परीक्षा माफ़िया का जाल

– पेपर लीक से लेकर परीक्षा पास कराने तक का खुलेआम दावा करते हैं दलाल !

इंट्रो-भारत में छोटी से बड़ी परीक्षाओं में नक़ल और उनके पेपर लीक के मामले समय-समय पर सामने आते रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से लगातार बड़ी-बड़ी परीक्षाओं के पेपर लीक होने के रिकॉर्ड टूटने से विद्यार्थी परेशान होकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। नीट परीक्षा में अनियमितताओं पर चल रहे विवाद के बीच एफएमजीई परीक्षा में कथित गड़बड़ी सामने आ गयी। पेपर लीक की पड़ताल में ‘तहलका’ एसआईटी को पेपर लीक कराने वाले कुछ ऐसे दलालों का पता चला है, जो भारत में मेडिकल लाइसेंसिंग की अखण्डता से पैसे के लिए समझौता करते हैं। तहलका एसआईटी की रिपोर्ट :-

राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (स्नातक) यानी नीट-यूजी, जो भारत में एक महत्त्वपूर्ण मेडिकल परीक्षा है; की इस वर्ष की परीक्षा में दज़र्नों परीक्षार्थियों के असामान्य रूप से उच्च अंक प्राप्त करने के बाद धोखाधड़ी के आरोपों के बीच हज़ारों परीक्षार्थियों का ग़ुस्सा फूट पड़ा है और उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। भारत की कुछ सबसे बड़ी परीक्षाओं के लिए ज़िम्मेदार सरकारी विभाग राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित नीट-यूजी में लाखों छात्र हर साल परीक्षा देते हैं। हालाँकि इस परीक्षा के ज़रिये केवल एक छोटा प्रतिशत ही मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए पर्याप्त अंक प्राप्त कर पाता है।

प्रश्न-पत्र में त्रुटियों और अनुचित तरीक़े से दिये गये अनुग्रह अंक (ग्रेस मार्क्स) से लेकर पेपर लीक और धोखाधड़ी के आरोपों तक कई मुद्दों के कारण इस वर्ष की नीट परीक्षा जाँच के दायरे में आ गयी है। हालाँकि एनटीए अधिकारियों ने किसी भी पेपर लीक से इनकार किया है; लेकिन बिहार पुलिस ने दावा किया है कि परीक्षार्थिर्यों में से एक ने जाँच के दौरान पुष्टि की है कि उसने एक रिश्तेदार के द्वारा आश्वासन दिये जाने के बाद कोटा से पटना की यात्रा की थी कि वह पहले से नीट का पेपर प्राप्त कर सकता है। पुलिस के अनुसार, चार अभ्यर्थी लीक हुए पेपर के उत्तर याद करने के लिए परीक्षा से एक रात पहले एक पूर्व निर्धारित स्थान पर एकत्र हुए थे।

