35 लाख रुपये के नक़ली नोट भी ज़ब्त किये थे। पुलिस ने इन लोगों के पास से नोट छापने में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री भी बरामद की थी। चुनावी सरगर्मी शुरू होते ही नक़ली नोटों का कारोबार करने वाले सक्रिय हो जाते हैं और मौज़ूदा चुनाव भी इसका अपवाद नहीं है। नक़ली नोटों की ‘तहलका’ की इस पड़ताल से एक बड़े गिरोह का पर्दाफ़ाश हुआ है। आप अपने बटुए में मौज़ूद नक़दी पर विचार करें, कि कहीं यह नक़ली मुद्रा तो नहीं है? यह संभव है। इनमें से कुछ नक़ली नोट पाकिस्तान में निर्मित होते हैं और बांग्लादेश के माध्यम से भारत भेजे जाते हैं।
नोटबंदी के बावजूद, जिसका उद्देश्य भारत से नक़ली मुद्रा को ख़त्म करना था; नक़ली नोटों का प्रचलन सरकार के लिए सिरदर्द बना हुआ है। सन् 2019 के आम चुनाव के दौरान भी नक़ली नोटों के इस्तेमाल की ख़बरें सामने आयी थीं। इस बार जैसे ही 2024 की चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई, ‘तहलका’ एसआईटी की पड़ताल के दौरान हमारी नज़र हिंदी पट्टी के ऐसे लोगों पर पड़ी, जो नक़ली नोट बनाने में माहिर हैं। इतना ही नहीं, इन लोगों ने अतीत में भी लगभग हर भारतीय चुनाव के दौरान नक़ली नोट बनाने में अपनी संलिप्तता खुले तौर पर स्वीकार की है। इन लोगों ने यह भी दावा किया है कि इन्होंने आम जनता को रोज़मर्रा के लेन-देन के लिए नक़ली नोटों की आपूर्ति भी की है। पड़ताल के दौरान हमारे रिपोर्टर ने सबसे पहले नक़ली नोटों के धंधे के मँझे हुए खिलाड़ी रोहित शर्मा से बात की। नक़ली नोटों के काल्पनिक ग्राहक बने ‘तहलका’ रिपोर्टर से मिलते ही रोहित शर्मा ने उन्हें तुरंत नक़ली नोटों का भाव बता दिया। रोहित की शर्तों के मुताबिक, ‘आपको (हमारे रिपोर्टर को) तीन लाख रुपये के नक़ली नोट प्राप्त करने के लिए मुझे (रोहित को) एक लाख रुपये के असली नोट देने होंगे।’
रोहित : एक का तीन मिलता है।
रिपोर्टर : मैं आपको एक लाख दूँगा। …एक का तीन मतलब?
रोहित : तीन लाख रुपये दूँगा मैं आपको।
रिपोर्टर : मैं एक लाख दूँगा। …आप मुझे नक़ली नोट के तीन लाख दोगे?
रोहित : हाँ।
रोहित शर्मा ने क़ुबूल किया कि चुनाव के दौरान नक़ली नोटों की माँग काफ़ी बढ़ जाती है और उसे नक़ली नोटों के ढेरों ऑर्डर मिलते हैं। उसने कहा कि सांसदों और विधायकों के प्रतिनिधि और सहयोगी इस दौरान अक्सर उसकी सेवाएँ लेते हैं।
रिपोर्टर : अभी तुम्हारा चुनाव में तो काम बढ़ गया होगा? …कितना बढ़ गया?
रोहित : अभी चालू होने वाला है। धीरे-धीरे बढ़ रहा है। बढ़ेगा थोड़ा-थोड़ा। …इलेक्शन में तो काम आता है।
रिपोर्टर : ज़्यादा आता है?
रोहित : हम्म…।
रिपोर्टर : कौन लोग आते हैं ज़्यादा चुनाव में?
रोहित : सांसद, विधायक के काम आते हैं हमारे पास।
रिपोर्टर : विधायक, सांसद ख़ुद आते हैं, या उनके लोग आते हैं?