नीट विवाद के मद्देनज़र ‘तहलका’ ने एक अन्य महत्त्वपूर्ण परीक्षा- फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एग्जामिनेशन (एफएमजीई) से जुड़े पेपर लीक के आरोपों की भी पड़ताल की। निष्कर्ष बिहार के ही अनुरूप है, जो दर्शाता है कि एफएमजीई पेपर परीक्षा से एक दिन पहले लीक हो जाना था, और परीक्षार्थियों को उत्तर याद करने के लिए पूर्व निर्धारित स्थानों पर इकट्ठा होना था। हमारी पड़ताल के दौरान ‘तहलका’ के रिपोर्टर की मुलाक़ात दिल्ली के राकेश भंडारी नाम के एक बिचौलिया से हुई, जो हमारे काल्पनिक प्रतियोगी (रिपोर्टर के द्वारा बताये गये काल्पनिक छात्र) को एफएमजीई की परीक्षा पास कराने में उसकी सहायता करने के लिए तैयार था। दिलचस्प बात यह है कि उसने वही तरीक़ा अपनाने की कोशिश की, जिसका उल्लेख पहले किया गया था- परीक्षा से एक दिन पहले पेपर लीक करना। भंडारी ने समझाया- ‘हम परीक्षा से एक दिन पहले प्रश्न-पत्र (क्वेश्चन पेपर) प्राप्त कर लेंगे। अभ्यर्थी को एक अज्ञात स्थान पर ले जाया जाएगा और एक रात पहले दोनों प्रश्न-पत्र उपलब्ध कराये जाएँगे। इसके अतिरिक्त हम परीक्षार्थी के लिए प्रश्न-पत्र हल करेंगे, यह सुनिश्चित करते हुए कि वह कम-से-कम 150 प्रश्नों का उत्तर दे; जो परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए आवश्यक न्यूनतम अंक हैं। परीक्षा के दिन परीक्षार्थी को सावधानीपूर्वक परीक्षा केंद्र पर छोड़ दिया जाएगा। यदि परीक्षा के प्रश्न-पत्र लीक हुए प्रश्न-पत्र से मेल खाते हैं, तो परीक्षार्थी को उसी शाम 15 लाख रुपये का भुगतान करना होगा। याद रखें, अभ्यथी लीक हुए प्रश्न-पत्रों की तस्वीर खींचकर उन्हें दोस्तों को न भेज दे, इसके लिए उसे अपना मोबाइल फोन पहले ही हमें सौंपना होगा; क्योंकि प्रश्न-पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो सकता है और हम मुसीबत में पड़ सकते हैं।’

यह उल्लेखनीय है कि मौज़ूदा नियम ये कहते हैं कि विदेश में चिकित्सा की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को स्वायत्त रूप से काम करने वाले राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीए) द्वारा वर्ष में दो बार आयोजित विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट परीक्षा (एफएमजीई) उत्तीर्ण करनी होगी। सफल अभ्यर्थी राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) या राज्य चिकित्सा परिषदों (एसएमसीज) के साथ अनंतिम या स्थायी पंजीकरण प्राप्त करते हैं, जिससे उन्हें भारत में चिकित्सा का अभ्यास करने की अनुमति मिलती है। उत्तीर्ण न होने पर उनका अभ्यास अवैध हो जाता है।

‘सिक्किम भारत का एकमात्र राज्य है, जहाँ कोई अन्य व्यक्ति वास्तविक अभ्यर्थी की जगह परीक्षा दे सकता है। लेकिन यह जोखिम भरी बात है। मैं इस विकल्प को नहीं अपनाना चाहता। अगर पकड़े गये, तो हमारी ज़िन्दगी बर्बाद हो जाएगी।’ यह बात भंडारी ने कही, जिससे ‘तहलका’ रिपोर्टर ने दिल्ली के एक पाँच सितारा होटल में मुलाक़ात की थी। ‘तहलका’ रिपोर्टर ने ख़ुद को एक काल्पनिक प्रतियोगी का प्रतिनिधि बताकर एक ऐसे बिचौलिये की तलाश की, जो एफएमजीई परीक्षा पास कराने में हमारे काल्पनिक प्रतियोगी की मदद करने की अपनी योजना ख़ुलासा हमारे ख़ुफ़िया कैमरे के सामने कर सके।

‘तहलका’ रिपोर्टर ने राकेश भंडारी को बताया कि हमारा अभ्यर्थी ढाका (बांग्लादेश) से एमबीबीएस स्नातक है, जो अपने पहले प्रयास में भारत में अभ्यास करने के लिए एनएमसी से लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आवश्यक एफएमजीई परीक्षा में असफल रहा। जवाब में भंडारी ने हमें हमारे काल्पनिक अभ्यर्थी को एफएमजीई परीक्षा पास करने में मदद करने के लिए तीन विकल्प दिये। पहला विकल्प परीक्षा से एक दिन पहले प्रश्न-पत्र लीक होना है; दूसरा कम्प्यूटर रिकॉर्ड में हेरा-फेरी करके; और तीसरा यह सुनिश्चित करना कि अभ्यर्थी असफल होने के बाद भी पास हो जाएगा। सभी विकल्प निश्चित रूप से वित्तीय लेन-देन से जुड़े हैं। पहले विकल्प के लिए भुगतान परीक्षा के दिन यह सत्यापित करने के बाद किया जाएगा कि लीक हुआ प्रश्न-पत्र वास्तविक परीक्षा के प्रश्न-पत्र से मेल खाता है। जबकि दूसरे और तीसरे विकल्प के लिए भुगतान परिणाम के बाद करने की बात हुई। भंडारी ने वास्तविक परीक्षार्थी के स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति द्वारा परीक्षा देने को सबसे जोखिम भरा विकल्प बताया, जिसके लिए वह तैयार नहीं था। उसके मुताबिक, प्रश्न-पत्र लीक होना ही सबसे अच्छा विकल्प है।