रोहित : लोग आते हैं उनके।
अब रोहित शर्मा ने ख़ुलासा किया कि उसने एक दिन में सबसे ज़्यादा नक़ली नोट सप्लाई किये थे। उसने महज़ 24 घंटे में 10 लाख रुपये तक के नक़ली नोट खपाने की बात स्वीकार की। जब आगे की जाँच की गयी, तो रोहित ने क़ुबूल किया कि उसका नक़ली नोटों का नेटवर्क पूरे देश में फैला हुआ है, और भारत के किसी भी क्षेत्र तक पहुँचने में सक्षम है।
रिपोर्टर : सबसे ज़्यादा माल आपने, …एक दिन में कितना माल आपने सप्लाई किया है?
रोहित : 10 लाख रुपये एक दिन में।
रिपोर्टर : करे हैं?
रोहित : हाँ।
रिपोर्टर : देश में कहाँ-कहाँ सप्लाई कर सकते हो?
रोहित : हमारा देश में बहुत बड़ा नेटवर्क है। कहीं भी कर सकते हैं।
रिपोर्टर : कहीं भी कर सकते हो?
रोहित : हाँ।
रिपोर्टर : कश्मीर-साउथ?
रोहित : हाँ; नोट तो यही हैं। …कोई हॉन्ग-कॉन्ग का नोट तो है नहीं।
रिपोर्टर : हॉन्ग-कॉन्ग क्या?
रोहित : हॉन्ग-कॉन्ग देश का है नहीं, हमारे पास।
रोहित ने रिपोर्टर को आश्वासन दिया कि उसके नक़ली नोट बैंकों को छोड़कर पूरे भारत में निर्बाध रूप से चलते हैं। उसने पूरे विश्वास के साथ दावा किया कि उसके नक़ली नोट पूरे देश में बिना पहचाने चल सकते हैं।
रिपोर्टर : मतलब, कोई पकड़ न पाये, …..जो नक़ली नोट दे रहे आप हमें?
रोहित : हमारा काम पक्का है। कान पकड़ लेना हमारा। मार्केट में कहीं भी घूम लेना। पूरे हिंदुस्तान घूम लेना, …कभी भी।
रिपोर्टर : किस बारे में हिंदुस्तान में घूम आयेँ?
रोहित : इसी बारे में कहीं पर चला सकते हो। …बैंक छोड़कर।
रिपोर्टर : नोटों के बारे में?
रोहित ने रिपोर्टर को नक़ली नोटों के मूल्य के बारे में भी बताया, जो वह हमें आपूर्ति करेगा। उसने बताया कि नक़ली नोटों में ज़्यादातर 50 और 100 रुपये के नोट शामिल होंगे। उसने बताया कि 500 रुपये के बड़े नोटों पर संदेह पैदा होने की संभावना अधिक होती है, ख़ासकर जब उन्हें बैंकों में ले जाया जाता है।
रिपोर्टर : ये माल जो लेंगे आपसे, …इसमें कौन-कौन से नोट होंगे?
रोहित : यही होंगे …50 का, 100 का।
रिपोर्टर : 500 का नहीं होगा?
रोहित : नहीं। बड़े माल पर शक होता है, …500 पर।
रिपोर्टर : बड़े माल पर क्या होता है?
रोहित : शक, …500 पर शक होता है। जैसे आदमी बैंक में जाएगा…।
रिपोर्टर : 500 वाले में शक ज़्यादा होता है?
रोहित : हाँ।
रिपोर्टर : 100-50 में कम होता है?
रोहित : हाँ।
‘तहलका’ रिपोर्टर की (फ़र्ज़ी) माँग पर रोहित उनके लिए 500 रुपये के नक़ली नोटों का इंतज़ाम करने को तैयार हो गया। संदेह के अधिक जोखिम के कारण शुरू में झिझकते हुए उसने रिपोर्टर को आश्वासन दिया कि वह उन्हें 50 और 100 रुपये के नोट भी दे सकता है।
रिपोर्टर : हमारे लिए कौन-कौन सा मँगा सकते हो?
रोहित : कौन-सा मँगाना है बताएँ?
रिपोर्टर : 500?
रोहित : 500 मँगवा देंगे।
रिपोर्टर : 50 और 100, …वो तो आ ही जाएगा?