हर साल विदेशी विश्वविद्यालयों से मेडिकल डिग्री प्राप्त करने वाले हज़ारों भारतीय एफएमजीई परीक्षा देने आते हैं। अपने देश में अभ्यास के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन (एनबीई) द्वारा आयोजित एक स्क्रीनिंग टेस्ट और नेशनल मेडिकल कमीशन (पहले मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) द्वारा एक निश्चित अर्हता अनिवार्य की गयी है। एनबीई के आँकड़ों के मुताबिक, औसतन 20 प्रतिशत से भी कम लोग इसे पास कर पाते हैं। रूस, यूक्रेन, चीन, फिलीपींस, बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों के विदेशी चिकित्सा स्नातकों को एफएमजीई उत्तीर्ण करने के बाद ही भारत में अभ्यास करने की अनुमति है। हालाँकि यूएस, यूके, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड के एमबीबीएस स्नातकों को परीक्षा देने की आवश्यकता नहीं पड़ती। सन् एफएमजीई की परीक्षा सन् 2019 में 25.79 प्रतिशत विदेशी स्नातकों ने पास की, जबकि सन् 2020 में यह प्रतिशत 14.68 और सन् 2021 में 23.83 ही था। सन् 2019 से पहले के वर्षों में आँकड़े और भी कम थे। तो इस परीक्षा में असफल होने के बाद लगभग 80 प्रतिशत स्नातक क्या करते हैं? जबकि कुछ लोग चिकित्सा को आगे बढ़ाने और एक अलग करियर-पथ अपनाने के अपने सपने को छोड़ देते हैं। कुछ लोग एफएमजीई उत्तीर्ण किये बिना ही भारत में अवैध रूप से अभ्यास करते हैं। अन्य लोग उत्तीर्ण होने के अपने प्रयासों में लगे रहते हैं। विशेषकर इसलिए, क्योंकि द्विवार्षिक एफएमजीई के लिए परीक्षा पास करने के प्रयासों की कोई सीमा नहीं है।

एफएमजीई परीक्षा के आसपास कथित धोखाधड़ी की ‘तहलका’ की पड़ताल के हिस्से के रूप में हमारे रिपोर्टर की मुलाक़ात बिचौलिये राकेश भंडारी से हुई, जिसने कई असफल प्रयासों के बाद अवैध तरीक़ों से एक कश्मीरी विदेशी एमबीबीएस स्नातक को एफएमजीई पास कराने में मदद करने की बात क़ुबूल की। भंडारी ने ख़ुलासा किया कि उसने परीक्षा पास करने में मदद करने के लिए प्रतियोगी से 20 लाख रुपये लिये थे।

भंडारी : एक तो ख़ास आदमी है, …4-5 चान्स में पास ही नहीं हो रहा।

रिपोर्टर : एफएमजी में?

भंडारी : हाँ, ..उसको फिर एक झटके में करवाया मैंने पिछले साल।

रिपोर्टर : आपने करवाया एफएमजी में पास?

भंडारी : हाँ; अभी शादी की उसने। मुझे शादी में दावत भी न दी। मुझे खुंदक आ गयी इतनी, …परसों पता चला उसकी शादी भी हो गयी।

रिपोर्टर : कितना पैसा लिया आपने उससे?

भंडारी : रेट तो देखो डिपैंड करता है, …अगर डायरेक्ट आ गया, तो 20 लाख भी लेते हैं।

रिपोर्टर : ऑप्शन कौन-सा था, उसका पास होने का?