रोहित : हाँ।
रोहित ने क़ुबूल किया कि नक़ली नोटों के कारोबार में उसकी प्रतिष्ठा दूर-दूर तक फैल गयी है, जो दूर-दराज़ के क्षेत्रों से आगंतुकों को आकर्षित करता है। हालाँकि रोहित ने इस बात पर ज़ोर दिया कि हमारे मामले में वह हमसे मिलने के लिए व्यक्तिगत रूप से हमारे (‘तहलका’ रिपोर्टर के बताए) स्थान पर आया।
रोहित : मेरे पास लोग चलके आते हैं, …कहाँ-कहाँ से। मैं आपके पास चलकर आया हूँ।
रिपोर्टर : लोग आते हैं?
रोहित : हाँ; कहाँ-कहाँ से पता नहीं।
रिपोर्टर : बहुत-बहुत धन्यवाद।
रोहित : मैं आपके पास चलकर आया हूँ।
अब रोहित ने इसमें शामिल महत्त्वपूर्ण ख़र्च को स्वीकार करते हुए xxxx सरपंच के चुनावों के दौरान नक़ली नोटों की आपूर्ति करने की बात स्वीकार की।
रोहित : xxxxxx में सरपंच का चुनाव हुआ है। …पैसा बहुत जाता है।
रिपोर्टर : उसका ऑर्डर आया था आपके पास?
रोहित : हाँ।
अब रोहित शर्मा ने ख़ुलासा किया कि नक़ली नोटों के कारोबार में कई लोग शामिल हैं, जिसमें शामिल राशि के आधार पर कमीशन 10 हज़ार रुपये से एक लाख रुपये तक होता है। उसने इस सुझाव को भी सिरे से नकार दिया कि अधिक लोगों के शामिल होने से जोखिम बढ़ जाएगा।
रिपोर्टर : तो आपका इसमें कितना कमीशन होता है?
रोहित : इसमें मेरे अकेले का नहीं है। काफ़ी लोगों का कमीशन होता है। 10 (हज़ार) किसी के, 20 किसी के, 50 किसी के। ऐसे होता है, …सबका कमीशन होता है।
रिपोर्टर : 10 हज़ार, 20 हज़ार या लाख?
रोहित : हाँ; जैसे रक़म आयी ऐसी, …बढ़िया काम हो गया। जैसे 10 लाख आयी आपसे उसमें, …लाख-लाख उठ जाती हैं उसमें।
रिपोर्टर : अच्छा-अच्छा; लाख आपका हो गया। लाख किसी और का होगा। मतलब चेन है पूरी?
रोहित : हाँ।
रिपोर्टर : कितने लोग हैं आपकी चेन में?
रोहित : कोई गिनती नहीं।
रिपोर्टर : बहुत सारे हैं?
रोहित : एक-दूसरे से लिंक हैं। आपसे हो गयी। मुझे हो गयी। …ऐसे हो जाती है।
रिपोर्टर : आपको नहीं लगता जितने ज़्यादा लोग होंगे, उतना ज़्यादा ख़तरा है?
रोहित : नहीं, ऐसा कुछ नहीं है।
अब रोहित ने अवैध नक़ली नोटों के धंधे से अपनी आमदनी का ख़ुलासा किया। उसने दावा किया कि नक़ली नोटों के धंधे से उसने हर महीने दो-तीन लाख रुपये कमाये हैं।
रिपोर्टर : तो आप इसी काम से पैसा कमाते हो?
रोहित : हाँ।
रिपोर्टर : महीने में कितना कमा लेते हो? …लाख, दो लाख?
रोहित : हाँ; दो-तीन लाख कमा लेता हूँ।
जैसे-जैसे रोहित शर्मा से मुलाक़ात आगे बढ़ी, ‘तहलका’ रिपोर्टर ने उससे पूछा कि 10 लाख मूल्य के नक़ली नोट पहुँचाने के लिए उसे कितना समय चाहिए। इसके जवाब में रोहित ने कहा कि नक़ली नोट पहुँचाने के लिए उसे सिर्फ़ एक दिन का वक़्त चाहिए।
रिपोर्टर : जैसे आज हम ऑर्डर करते हैं, 10 लाख का; …कब दे दोगे हमें?
रोहित : आज देते हो, तो कल आ जाना।
रिपोर्टर : कल आ जाएँ?