भंडारी : सारी चीज़ें नहीं बताते, पता है क्या होता है ये सीक्रेसी वाला काम है? आप कितने दिनों से फोन कर रहे हो मिलने के लिए, मैंने आपसे क्या कहा? …टाइम नहीं है। क्यूँकि एक्चुअली क्या होता है, हमारे पास एक की जगह 10 आदमी खड़े होते हैं।

अब ‘तहलका’ रिपोर्टर ने भंडारी के सामने एक काल्पनिक सौदा पेश किया, जिसमें कहा गया कि हमारे पास एक प्रतियोगी है, जिसने ढाका (बांग्लादेश) में एमबीबीएस पूरा किया है; लेकिन पहले प्रयास में वह एफएमजीई में असफल रहा। भंडारी ने तुरंत हमारे रिपोर्टर को आश्वासन दिया कि वह परीक्षा से एक रात पहले प्रश्न-पत्र दे (पेपर लीक कर) सकता है। अपनी टीम से इसे हल करवा सकता है और अगले दिन परीक्षार्थी को परीक्षा केंद्र पर छोड़ सकता है। यदि लीक हुआ प्रश्न-पत्र परीक्षा के प्रश्न-पत्र से मेल खाता है, तो अभ्यर्थी को उसी शाम 15 लाख रुपये का भुगतान करना होगा। उन्होंने लीक हुए प्रश्न-पत्र को साझा करने से रोकने के लिए परीक्षार्थी के मोबाइल फोन को अपने पास रखने या साथ न लाने पर ज़ोर दिया, ताकि उसका यह अवैध काम और परीक्षा पास कराने की मुहिम ख़तरे में न पड़ जाए। भंडारी ने अपने धोखाधड़ी वाले नेटवर्क की शर्तों और उसके काम के तरीक़े पर प्रकाश डालते हुए इसमें सावधानीपूर्वक बनायी गयी अपनी प्रक्रिया और सुरक्षा उपायों के बारे में विस्तार से बताया।

भंडारी : आप समझे नहीं मेरी बात; …क्वेश्चन पेपर का ऐसा स्कैम होता है, उसमें मेरे को भी नहीं पता होगा, …कब, किस लोकेशन पर भेज रहा होगा वो। सीक्रेट होता है। इसकी तलाशी दो जगह करेगा। कोई मोबाइल तो नहीं, कोई पेपर तो नहीं है इसके पास।

रिपोर्टर : जब ये एग्जाम देने जाएगा?

भंडारी : हाँ; उससे पहले। क्यूँकि एक दिन पहले मिलके जाएगा, जानते तो हैं नहीं इसको। मतलब, अगर इसके पास मोबाइल हो, ये फोटो खींचकर 10 लोगों को भेज देगा; …ये वायरल हो गया, तो फँस गये न वो। वो क्या काम करते हैं, दिन में नहीं बुलाएँगे इसको; …11 बजे बुलाएँगे। एक जगह बुलाएँगे। …सपोज करो यहाँ बुला लिया। यहाँ से अपनी गाड़ी में ले जाएँगे। वो हमारी रिस्पॉन्सबिलिटी रहेगी। यहाँ से लेकर दूसरी जगह ले जाएँगे। दूसरी जगह से तीसरी जगह ले जाएँगे। शाम को पेपर कहीं और होगा।

रिपोर्टर : शाम को पेपर?

भंडारी : शाम को पेपर दिखा देंगे उसको। रात में स्टडी करवा देंगे उसको। एक घंटे में थोड़ी हो पाएगा। फिर 4-5 बजे तक इसको (विद्यार्थी को) करवाके सुबह सीधे सेंटर पर इसको 8:00 बजे पौन 8:00 बजे से 12:00 बजे तक।

रिपोर्टर : और दूसरा?

भंडारी : दूसरा एक घंटे के गैप के बाद होगा।

रिपोर्टर : तो ये दोनों पेपर उसे दे देंगे एक रात पहले ही?

भंडारी : करवा देंगे सोल्व। …कोई 150 क्वेश्चन करवा देंगे। पेपर मैच हो गया, जैसे बच्चे ने कर लिया; पेपर तो वही आ गया ना! तो बच्चे को आराम-आराम से करना है, कोई हड़बड़ी नहीं करनी है।

रिपोर्टर : एग्जामिनेशन सेंटर में?

भंडारी : एग्जामिनेशन सेंटर से पहले, पेपर तो 10-15 मिनट पहले मिल जाएगा ना! ताकि भूल न जाए। …एग्जाम दे दिया आराम से; …शाम को तो मैच (मिलान) हो ही जाएगा। शाम को पेमेंट कर दिया।

रिपोर्टर : शाम को?

भंडारी : पेमेंट करनी है।

रिपोर्टर : आप जो एक घंटे का गैप बता रहे हो दोनों एग्जाम के बीच में, उस एक घंटे में इसको किसी से बात नहीं करनी?

भंडारी : ना। क्यूँकि दूसरे को बता दिया इसने; ..ये आएगा, वो आएगा। फँसने वाला काम क्यों करें?

रिपोर्टर : शाम को पेमेंट कर देनी है? लेकिन आप तो कह रहे थे पेमेंट होगा पास होने के बाद?

भंडारी : पास तो हो ही गया ना वो, हमने तो पेपर दिखाया। दूसरे दिन दे दी पेमेंट।

रिपोर्टर : और रिजल्ट कब तक आता है इसका?

भंडारी : 10-15 दिन में।

भंडारी ने ख़ुलासा किया कि वह परीक्षार्थियों को वित्तीय भुगतान करके एफएमजीई पास करने के तीन रास्ते प्रदान करता है। पहला पेपर लीक है; दूसरे में सर्वर के साथ छेड़छाड़ शामिल है; और तीसरा असफल अभ्यर्थियों को उत्तीर्ण होने की गारंटी देता है। उसने ‘तहलका’ रिपोर्टर को पहले पेपर लीक के तरीक़े के बारे में समझाया और फिर अन्य दो विकल्पों के बारे में विस्तार से बताया, जिसमें परिणामों में हेर-फेर और इन महत्त्वपूर्ण कार्यों के लिए भरपूर मात्रा में धन को लेकर बताया।

रिपोर्टर : दूसरे ऑप्शन में आप क्या बता रहे थे? सर्वर में कुछ करते हैं?

भंडारी : सर्वर का भी खेल होता है। तीसरा ऑप्शन है, …फेल भी हो गया, तो पास हो जाएगा।

रिपोर्टर : वो कैसे?

भंडारी : आपको पता है कितने बच्चे पास होते हैं कुल? 2,500…।

रिपोर्टर : एफएमजी में? और बैठते कितने हैं?

भंडारी : 20,000, 17,000; …और 2,000-2,500 पास होते हैं मैक्सिमम।

रिपोर्टर : बैठते कितने हैं?

भंडारी : 17-18 के (हज़ार) और 2,500-3,000 मैक्सिमम पास होते हैं। 10 प्रतिशत, आठ प्रतिशत रह जाते हैं। बाक़ी 200-400 बच्चे तो ऐसे ही निकाल देते हैं। क्यूँकि इसमें अवैल्युएशन (मूल्यांकन) कुछ नहीं है ना! मोटा पैसा खाते हैं वो। पासिंग सर्टिफिकेट दे दिया काट-काट के।

रिपोर्टर : लेकिन उसमें भी लड़का एग्जाम में बैठता है?

भंडारी : एग्जाम में कहीं भी हो; …मेन क्या है? पासिंग सब्जेक्ट; …वो लास्ट का खेल होता है।

रिपोर्टर : उसमें कितना पैसा लगता है?

भंडारी : एंड का खेल होता है। उसमें 15 लाख भी लगते हैं, 10 लाख भी।

रिपोर्टर : लेकिन एग्जाम में बच्चा बैठता है उसमें?

भंडारी : एग्जाम तो वो देगा।

रिपोर्टर : तीनों ऑप्शंस में एग्जाम देना है?

भंडारी : एग्जाम तो देना-ही-देना है, एग्जाम के बिना कैसे होगा?