रोहित : हाँ।
‘तहलका’ रिपोर्टर ने रोहित के बाद इस धंधे में शामिल एक और व्यक्ति मैंगलोर के समीर से बात की, जिसने उन्हें वीरपाल से मिलवाया। समीर डरा हुआ लग रहा था। उसने कहा कि वह गिरफ़्तार नहीं होना चाहता। क्योंकि अगर वह जेल जाता है, तो उसकी रिहाई के लिए जमानत राशि देने वाला कोई नहीं है। उसने आशंका जताते हुए कहा- ‘कुछ लोग जो जानते हैं कि मैं नक़ली नोटों का कारोबार करता हूँ। वे मुझे गिरफ़्तार करा सकते हैं।’
समीर : वो मिल जाएगा, फिर आपको जितनी भी ज़रूरत है, …दो या तीन की; वो आप बता दें।
रिपोर्टर : ठीक है।
समीर : और क्या बोलते हैं, अपना जो है पैरवी करने वाला कोई नहीं है। बेल कराने वाला भी कोई नहीं है।
रिपोर्टर : अच्छा।
समीर : हाँ; मतलब जो जानेगा, वही खेल कर सकता है।
समीर ने अब कार्यप्रणाली समझायी कि ‘तहलका’ रिपोर्टर को उसके संपर्की वीरपाल को 50 हज़ार रुपये अग्रिम रूप से देने होंगे, और दो-तीन दिनों में वह दोगुनी राशि के नक़ली नोट दे देगा। प्रारंभिक राशि में प्रिंटिंग मशीन की लागत शामिल होती है।
समीर : उनको अपना सामान लेना पड़ेगा, बस एक 50 के (हज़ार) तक का ख़र्चा है।
रिपोर्टर : 50 हज़ार का?
समीर : जी! 50 हज़ार तक का ख़र्चा बताया था; …वो चाहिए हमें एडवांस में। वो सामान ला के, …उसके दो दिन या तीन दिन में 50 का दोगुना हो जाएगा।
रिपोर्टर : ठीक है।
समीर : वो मिल जाएगा, फिर आपको जितनी भी ज़रूरत है, दो या तीन की; …वो आप बता दें।
रिपोर्टर : ठीक है।
रोहित से मिलने के बाद हमारी मुलाक़ात वीरपाल से हुई, जिसका परिचय समीर ने कराया था; जो नक़ली नोटों के कारोबार में शामिल एक अन्य व्यक्ति है। वीरपाल ने भी रोहित की तरह एक लाख रुपये के असली नोटों के बदले दो लाख रुपये के नक़ली नोट देने की पेशकश की। उसने आश्वासन दिया कि वह उसे मिलने वाले असली नोटों से दोगुनी क़ीमत के नक़ली नोट उपलब्ध कराएगा।
वीरपाल : वहाँ से मिलेगा एक का डबल।
रिपोर्टर : कहाँ से?
वीरपाल : जहाँ से भी आएगा, वहाँ से आयेगा एक का डबल।
रिपोर्टर : एक का डबल मानें तो?
वीरपाल : एक लाख के दो लाख मिलेंगे।
रिपोर्टर : एक लाख के हम असली नोट देंगे और दो लाख के आप नक़ली नोट दोगे?
वीरपाल : हाँ।
अब वीरपाल ने नक़ली नोटों का उपयोग करते समय सावधानी बरतने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उसने कहा- ‘क्योंकि नोट एक ही सीरियल नंबर के होंगे। इन्हें एक समय में किसी के लिए भी थोक में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि पकड़े जाने के जोखिम से बचने के लिए हमेशा असली नोटों में मिश्रित करके कई भागों में ख़र्च किया जाना चाहिए।’
वीरपाल : जो मैं आपको बता रहा हूँ, वो ही क्लीयर रहेगा। नोट नक़ली आपका चलेगा मार्केट में। …ये नहीं है, अब आप एक लाख किसी को दे दो; वो तो पकड़ा जाएगा। आज भी या कल भी। क्यूँकि एक ही सीरियल नंबर के हैं। अगर उसने ध्यान दिया, तो। …और ध्यान क्यों नहीं देगा? बड़ा नोट है। हर बंदा ध्यान देगा।
रिपोर्टर : इसमें तो ये है कि छोटे-छोटे नोट दिये जाएँ। एक साथ गड्डी दे दी…?
वीरपाल : गड्डी में नहीं दे सकते। गड्डी में दिक़्क़त है।
रिपोर्टर : गड्डी में तो पकड़ा जाएगा ना?
वीरपाल : पकड़ा जाएगा भाई! आप किसी को एक लाख रुपये दे रहे हो। उसमें 10 हज़ार नक़ली मिक्स करके दे दो। 50 हज़ार दे रहे हो, उसमें 10 हज़ार मिक्स कर दो।
रिपोर्टर : पूरा नहीं दे सकते?
वीरपाल : पकड़े जाओगे आप। एक बंदे को पकड़ लिया, …ख़त्म है कहानी।
बैठक आगे बढ़ी, तो वीरपाल ने खुलकर बात की। उसने ख़ुलासा किया कि उसने दिल्ली, नोएडा और मेरठ में नक़ली नोटों की आपूर्ति की थी; विशेष रूप से मेरठ और देवबंद जैसे आसपास के क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण अभियानों में नक़ली नोट खपाने का काम उसने किया है।
रिपोर्टर : वीरपाल जी! आपकी सप्लाई वैसे कहाँ-कहाँ रही है? …नक़ली नोटों की उसने ख़ुलासा किया कि उसने दिल्ली, नोएडा और मेरठ में नक़ली मुद्रा की आपूर्ति की थी, विशेष रूप से मेरठ और देवबंद जैसे आसपास के क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण अभियानों पर ज़ोर दिया था।
वीरपाल : सेक्टर-37, नोएडा में। दिल्ली के कुछ बंदे थे। मेरठ किया है। मेरठ में काफ़ी किया है। मेरठ के आसपास देवबंद पूरा, …उधर किया है।
अब वीरपाल ने ‘तहलका’ रिपोर्टर को बताया कि वह बिना कोई जोखिम उठाये उन्हें एक हफ़्ते में छ: लाख रुपये के नक़ली नोट दे सकता है। उसने आगाह किया कि इस राशि से अधिक नक़ली नोट बनाना जोखिम से भरा होगा और उसे डर है कि अगर उसने ऐसा किया, तो उसे जेल भी हो सकती है।
रिपोर्टर : एक बार में आप कितना दे सकते हो नक़ली नोट?
वीरपाल : एक बार में क्या, बताओ? भाई! ज़्यादा के लफड़े में नहीं पड़ना। दो- तीन लाख रुपये कर दूँगा। तीन लाख रुपये।
रिपोर्टर : एक दिन में?
वीरपाल : आप हफ़्ते में दो टाइम लगा लीजिए।
रिपोर्टर : मतलब हफ़्ते में छ: लाख रुपये, नक़ली नोट?
वीरपाल : हफ़्ते में छ: लाख रुपये नक़ली के दे सकता हूँ। क्यूँकि मैं इतना बड़ा रिस्क नहीं लूँगा कि मैं पैसे समेत वहाँ पकड़ा जाऊँ। आपका तो हो गया, दुश्मन ज़िन्दगी भर का। मैं वहाँ पड़ा रहा हुआ हूँ जेल में।
वीरपाल ने अब क़ुबूल कर लिया है कि जिस आदमी ने उसके लिए नक़ली नोट बनाये थे, उसके पास चुनाव के दौरान काम के ऑर्डरों की बाढ़ आ गयी थी। उसने चुनाव के दौरान नक़ली नोटों की माँग बढ़ने का संकेत दिया।
रिपोर्टर : अच्छा; चुनाव चल रहा है। चुनाव की कोई डिमांड आयी आपके पास?
वीरपाल : मेरे पास नहीं आयी।
रिपोर्टर : उसके पास?
वीरपाल : उसके पास तो चल रहा है, वो कहाँ ख़ाली बैठता है।
रिपोर्टर : चल रहा है, काम उसका?
वीरपाल : वो कर रहा है अपना।
अब वीरपाल ने क़ुबूल कर लिया कि कैसे वह और उसके दोस्त रात में बाज़ार में सामान ख़रीदने के लिए नक़ली नोटों का इस्तेमाल करते थे।
रिपोर्टर : आपका किसी का भी नहीं पकड़ा गया? …आपका? न समीर का, न तीसरे का?