यह पूछे जाने पर कि क्या हमारे (काल्पनिक) प्रतियोगी की जगह कोई और एफएमजीई की परीक्षा देगा या प्रतियोगी को ख़ुद परीक्षा देनी होगी? भंडारी ने बताया कि केवल सिक्किम में ही कोई दूसरा व्यक्ति परीक्षार्थी की जगह परीक्षा दे सकता है। हालाँकि उसने इसमें बड़े जोखिम की बात कहते हुए ऐसा न करने को प्राथमिकता दी। भंडारी के अनुसार, उसके लिए सबसे सुरक्षित और अच्छा विकल्प पेपर लीक ही रहा।

रिपोर्टर : अब आप मुझे ये बताओ, …लड़का ये पूछ रहा था, उसको एग्जाम देने जाना पड़ेगा; या उसकी जगह कोई और देगा एग्जाम एफएमजी का?

भंडारी : देखो साब! एग्जाम देना पड़ेगा। सिर्फ़ एक ही सेंटर है, …ऐसा है, जहाँ दूसरा आदमी बैठ सकता है।

रिपोर्टर : वो कहाँ है?

भंडारी : वो है सिक्किम में। उसमें प्रॉब्लम क्या है, उसमें हमें ड्राबैक्स भी देखने होंगे। वैसे ड्राबैक्स में मैं काम करता ही नहीं हूँ। क़िस्मत ख़राब हो; फँस गया, तो ज़िन्दगी बर्बाद हो जाएगी।

रिपोर्टर : हम्म।

भंडारी : रिस्की काम है। इसका काम शाम को ही पता चलेगा इसको, …एक दिन पहले या तो।

रिपोर्टर : जैसे कल एग्जाम है एफएमजी का?

भंडारी : रात में ही लेंगे। …दिन में मोबाइल ले लेंगे। …मोबाइल नहीं होगा।

रिपोर्टर : उससे एक दिन पहले लड़के को क्वेश्चन पेपर मिल जाएगा?

भंडारी : उसको दे जाएँगे, वो रख लेगा अपने पास।

भंडारी ने ‘तहलका’ रिपोर्टर को आश्वासन दिया कि वह एफएमजीई परीक्षा से एक दिन पहले लीक हुए पेपर की व्यवस्था कर देगा, जिससे परीक्षार्थी इसकी समीक्षा कर सकेंगे और उसी के अनुरूप तैयारी कर सकेंगे। इसके अलावा अगर लीक हुआ प्रश्न-पत्र वास्तविक परीक्षा के प्रश्न-पत्र से मेल खाता भी हो; फिर भी परीक्षार्थी असफल हो जाता है, तो उसे (परीक्षार्थी को) तय रक़म का केवल आधा हिस्सा यानी 15 लाख रुपये में से 7.5 लाख रुपये ही देने होंगे।

रिपोर्टर : एक ऑप्शन तो आपने बता दिया एफएमजी एग्जाम का, और दूसरा क्या है?

भंडारी : दूसरा ऑप्शन भी होता है। पर देखो, ये सबसे सटीक होता है; सटीक। पता है कैसे? आपको पेपर दिखा दिया, आंसर दे दिये, 200 दे दिये; …उसके बाद भी नहीं आएगा, तो ऐसे डॉक्टर बनने का क्या फ़ायदा? और उसके बाद भी फेल उसके बाद भी फेल हो जाए, तो आधा पैसा तो देना ही पड़ेगा। …अपनी तो कोई ग़लती है ही नहीं।

रिपोर्टर : आपने तो क्वेश्चन पेपर दिखा दिया।

भंडारी : दिखा दिया, अब तुम याद ही न करो। …समझ लो, तू डॉक्टर बनने के लायक है ही नहीं। ..हा…हा….हा (हँसते हुए), …तेरे को तो कुछ भी नहीं आता। जब तेरे को आंसर दे दिया और आठ घंटे में पढ़ा भी दिया उसको, तब भी नहीं आएगा, तो फिर…।

रिपोर्टर : फेल हो गया, तब भी 50 प्रतिशत देना पड़ेगा?

भंडारी : देना पड़ेगा। वो छोड़ेगा थोड़ी। जब सब मैच हो गया है।

रिपोर्टर : मतलब, 15 लाख का 7.50?