वीरपाल : पकड़ा जाता, कुछ-न-कुछ तो होता। हम शाम को चलते थे। 9:00-10:00 बजे फ्री हो जाते थे अपना। कई-कई बोरी तो सब्ज़ी हो जाती थी। गुटखे इतने हो जाते थे।
रिपोर्टर : वो ही नक़ली नोट से?
वीरपाल : हाँ।
हमारी सुरक्षा एजेंसियों के निष्कर्षों के अनुसार, जालसाज़ी को पाकिस्तान से निरंतर समर्थन मिलता है, जहाँ अधिकांश नक़ली नोट तैयार होते हैं। हमारे पड़ोसियों का स्पष्ट उद्देश्य भारतीय अर्थ-व्यवस्था को अस्थिर करना है। सीमा पार सुविधाओं में मुद्रित इन नक़ली नोटों को नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, थाईलैंड, मलेशिया और संयुक्त अरब अमीरात में फैले एक स्थापित नक़ली नोट वितरण नेटवर्क के माध्यम से भारत में तस्करी करके लाया जाता है। ग़ौरतलब है कि पिछले साल भारत में नक़ली नोटों की खेप भेजने के लिए चीन के रास्ते का इस्तेमाल किया गया था।
नशीली दवाओं के तस्करों और हथियार तस्करों के साथ-साथ संगठित अपराध सिंडिकेट और लश्कर-ए-तैयबा और इंडियन मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी समूह इस अवैध धंधे के अभिन्न अंग हैं।
इंडियन मुजाहिदीन के यासीन भटकल सहित गिरफ़्तार आतंकवादी गुर्गों से पूछताछ में नक़ली नोटों के धंधे से प्राप्त आमदनी का उपयोग हथियारों और विस्फोटक सामग्री की ख़रीद, आतंकियों की भर्ती और काडरों की घुसपैठ जैसी अन्य ख़तरनाक गतिविधियों को वित्तपोषित करने के उनके मंसूबों का ख़ुलासा हुआ है। यह गठजोड़ केवल आर्थिक अस्थिरता से परे नक़ली नोटों द्वारा उत्पन्न तरह-तरह के ख़तरों को रेखांकित करता है।
यह एक सर्वविदित तथ्य है कि चुनावों में भारी मात्रा में धन का उपयोग किया जाता है। अब तो चुनावों में नक़दी का उपयोग पहले से कहीं अधिक बड़े पैमाने पर किया जाता है। तत्काल कार्रवाई के अभाव में हम नक़ली नोटों के प्रचलन में वृद्धि देख सकते हैं, जो अराजक आर्थिक स्थितियों में योगदान दे रही है और मुद्रास्फीति को बढ़ा रही है। पाकिस्तान के साथ राजनीतिक बातचीत में शामिल होने के चल रहे प्रयासों के बावजूद भारत को अपने इस पड़ोसी की कुख्यात ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई द्वारा उत्पन्न आर्थिक अस्थिरता के ख़तरे से निपटने के लिए यथार्थवादी और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
कुछ साल पहले ‘तहलका’ ने भारतीय व्यवस्था से अपराधियों को जड़ से उखाड़ने की उम्मीद से नक़ली नोटों पर एक और पड़ताल की थी। हालाँकि यह निराशाजनक है कि नक़ली नोटों का धंधा करने वाले हमारी व्यवस्था के भीतर ही काम कर रहे हैं। चुनाव का मौसम उन्हें इस धंधे को बढ़ाने वाला ख़ास समय बन जाता है। क्योंकि नक़ली नोटों के धंधेबाज़ों से कई राजनीतिक ग्राहक इस तरह की अवैध सेवाएँ लेने के लिए आतुर रहते हैं। नक़ली नोटों के ये धंधेबाज़ केवल अपने विश्वसनीय ग्राहकों से ही जुड़ते हैं, अजनबियों को एक साधारण संदेश देकर दूर कर देते हैं; जिस प्रकार से ‘तहलका’ रिपोर्टर को उन्होंने अपने ठिकानों की जानकारी नहीं दी। ‘हम इस धंधे से बाहर हैं।’