भंडारी से बात करने के बाद ‘तहलका’ रिपोर्टर की मुलाक़ात ढाका (बांग्लादेश) के एक विदेशी मेडिकल स्नातक से हुई। शुरू में एफएमजीई परीक्षा उत्तीर्ण करने का दावा करते हुए उसने बाद में भारत में अभ्यास करने के लिए आवश्यक स्क्रीनिंग टेस्ट में असफल होने की बात स्वीकार की। उसने मरीज़ों के जीवन को ख़तरे में डालते हुए एनएमसी से आवश्यक लाइसेंस लिये बिना ही कुछ महीनों तक एक अस्पताल में भी काम किया था। फ़िलहाल (बातचीत के समय तक) वह दिल्ली में एक नयी नौकरी की तलाश में था। इसके साथ ही उसे भंडारी जैसे एक बिचौलिये की भी तलाश में भी है, जो उसे एफएमजीई पास कराने में मदद कर सके।

इसके अलावा ‘तहलका’ रिपोर्टर की मुलाक़ात कश्मीर के एक प्रतियोगी सिराज (बदला हुआ नाम) से दिल्ली के एक पाँच सितारा होटल में हुई। सिराज लीक हुए परीक्षा पेपर के लिए बिचौलिये को 15 लाख रुपये देने पर सहमत हुआ।

रिपोर्टर : अगर एक दिन पहले क्वेश्चन पेपर दे देता है आपको एफएमजी एग्जाम का पास करने का, तो वो आप कर लोगे?

सिराज : उसमें एक चीज़ आपको मिल जाएगी। पढ़ लूँगा मैं; उसमें ज़्यादा कॉन्फिडेंस हैं ना!

रिपोर्टर : सॉल्व आप थोड़ी न करोगे? …सॉल्व तो कोई और करेगा ना!

सिराज : वही मैं बोल रहा हूँ। सॉल्व करके मुझे ये पता होगा ना कि मैंने ये पेपर रटा है। वहाँ बस छपना है। कॉन्फिडेंस होता है ना! …अब ये लोग कह रहे हैं कि नहीं करेंगे। क्या मतलब? नहीं हो पाया फिर? पछताओगे फिर, इससे अच्छा तो मैंने पढ़ा होता।

रिपोर्टर : पैसे के लिए आप कम्फर्टेबल हैं,…15 लाख?

सिराज : 15 लाख का मसला नहीं है। मसला ये है कि अगर पेपर मुझे एक दिन पहले देगा ना! 200 सवाल ही दे-दे बस, मैं चंडीगढ़ रात को ही निकलूँगा। मैं रास्ते में पढूँगा।

रिपोर्टर : वो भी आप सॉल्व नहीं करोगे क्वेश्चन पेपर? …कोई और करेगा?

सिराज : हाँ-हाँ।

नीट परीक्षा में अनियमितताओं पर चल रही जाँच के कारण राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) एक और विवाद में फँस गयी है। यह मामला वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है। इसके अलावा हाल ही में गृह मंत्रालय द्वारा समझौता की गयी परीक्षाओं की अखंडता के बारे में उठायी गयी चिन्ताओं के बाद शिक्षा मंत्रालय ने यूजीसी-नेट परीक्षा रद्द कर दी। इन सामने आ रहे मुद्दों के बीच ‘तहलका’ एसआईटी की यह पड़ताल और परीक्षाओं के प्रश्न-पत्र लीक कराने वाले माफ़िया का ख़ुलासा राष्ट्रीय परीक्षाओं की विश्वसनीयता को कम करने वाली व्यापक चुनौतियों पर प्रकाश डालते हैं। राकेश भंडारी जैसे बिचौलियों द्वारा फैलाये गये भ्रष्टाचार के जटिल जाल को उजागर करके ‘तहलका’ की इस रिपोर्ट का उद्देश्य व्यवस्था में ख़ामियों का फ़ायदा उठाने वालों को उजागर करने के साथ-साथ भविष्य की परीक्षाओं की गोपनीयता और अखंडता की रक्षा के लिए प्रणालीगत सुधारों की आवश्यकता पर बहस शुरू करना है।